एक्सप्लोरर

क्या यूक्रेन-रूस के बीच जंग को रुकवा सकता है संयुक्त राष्ट्र? जानें क्या है UN की ताकत

यूक्रेन-रूस के बीच जंग को सालभर से ज्यादा का वक्त हो चुका है. दोनों में से कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं है. एक तरफ जहां यूक्रेन को परोक्ष तौर पर अमेरिका और पश्चिमी देशों की तरफ से सैन्य मदद मिल रही है तो वहीं दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वो किसी भी कीमत पर नहीं झुकेंगे. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कैसे ये युद्ध अब खत्म होगा? और इसमें अब क्या यूएन की भूमिका हो सकती है? दरअसल, यूक्रेन-रूस के बीच जारी जंग में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) दखल नहीं दे सकता है, क्योंकि यूएन का जिस तरह का ढांचा है, उसके हिसाब से ये फिट नहीं बैठता है. इसमें पांच चौधरी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं (रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और चीन). इसके अलावा, बाकी अन्य 10 देश गैर स्थायी सदस्य होते हैं. 

ऐसे में ये 5 स्थायी सदस्य देश चाहे तो जंग को रुकवा सकते हैं. अगर सभी स्थायी सदस्य देश एक साथ नहीं चाहते हैं तो जंग नहीं रुकेगी.हर स्थायी सदस्य के पास एक वीटो पावर होता है. जब संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ तो कहीं न कहीं ये धारणा मान लीजिए कि वो ये थी कि ये जो पांच चौधरी देश हैं, वो आपस में लड़ाई नहीं करेंगे. इनके आपस में मतभेद होंगे, इनके हित आपस में एक दूसरे के साथ कहीं न कहीं टकराएँगे. लेकिन ये सीधे तौर पर किसी युद्ध में शामिल नहीं होंगे या आपस में नहीं होंगे. इसलिए कोई न कोई कूटनीति के जरिए रास्ता निकाला जा सकता है.

युक्रेन युद्ध की तुलना किसी और देश से करना बेमानी

अब यूक्रेन युद्ध की तुलना किसी और देशों के साथ करना इसलिए बेमानी हो जाता है क्योंकि यूक्रेन में एक चौधरी रूस सीधे तौर पर शामिल है और उसकी ये जंग हो रही है और बाकियों में से तीन उसका विरोध कर रहे हैं और चीन असमंजस की स्थिति में है. वो रूस के साथ भी है लेकिन पूरी तरीके से साथ नहीं है. अब अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को ऐसा रिजॉल्यूशन पास करना है जो सबके ऊपर लागू हो, तो उसके लिए सभी सदस्यों को हामी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दो तरीके के रिजॉल्यूशन पास करता है, एक होते हैं जो आवश्यक होते हैं. यानी इसको लागू करना सबके लिए अनिवार्य है. दूसरा ये होता है कि वे अपना एक रिजॉल्यूशन पास कर देते हैं, वो कोई चाहे तो माने या न माने.             

चूंकि रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है, इसलिए रूस के पास ये विकल्प है कि कोई भी प्रस्ताव आए तो वो उसके खिलाफ वीटो कर दे और ऐसा होने से वो प्रस्ताव बिल्कुल अनावश्यक हो जाएगा.

संयुक्त राष्ट्र सीधे नहीं करेगा हस्तक्षेप 

इसलिए संयुक्त राष्ट्र सीधा दखल देकर कोई प्रस्ताव नहीं पास कर सकता जो रूस के ऊपर बाध्यकारी हो. अगर संयुक्त राष्ट्र ऐसा नहीं कर सकता तो ऐसे में कूटनीति के विकल्प का इस्तेमाल किया जा सकता है, कोई बीच का रास्ता निकालने के लिए. लेकिन ये भी तभी संभव है जब दोनों प्रतिद्वंद्वी कोई बीच का रास्ता चाहते हों. इस समय ये लगता नहीं है कि कोई भी अपनी पॉजिशन से पीछे हटने को तैयार हों.

यूक्रेन का एक बहुत बड़ा हिस्सा रूस के कब्जे में है. अगर इस समय कोई सीजफायर होता है तो उससे यूक्रेन को हाथ धोना पड़ेगा. ऐसे में यूक्रेन नहीं चाहता है कि ऐसा हो. रूस नहीं चाहता कि जिस एरिया पर उसने कब्जा कर रखा है, वो उसे छोड़े. यूक्रेन के पास खुद की बदौलत ऐसी क्षमता नहीं है कि वो रूस से टक्कर ले. लेकिन पश्चिमी देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं, इसलिए यूक्रेन भी नहीं झुकना चाहता है. पश्चिम के देश चूंकि रूस से खौफजदा हैं, वे चाहते हैं कि रूस यही पर फंसा रहे. जितनी उसकी ताकत है वो यहीं पर कमजोर हो जाए.

यूएन के पास युद्ध को खत्म करने की नहीं है शक्ति?

संयुक्त राष्ट्र युद्ध को खत्म करने के लिए इसलिए प्रभावी नहीं है क्योंकि उसके जो अपने हित होते हैं, अंतरराष्ट्रीय संबंध उसी पर चलता है. ये कोई नैतिकता पर नहीं चलते, कागज पर नॉर्म तो होते हैं, लेकिन उस पर नहीं चलते.

