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घोषणापत्र का संदेश जनता तक पहुंचे, करे कांग्रेस सुनिश्चित, भाजपा की गारंटी को करना होगा निष्प्रभावी

लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने हाल में अपना घोषणापत्र जारी किया है, जिसमें पांच न्याय और 25  गारंटी की बात कही गई है. इससे पहले भाजपा भी मोदी की गारंटी वाला घोषणापत्र जारी कर चुकी है. घोषणापत्र के जरिए जनता की विश्वसनीयता जीतने और उन तक पहुंचने की कोशिश की जाती है. पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को है. चुनाव के ठीक दो सप्ताह पहले कांग्रेस ने घोषणा पत्र जारी किया है. इससे एक उम्मीद जगती है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता जनता तक घोषणा पत्र ले जा सकेंगे और उनको संबंधित बातें बता सकेंगे. अगर घोषणापत्र को कार्यकर्ता जनता तक ले जा पाते हैं तो ये बड़ा कदम होगा.

कांग्रेस के घोषणा पत्र में 'वन नेशन वन इलेक्शन' का विरोध किया गया है. इसके अलावा चुनाव में उपयोग होने वाले वीवीपैट के पर्चा को बैलेट बाॅक्स में डालकर गिनती कराने की मांग की है. अगर कोई दल-बदल करता है तो उसकी सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाएगी. लोकतांत्रिक सुधारों को लेकर कुछ बातें घोषणा पत्र में हैं. केंद्रीय एजेंसियां कानून के अंतर्गत काम करेंगी. ये सारी चीजें जो घोषणा पत्र में अंकित की गई है, वो महत्वपूर्ण हैं और उनका दंश वर्तमान में विपक्ष भी झेल रहा है. उन परेशानियों को दूर करने की बात कही गई है.

कांग्रेस का घोषणापत्र लोकलुभावन

रेलवे में सीनियर सीटिजन को मिलने वाली जो सुविधाएं थी, उसको खत्म कर दिया गया है, यह एक गंभीर मुद्दा है. उस रियायत को फिर से लाने की बात कही गई है. सभी परिवारों को 25 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिले, इसकी व्यवस्था करने की बात कही गई है. इससे पहले राजस्थान में 50 लाख तक का इलाज मुफ्त में कराने की बात कही गई थी, हालांकि उस चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में राशि खर्च करने की बात कही गई है. घोषणापत्र में बताया गया है कि जांच एजेंसियों पर सख्ती रहेगी, वो बेलगाम काम नहीं करेंगे. इसके अलावा घोषणा पत्र में कुल पांच न्याय की बात कही गई है, जिसमें युवा न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय शामिल है.

इन पांच न्याय के जरिये कुल 25 गारंटी की बात कही गई है. युवाओं में रोजगार को लेकर एक बड़ा आक्रोश है इसलिए युवाओं को नौकरी को लेकर रिझाने की बात कही गई है. करीब 30 लाख नौकरी देने की बात कही गई है. सरकार के विभिन्न विभागों में खाली पदों को भरने का वादा कांग्रेस ने किया है. इसके अलावा किसानों के लिए एमएसपी को लागू करने की बड़ी बात की गई है. नारी न्याय की बात भी घोषणापत्र में है. इसके अंतर्गत परिवार की मुखिया महिला को प्रति साल एक लाख रुपये देने की बात कही गई है. ये बात अगर जनता तक पहुंचती है तो यकीनन महिलाएं इस योजना से आकर्षित होंगी.

महिलाओं के लिए कई योजनाएं

कांग्रेस के घोषणापत्र में किसानों को एमएमसी और बीमा योजना, ऋण को माफ करने के अलावा कई योजनाओं को शुरू करने की बात कही गई है. महालक्ष्मी गांरटी, आधी आबादी पूरा हक, शक्ति का सम्मान आदि की बातें बोली गई है. आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता और मिड डे मील जैसे कार्यक्रमों व कार्यकर्ताओं की भी बात की गई है. कामकाजी महिलाओं के लिए एक हॉस्टल बनाने की बात की गई है. इस तरह से कहीं न कहीं सभी वर्ग को एक तरह से छूने की बात की गई है. पिछले चुनाव में राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि वो सरकार में आएंगे तो बेरोजगारी भत्ता देंगे, लेकिन इस बार के घोषणापत्र में ये बातें नहीं की गई है. अभी तो ये घोषणा पत्र आया है अभी एनडीए की ओर से इस पर काउंटर आना बाकी है देखना होगा कि इस पर क्या काउंटर बयान जारी किया जाता है.

