एक्सप्लोरर

तेजस्वी की 'जनविश्वास यात्रा' और माय की जगह अब बाप की पार्टी का नारा... जानिए RJD का सियासी मकसद

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जनविश्वास यात्रा पर हैं और अपनी यात्रा की शुरुआत में ही तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के प्रति खासे नरम नजर आये लेकिन भाजपा पर उन्होंने जमकर हमला बोला. एक बात यह भी कही जा रही कि तेजस्वी अब लालू प्रसाद यादव की छाया से बाहर निकल रहे हैं. अब वह खुद एक नेता के तौर पर उभर कर सामने आ रहे हैं. 

बिहार में जंगलराज बनाम सुशासन!

भाजपा-जद(यू) की भी अपनी राजनीतिक मजबूरी है. नीतीश कुमार के 20 साल की राजनीति के बाद, जिसमें 14-15 साल भाजपा भी नीतीश कुमार के साथ रही. लेकिन आज भी भाजपा यही कह रही है कि यह माई बाप की ही पार्टी है और तेजस्वी जंगल राज की छाया से निकलने की कोशिश कितनी भी कर लें, उन पर ये आरोप लगते रहेंगे. कुछ राजनीतिक विश्लेषक और मीडिया भी कहता रहता है कि राजद के ऊपर जो लॉ एंड ऑर्डर की खराबी का या अन्य चीजों का ठप्पा लगा हुआ है, उससे बाहर निकलना तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल है. खैर, राजनीतिक दलों की मजबूरी तो समझ में आती है. लेकिन अगर मीडिया या राजनीतिक विश्लेषक भेई ऐसा कह रहे हैं कि माई बाप की ही पार्टी है या तेजस्वी जंगल राज की छाया से बाहर नहीं निकल सकते, तो मैं समझता हूँ कि ये पूर्वाग्रह है. जंगल राज की बात गलत है, बिल्कुल ही पूर्वाग्रह से ग्रसित है. कोई भी विश्लेषक या मीडिया कुछ भी कहे, क्योंकि एनसीआरबी का डेटा देखे तो पिछले 3-4 सालों में बिहार में अपराध का चरित्र और स्वरूप बदला है. पहले बिहार में किडनैपिंग का धंधा था, हत्याएं होती थी, वो कई अन्य कारणों से होती थी. लेकिन अब जो हत्याएं हो रही हैं वो लैंड और लिकर के कारण हो रही है.

अपराधी वही हैं और लोग वही हैं, अपराध का चरित्र बदला है. एनसीआरबी का डेटा कहता है कि आधे से ज्यादा हत्याएं लैंड डिस्प्यूट के कारण हो रही है. बहुत सारी हत्याएं लिकर के अवैध बिजनेस से हो रही है, उस पर अधिपत्य के कारण हो रही है. जंगल राज जैसा जुमला गढ़कर किसी पार्टी को कब तक उलझाया जा सकता है? कब तक जनता को बेवकूफ बनाएंगे? आखिरकार 2005 से लेकर 2024 तक यानी की 20 साल हो गया, 20 साल में दो पीढ़ियां बदल गई. राजद की पूरी राजनीति, राजनीतिक थ्योरी, उसका नेतृत्व बदल गया. उद्देश्य बदल रहा है. राजद का आइडियोलॉजिकल ग्राउंड बदल रहा है. उसमें अब ज्यादा से ज्यादा पढ़े लिखे लोग, जेएनयू जैसे जगह से पढ़े लिखे लोग आ रहे हैं. भाजपा की राजनीतिक मजबूरी है क्योंकि उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं है. लेकिन यदि कोई विश्लेषक या मीडिया इस तरह की बात कर रही है तो ये पूर्वाग्रह से ग्रसित ही कहा जाएगा.

तेजस्वी यादव का “हमला” संयमित दिखता है 

तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के बहाने भाजपा पर हमला कर रहें. वे नाम सिर्फ नीतीश कुमार का लेते हैं. तेजस्वी यादव यह कह रहे है कि क्या नरेंद्र मोदी की गारंटी होगी कि नीतीश कुमार फिर नहीं पलटेंगे. 20 फरवरी को मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधान सभा क्षेत्र में उनकी पहली रैली हुई और उसके बाद शिवहर रैली हुई. शिवहर से विधायक चेतन आनंद हैं, जिन्होंने तेजस्वी यादव को छोड़ दिया था. बावजूद इसके उन्होंने मंच से चेतन आनंद के लिए कुछ गलत नहीं कहा, कोई कटु शब्द नहीं कहा, उन्होंने सीधे कहा कि हम जनता के बीच है, जनता उनका फैसला करेगी.

