पुरानी कर व्यवस्था को चुनने को ये हैं 4 बड़े कारण, अगर अब भी है कंफ्यूजन तो अपनाएं ये टिप्स
Income Tax: बजट 2025 में न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव करते हुए 12 लाख तक के इनकम को टैक्स फ्री कर दिया है, लेकिन कुछ स्थितियों में पुरानी कर व्यवस्था को चुनने में ही समझदारी है.

Income Tax: बजट 2025 में न्यू टैक्स रिजीम के तहत आयकर स्लैब में किए गए बदलाव से अब सालाना 12 लाख तक के इनकम को टैक्स फ्री कर दिया गया है. बेशक इससे मिडिल क्लास वालों को फायदा पहुंचेगा. फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में लगभग 74 परसेंट टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय न्यू टैक्स रिजीम को चुना.
CBDT के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने हाल ही में दावा किया कि टैक्स स्लैब में किए गए इन बदलावों के चलते उम्मीद है कि अगले साल लगभग 90 परसेंट टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम को चुन सकते हैं. दोनों कर व्यवस्थाओं के बीच टैक्स रेट के बढ़ते फासलों के चलते अब ऐसे कम ही लोग हैं, जो अब भी पुरानी टैक्स रिजीम को अपनाना चाहेंगे.
हम आज आपको पुरानी कर व्यवस्था को चुनने के चार बड़े कारण बताने जा रहे हैं.
- न्यू टैक्स रिजीम में आपको टैक्स पर बड़ी छूट जरूर मिलती है, लेकिन जब आप PPF, NPS और SSY जैसी टैक्स सेविंग स्कीम्स में बड़ा इंवेस्टमेंट करते हैं, तब पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना चाहेंगे क्योंकि इसके जरिए आप टैक्स सेविंग निवेश के साधनों में कटौती और छूट का अधिक दावा कर सकते हैं.
- दिल्ली बेस्ड सीए फर्म पीडी गुप्ता एंड कंपनी की पार्टनर सीए प्रतिभा गोयल ने द मिंट से बात करते हुए कहा, ''अगर आप इन स्कीम्स के तहत न्यू टैक्स रिजीम को चुनते हैं, आप इनकम टैक्स में मानक कटौती और एनपीएस कटौती (एम्प्लॉयर के कंट्रीब्यूशन) को छोड़कर किसी भी छूट/कटौती का दावा नहीं कर सकेंगे. सेक्शन 80C, 80D के तहत होम लोन और HRA पर इंटरेस्ट नहीं मिलता है.'' जब आप HRA के हकदार होते हैं, तब भी पुरानी कर व्यवस्था के तहत रिटर्न दाखिल करने में ज्यादा समझदारी है क्योंकि कुछ वेतनभोगी कर्मचारियों को हाउस रेंट अलाउंस के तौर पर महीने का 1 लाख रुपये तक मिलता है.
- जब आप हाई टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तब भी पुरानी कर व्यवस्था को चुनना आपके लिए फायदेमंद है क्योंकि अगर आपकी सालाना आय 24 लाख रुपये से कहीं ज्यादा है और आप 30 परसेंट टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो पुरानी कर व्यवस्था में भी इसी के हिसाब से टैक्स लगता है. जैसे-जैसे आपका इनकम बढ़ता जाता है, टैक्स सेविंग्स का दायरा कम होता जाता है इसलिए न्यू टैक्स रिजीम के तहत रिटर्न भरने का कोई तुक नहीं बनता है.
- अगर आप फिर भी कंफ्यूज हैं कि आपको कौन सा रिजीम चुनना चाहिए, तो आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें दोनों रिजीम के तहत टैक्स के कैलकुलेशन की जानकारी दी जाती है. ऐसे में आप उसे चुन सकते हैं, जिसमें आपको टैक्स कम देनी पड़े.
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