भ्रष्टाचार के साथ भी, भ्रष्टाचार मुक्त भी! 

घोषणा पत्र को एक तरह से पार्टी का चरित्र के तौर पर भी देखा जा सकता है. एक तरह से ये रेफरेन्स प्वाइंट होता है. इसमें भी जनता के पास कुछ ही मुद्दे जा पाते हैं. उसमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रकार के हो सकते हैं. घोषणापत्र में नकारात्मक मुद्दे नहीं डाले जाते, लेकिन जनता के बीच वैसे मुद्दे खुद ब खुद पहुंच जाते है. उसमें भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एजेंसियों को काम पर लगाएंगे, जैसे मुद्दे भी लाए जाते हैं. ये असरदार तब होता है जब भ्रष्टाचार के विरोध में हों. अगर पार्टी भ्रष्टाचारी को अपने साथ लेकर घूमती हो और बाद में कहें कि भ्रष्टाचार को हटाएंगे तो जनता में नकारात्मक बात पहुंचती है. ये विश्वास जनता को दिलाना पड़ता है कि वो भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं. हालांकि घोषणापत्र कहीं न कहीं नैतिकता और प्रतिबद्धता से बांध कर रखने का काम करती है. जो पहले से पार्टी के आचरण में  होता है वही जनता भी घोषणापत्र के अनुसार ग्रहण करती है. इलेक्टरोल बांड के मुद्दे जिस प्रकार से अभी तक सामने आए हैं उसमें भ्रष्टाचार का एक बड़ा मुद्दा है. अगर ये कदम सरकार के लिए नकारात्मक जाता है और विपक्ष जिस तरह से इस मुद्दे को उठा रहा है, उसके लिए तनिक भी सकारात्मक होता है, तो इसको लेकर जनता थोड़ा तवज्जो दे सकती है.

सत्ताधारी दल की गारंटी

बीजेपी की ओर से मोदी गारंटी की बात कही जा रही है, उसमें  नौकरी देना, महिलाओं को रकम देना, किसानों को रकम देना आदि है. रकम देने की सियासत तो पहले से ही चल रही है. हालांकि, कांग्रेस के लिए थोड़ी मुश्किल है क्योंकि बीजेपी का प्रचार तंत्र काफी मजबूत है. सबका साथ सबका विकास, जैसा नारा भी उनके साथ है. उज्ज्वला योजना को लेकर सरकार काफी बातें करती हैं, लेकिन कांग्रेस को इन मुद्दों पर ध्यान देते हुए बात करनी होगी कि जो उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गैस सिलेंडर दी जा रही है, लोग सिलेंडर तक लेने में असक्षम हो गए है. सब्सिडी जो मिलती थी, अब वो लगभग बंद सा हो गया है. इन मुद्दों को अगर कांग्रेस लेकर सामने आती है तो कुछ फायदा हो सकता है. मोदी के गारंटी की काट लानी होगी तभी कांग्रेस को कुछ फायदा संभव है. सत्ताधारी दल के गारंटी को निष्प्रभावी बनाना होगा उसके बाद ही कांग्रेस की गारंटी उसका जवाब हो सकती है. 

कांग्रेस पड़ गई है सुस्त 

हरिश रावत कांग्रेस के एक सीनियर और काफी कद्दावर नेता रहे हैं. उनके बयान के मुताबिक कांग्रेस और उनके नेता काफी सुस्त हो गए है. फिलहाल कांग्रेस को हरीश रावत उसी रफ्तार से देखना चाहते हैं जैसे कि उनकी जवानी के समय में कांग्रेस के हालात थे. कांग्रेस की अंदर की पॉलिटिक्स भी कुछ ऐसी होती है, इसके अलावा आज के वोटर्स के पास कांग्रेस की रणनीति नहीं पहुंच पाती है. अभी के समय में कांग्रेस की बातें उनको पॉजीटिव नहीं दिख रही है. कांग्रेस के अंदर की बातों को लेकर वहां पर असंतोष की भावना है. इसको इस तरह से भी देखा जा सकता है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.]   

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