तेजस्वी यादव नीतीश कुमार पर सीधे-सीधे हमलावर नहीं है. वह हमलावर बीजेपी पर है और नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव में सिर्फ इतना मामला है कि वह 17 साल बनाम 17 महीने की बात कर रहे हैं, वे रोजगार की राजनीति के जरिये हमला कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि “हमने कहा था कि 10 लाख रोजगार देंगे तो नीतीश कुमार ने कहा था कि कहां से दोगे. बाद में जब वह सत्ता में साथ आए, वहीं नीतीश कुमार हमारे साथ मिलकर लाखों लोगों को रोजगार दे रहे थे, हमारी सरकार दे रही थी.” नीतीश कुमार ने शुरुआत में यह भी कहा था कि आरजेडी के लोग क्रेडिट ले रहे थे. तेजस्वी यादव ने सदन में ही साफ कर दिया था कि आपने हमको मौका दिया है लोगों के बीच जाने का और हम लोगों के बीच जाएंगे और यह बताएंगे कि 17 साल बनाम 17 महीने में क्या हुआ है. तेजस्वी यादव के सारे स्पीच पर ध्यान दिया जाए तो वह नीतीश कुमार पर कहीं भी उतने तल्ख नहीं दिख रहे हैं, उतने सख्त नहीं दिख रहे हैं, जितना कि वह बीजेपी के खिलाफ बोलते हुए नजर आए.

तेजस्वी यादव का लालू प्रसाद यादव की छाया से बाहर निकलने का काम लगभग चार साल पहले हो चुका था. 2020 के चुनाव में जब यह पूरी तरह से मीडिया में स्थापित हो गया था कि एक तरफ जहां एनडीए थी, जिसके साथ जदयू भी था, मतलब यह कि एक तरफ नरेंद्र मोदी का चेहरा था, नीतीश कुमार का चेहरा था और दूसरी तरफ तेजस्वी यादव अकेले थे. उन्होंने अकेले बिना माता और पिता के साथ चुनाव प्रचार किया. अकेले रोजगार के मुद्दे को मुद्दा बनाया. सारे बिहार की उस वक्त की चुनावी राजनीति उसको रोजगार के मुद्दे पर केंद्रित किया और विपक्ष से भी करवाया. 2020 में तेजस्वी यादव ने 10 लाख सरकारी नौकरी की बात की. वहीं सत्तापक्ष ने शुरू में मजाक किया. 

आरजेडी के राजनीतिक सिद्धांत में हो रहा है बदलाव

बाद में सत्तापक्ष को 19 लाख रोजगार की बात करनी पड़ी. 2020 में ही तेजस्वी यादव सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनकर आए. तेजस्वी यादव सिर्फ अपने पिता की छाया से निकलकर बाहर नहीं आए है, बल्कि पूरी राजनीति, आरजेडी की राजनीति और आरजेडी की राजनीति का जो मोडस ऑपरेंडी, वह भी बदलता हुआ दिख रहा है. उसके सिद्धांत थे, वह भी बदलता हुआ दिख रहा है. पहले सामाजिक न्याय की बात होती थी, लेकिन आर्थिक न्याय की बात हो रही है, उसे रोजगार से जोड़ा जा रहा है. सामाजिक न्याय का एक दौर जो कि अब बिहार की राजनीति में बीत चुका है. अब तेजस्वी यादव उसे आर्थिक न्याय के रास्ते पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें वह रोजगार, सरकारी नौकरी, निवेश और अन्य तरह की बातें कर रहे हैं. 20 फरवरी को तेजस्वी यादव ने स्पीच में एक महत्वपूर्ण बात की, उन्होंने कहा कि राजद को लोग माई पार्टी समझते हैं, लेकिन राजद माई नहीं बाप की भी पार्टी है. बीएएपी, बहुजन,अगड़ा, आधी आबादी और पुअर (गरीब) और साथ में माई, मतलब हम सबकी पार्टी है. यानी वे जाति आधारित पार्टी या कोर वोट बैंक आधारित पार्टी, किसी खास जाति से जुड़ा हुआ ठप्पा नहीं चाहते हैं. बिहार की राजनीति में यह नए जमाने का बदलाव है, 21वीं शताब्दी के बदलाव है. खासकर राजद की राजनीति में. 

बिहार की राजनीति 

बिहार अकेला ऐसा राज्य है जहां राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का मुद्दा का असर होता हुआ नहीं दिखाई दिया था. और इसी वजह से नरेंद्र मोदी को प्लान बी पर काम करना पड़ा और नीतीश कुमार को अपने साथ ले जाने की आवश्यकता पड़ी. ये माना जाता है क्योंकि जो ओबीसी कास्ट सर्वे किया गया था और रिर्जवेशन को 75 प्रतिशत बढ़ाया गया था, उसका बिहार की राजनीति में एक व्यापक असर देखने को मिल रहा था. नीतीश कुमार और आरजेडी का गठबंधन काफी मजबूत दिखाई दे रहा था, जिसे तोड़ना नरेंद्र मोदी के लिए बेहद जरूरी था. नरेंद्र मोदी उस काम में सफल भी हो गए है, अब उसका रिजल्ट क्या होगा ये कहना मुश्किल है. लेकिन एक चीज तय है कि जिस तरह से तेजस्वी यादव अभी से चुनावी मोड में आ चुके है, जनविश्वास यात्रा कर रहे है, लोगों के बीच जा रहे है. उसके साथ-साथ यदि वो इस बात पर भी ध्यान दें कि जो छोटे-छोटे दल है, इनको कैसे साधना है, तब शायद हो सकता है कि 2019 की जो तस्वीर थी वो 2024 में न बनें. लेकिन चुनाव तो चुनाव है और लोकसभा के चुनाव के पैर्टन अलग होता है, इसपर कुछ भी कहना जल्दबाजी का काम होगा.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

