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पंजाब में तो 'झाड़ू' चल जाएगी, लेकिन क्या उत्तराखंड बचा पाएगी बीजेपी ?
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देवभूमि उत्तराखंड विधानसभा सीटों के लिहाज से भले ही दिल्ली के बराबर ही है, लेकिन राजनीतिक और रणनीतिक लिहाज से यह देश का सबसे अहम राज्य है क्योंकि इसकी जड़ें चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती हैं. वहां भी उत्तर प्रदेश की तरह ही डबल इंजन की सरकार है. लेकिन एबीपी न्यूज़-सी वोटर के ताजा सर्वे के जो नतीजे आए हैं, उससे लगता है कि इस पहाड़ी राज्य में परचम लहराने के लिए बीजेपी को इस बार अपनी दोगुनी ताकत झोंकनी होगी.
वह इसलिये कि कांग्रेस व उसके बीच कांटे की टक्कर होती दिख रही है और ऊपर से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी उसके वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए चुनावी-मैदान में कूद चुकी है. हालांकि सरकार के खराब प्रदर्शन के कारण ही महज साढ़े चार साल में बीजेपी को अपने तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े. पर, सर्वे के नतीजे इशारा करते हैं कि बीजेपी इस बार साल 2017 वाला प्रदर्शन नहीं कर पायेगी. 70 सीटों वाली विधानसभा में पिछली बार उसे 56 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस 11 सीटों पर सिमटकर रह गई थी.
सी वोटर के ताजा सर्वे में बीजेपी को 33 से 39 सीटें मिलने का अनुमान है. यानी, किसी तरह से वह सरकार तो बना लेगी लेकिन इन पांच साल में उसका जनाधर कम हुआ है. लिहाज़ा, बीजेपी नेतृत्व को ये सोचना होगा कि लोगों की नाराजगी की मुख्य वजह क्या है और उसे कैसे दूर किया जाए. सर्वे के अनुसार कांग्रेस को 29 से 35 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं केजरीवाल की आप के हिस्से में महज एक से तीन सीटें आ सकती हैं. जाहिर है कि मुख्य मुकाबला बीजेपी व कांग्रेस के बीच ही होने के आसार हैं.
सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड के 40 फीसदी वोटर बीजेपी के पक्ष में हैं. वहीं, कांग्रेस के पक्ष में करीब 36 फीसदी मतदाता है. इसके अलावा 13 फीसदी मतदाता आम आदमी पार्टी की ओर खिसकता नजर आ रहा है. अन्य के खाते में करीब 11 फीसदी मतदाताओं का झुकाव है. लेकिन इस सर्वे का सबसे रोचक पहलू ये है कि सरकार भले ही बीजेपी की बनती दिख रही है लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में लोगों की पहली पसंद कांग्रेस नेता हरीश रावत हैं. ऐसे में, सवाल उठता है कि अगर रावत वहां जनता की पहली पसंद बन हुए हैं, तो कांग्रेस उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बनाने से परहेज़ आख़िर क्यों कर रही है.
इस सर्वे में लोगों से सवाल पूछा गया था कि सीएम के बतौर उनकी पहली पसंद कौन है? तो 33 फीसदी लोगों ने हरीश रावत का नाम लिया. जबकि 27 फीसदी जनता ऐसी थी जो मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी को ही दोबारा इस पद पर देखना चाहती है. बीजेपी के प्रवक्ता व सांसद अनिल बलूनी 18 प्रतिशत लोगों की पसंद हैं, तो वहीं आम आदमी पार्टी से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कर्नल कोठियाल को 9% लोग इस पद पर देखना चाहते हैं. लेकिन 13 फीसदी लोग ऐसे भी हैं, जो इन सबको छोड़कर किसी नए चेहरे को अपना सीएम देखना चाहते हैं.
अगर पंजाब की बात करें, तो वहां भारी उलटफेर होता दिख रहा है. तीनों प्रमुख दलों को पछाड़ते हुए केजरीवाल की आप वहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि अधिकांश लोग मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को ही दोबारा अपना सीएम देखना चाहते हैं. पंजाब में विधानसभा की 117 सीटें हैं और वहां आप ने लगातार बढ़त बना रखी है. नवम्बर के मुकाबले इस बार उसे 50 से 56 सीटें मिलती दिख रही हैं. यानी वह बहुमत से महज तीन सीट दूर है, लेकिन लगता है कि वह सरकार बना ही लेगी. अबकी कांग्रेस को 39 से 45, अकाली दल + को 17 से 23, बीजेपी को 0 से तीन और अन्य को एक सीट मिलने का अनुमान है.
सीएम के रूप में पसंद की बात करें तो 33 फीसदी जनता चन्नी के पक्ष में है. जबकि 24 प्रतिशत लोग केजरीवाल को, 17 फीसदी सुखबीर बादल को और 13 प्रतिशत लोग आप सांसद भगवंत मान को अपना सीएम देखना चाहते हैं. नवजोत सिंह सिद्धू 5 फीसदी और कैप्टन अमरिंदर सिंह महज 2 प्रतिशत लोगों की ही पसंद हैं. वोट प्रतिशत के लिहाज से देखें तो कांग्रेस- 34%,आप- 38%,अकाली दल + 20 %, बीजेपी-3% और अन्य को 5% वोट मिलने का अनुमान है.
40 विधानसभा सीटों वाली गोवा में बीजेपी दोबारा अपनी सरकार बनाने के लिए बिल्कुल बाउंड्री लाइन पर खड़ी है क्योंकि वहां भी आप तीसरी ताकत बनकर उभर रही है. जाहिर है कि चुनाव आते-आते वो अपनी ताकत और बढ़ाएगी. लिहाज़ा, उस सूरत में वह बीजेपी के लिये बड़ा खतरा बन सकती है. वहां बीजेपी को 17 से 21, आप को 5 से 9, कांग्रेस को 4 से 8 और अन्य के खाते में 6 से 10 सीटें जाती दिख रही हैं.
उधर, 60 सीटों वाले पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में भी बीजेपी व कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला होता दिख रहा है. सर्वे के मुताबिक वहां बीजेपी को 29 से 33 जबकि कांग्रेस को 23 से 27 सीटें मिल सकती हैं. वहीं क्षेत्रीय दल एनपीएफ को 2 से 6 और अन्य के खाते में अधिकतम 2 सीट आ सकती है.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.
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