ये वही अमेरिका है, जिसने इराक पर हमला किया था. उनके ऊपर युद्ध थोपा था. एक ऐसे बहाने पर युद्ध थोपा था जो बिल्कुल बेबुनियाद था. उसमें इंग्लैंड ने भी झूठ बोला, अमेरिका भी झूठ बोला. रूस काफी कमजोर था, इसलिए उसने कुछ नहीं बोला. चीन को लगा था कि अमेरिका से रिश्ते ठीक है तो हम क्यों पंगा लें. अब रूस के केस में ये हुआ कि इसकी उस लेवल की ताकत नहीं है, जिस लेवल की अमेरिका की थी, जब उसने इराक पर युद्ध थोपा था.

दूसरी बात ये कि रूस के खिलाफ जो ताकतें है- ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका, वो सारे एकजुट हो चुके हैं. उनको लगता है कि आज यूक्रेन की बारी है तो कल हमारी बारी न आ जाए. ऐसे में वो नहीं चाहते हैं कि ये युद्ध रुके. अंतरराष्ट्रीय संबंध में वास्तविकता पर बात चलती है. 

क्या संयुक्त राष्ट्र सिर्फ ढकोसला है?

संयुक्त राष्ट्र ढकोसला नहीं है. कुछ अच्छे काम भी किए हैं. लेकिन उसने कुछ गलत फैसले भी लिए हैं. भारत का ही उदाहरण ले लीजिए. भारत के कश्मीर का उदाहरण है. भारत यूएन में ये सोचकर गया था कि संयुक्त राष्ट्र नई संस्था बनी है, दुनिया का संचालन करेगी, हमें इंसाफ मिलेगा. अगर हमारे ऊपर किसी ने युद्ध थोपा तो हम संयुक्त राष्ट्र में जाएंगे तो जिसने युद्ध थोपा, उसके ऊपर संयुक्त राष्ट्र हाथ डालेगा. लेकिन हुआ क्या? इंग्लैंड जो हमेशा शैतान की भूमिका प्ले करता है, उसने अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों को अपने में मिला लिया. उस जमाने में चीन भी उसी के साथ था.

फिर वो इस तरह के प्रस्ताव पास किए कि भारत को ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया. पाकिस्तान, जिसने हमारे ऊपर युद्ध थोपा था उसको एक ऑप्शन दे दिया गया कि निकल सके या उसको फायदा हो जाए. हम तो ये चीज 1948 से देख रहे हैं. ऐसे में हम ये कैसे कह सकते हैं कि जो कुछ संयुक्त राष्ट्र ने किया वो अच्छा ही किया है. लेकिन कई बार उसने कुछ अच्छे काम भी किए हैं. कई जगहों पर युद्ध रुकवाए हैं. कई जगह पर जंग रुकवा कर समझौते भी कराए हैं. ये मिला-जुला असर है. आखिर में ये देखिए कि आपकी जो क्षमता और शक्ति है आप उसी पर निर्भर रहें. अगर आप ये सोचते हैं कि कोई हमें आकर बचाएगा या चीन या पाकिस्तान को रोकेगा ते यो हमारी गलती रहेगी.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल डिफेंस एक्सपर्ट सुशांत सरीन से बातचीत पर आधारित है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

India-Canada Row: कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर इंडियन्स, हिंदुओं के लिए खतरनाक होता जा रहा ट्रूडो का देश
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर इंडियन्स, हिंदुओं के लिए खतरनाक होता जा रहा ट्रूडो का देश
Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
शिवराज सिंह चौहान के बेटे कुणाल की हुई सगाई, आप भी देखें दुल्हन की तस्वीरें
शिवराज सिंह चौहान के बेटे कुणाल की हुई सगाई, आप भी देखें दुल्हन की तस्वीरें
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Muslim OBC Reservation: आरक्षण पर घमासान..मोदी-योगी और मुसलमान | CM Yogi | Loksabha Election 2024Crime News: सोनीपत में ट्रिपल मर्डर का 'शैतान' !, भाई, भाभी और भतीजे का मर्डर | सनसनीशकील पर सस्पेंस...कौन था वो हिटमैन ?, सोशल मीडिया के दावों की पड़ताल | ABP NewsSwati Maliwal Case: मालीवाल केस में चश्मदीद और नार्को टेस्ट, Kejriwal के ड्राइंग रूम में क्या हुआ ?

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
India-Canada Row: कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर इंडियन्स, हिंदुओं के लिए खतरनाक होता जा रहा ट्रूडो का देश
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर इंडियन्स, हिंदुओं के लिए खतरनाक होता जा रहा ट्रूडो का देश
Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
शिवराज सिंह चौहान के बेटे कुणाल की हुई सगाई, आप भी देखें दुल्हन की तस्वीरें
शिवराज सिंह चौहान के बेटे कुणाल की हुई सगाई, आप भी देखें दुल्हन की तस्वीरें
Lok Sabha Elections 2024: सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
'भाई जी! सब ठीक हो गया, लेकिन...', CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुनाया विधायकों की क्रॉस वोटिंग का किस्सा
'भाई जी! सब ठीक हो गया, लेकिन...', CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुनाया विधायकों की क्रॉस वोटिंग का किस्सा
The Family Man 3 OTT Updates: 'फैमिली मैन 3' में नहीं नजर आएगा ये दमदार एक्टर, खुद किया इसपर बड़ा खुलासा
'फैमिली मैन 3' में नहीं नजर आएगा ये दमदार एक्टर, खुद किया इसपर बड़ा खुलासा
Embed widget