अगर दिया भड़काऊ भाषण तो हो सकती है 10 साल तक की जेल, इस राज्य में कैबिनेट ने पास किया कानून, विधानसभा में होगा पेश
अगर दिया भड़काऊ भाषण तो हो सकती है 10 साल तक की जेल, इस राज्य में कैबिनेट ने पास किया कानून
क्या झारखंड में बदलने वाली है सरकार? मंत्री इरफान अंसारी का बड़ा बयान, 'हेमंत सोरेन...'
क्या झारखंड में बदलने वाली है सरकार? CM हेमंत सोरेन का नाम लेकर मंत्री ने दिया बड़ा बयान
'इसमें ग्रेट जैसा कुछ नहीं क्योंकि भारत...', G-7 में रूस के शामिल होने के सवाल पर पुतिन का क्लीयर जवाब
'इसमें ग्रेट जैसा कुछ नहीं क्योंकि भारत...', G-7 में रूस के शामिल होने के सवाल पर पुतिन का क्लीयर जवाब
तीसरे और निर्णायक वनडे के लिए Vizag पहुंची टीम इंडिया, कुछ इस अंदाज में दिखे विराट कोहली
तीसरे और निर्णायक वनडे के लिए Vizag पहुंची टीम इंडिया, कुछ इस अंदाज में दिखे विराट कोहली
ABP Premium

वीडियोज

सुंदर बच्चियों की 'सीरियल किलर' LADY !  | Sansani | Crime News
India में दिख गया मोदी-पुतिन के 'दोस्ती का दम'...छा गई कार वाली 'केमेस्ट्री'
व्यापार से वॉर तक ये दोस्ती कितनी दमदार ?, देखिए सबसे सटीक विश्लेषण । Punit India Visit
Bharat ki Baat: भारत में दिखा 'दोस्ती का दम', पुतिन का जबरदस्त वेलकम! | Putin India Visit
पुतिन दौरे पर राहुल का 'डिप्लोमेसी बम'...दावे में कितना दम? । Sandeep Chaudhary । Putin India Visit

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
अगर दिया भड़काऊ भाषण तो हो सकती है 10 साल तक की जेल, इस राज्य में कैबिनेट ने पास किया कानून, विधानसभा में होगा पेश
अगर दिया भड़काऊ भाषण तो हो सकती है 10 साल तक की जेल, इस राज्य में कैबिनेट ने पास किया कानून
क्या झारखंड में बदलने वाली है सरकार? मंत्री इरफान अंसारी का बड़ा बयान, 'हेमंत सोरेन...'
क्या झारखंड में बदलने वाली है सरकार? CM हेमंत सोरेन का नाम लेकर मंत्री ने दिया बड़ा बयान
'इसमें ग्रेट जैसा कुछ नहीं क्योंकि भारत...', G-7 में रूस के शामिल होने के सवाल पर पुतिन का क्लीयर जवाब
'इसमें ग्रेट जैसा कुछ नहीं क्योंकि भारत...', G-7 में रूस के शामिल होने के सवाल पर पुतिन का क्लीयर जवाब
तीसरे और निर्णायक वनडे के लिए Vizag पहुंची टीम इंडिया, कुछ इस अंदाज में दिखे विराट कोहली
तीसरे और निर्णायक वनडे के लिए Vizag पहुंची टीम इंडिया, कुछ इस अंदाज में दिखे विराट कोहली
DDLJ को पूरे हुए 30 साल तो खुशी से फूले नहीं समाए शाहरुख खान, काजोल संग दिए राज-सिमरन जैसे पोज
DDLJ को पूरे हुए 30 साल तो खुशी से फूले नहीं समाए शाहरुख खान, कही दिल की बात
अब वजन घटाने डाइट के लिए प्लान बनाना आसान, फिजियोथेरेपिस्ट ने बताया ChatGPT का स्मार्ट तरीका
अब वजन घटाने डाइट के लिए प्लान बनाना आसान, फिजियोथेरेपिस्ट ने बताया ChatGPT का स्मार्ट तरीका
आधार-UAN लिंकिंग की डेडलाइन खत्म, चूक गए तो अब नहीं कर पाएंगे ये काम
आधार-UAN लिंकिंग की डेडलाइन खत्म, चूक गए तो अब नहीं कर पाएंगे ये काम
इंग्लिश असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के परिणाम से बड़ा झटका, 613 पद, पास सिर्फ 151 उम्मीदवार; जानें क्या है पूरा मामला
इंग्लिश असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के परिणाम से बड़ा झटका, 613 पद, पास सिर्फ 151 उम्मीदवार; जानें क्या है पूरा मामला
Embed widget