Tesla का वेलकम, BYD की No Entry! आखिर EV को लेकर भारत सरकार ने क्यों बदली रणनीति?
भारत ने चीनी कंपनी BYD के निवेश को रोक दिया है तो वहीं एलन मस्क की टेस्ला को नए अवसर प्रदान किए हैं. आइए जानते हैं कि इसके पीछे की रणनीति क्या है और EV बाजार पर इसका क्या असर पड़ेगा?

Piyush Goyal On EV Policy: भारत सरकार अब विदेशी निवेश को लेकर अधिक सतर्क हो गई है, खासकर उन कंपनियों को लेकर जो चीन से आती हैं. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि BYD जैसी चीनी कंपनियों को भारत में निवेश करने की फिलहाल अनुमति नहीं मिलेगी, क्योंकि भारत अब एलन मस्क की टेस्ला को देश में लाने पर जोर दे रहा है.
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में बड़ा बदलाव करते हुए चीन की बड़ी EV कंपनी BYD को बाजार में निवेश करने से रोक दिया है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत अपनी रणनीतिक सुरक्षा और हितों को देखते हुए निवेश की अनुमति देता है और BYD फिलहाल इस दिशा में फिट नहीं बैठती. बता दें कि BYD ने भारत में 1 बिलियन डॉलर का निवेश प्रस्ताव रखा था, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया था.
भारत ने BYD को क्यों रोका?
भारत सरकार ने चीन की कंपनी BYD को यहां निवेश करने से रोक दिया है. इसके पीछे तीन बड़ी वजहें हैं, जैसे-BYD की मालिकाना जानकारी बिल्कुल साफ नहीं है. कंपनी का चीन की सरकार और सेना से नजदीकी रिश्ता है. BYD को चीन से आर्थिक मदद और सब्सिडी मिलती है. BYD के अलावा Great Wall Motors जैसी दूसरी चीनी कंपनियां भी भारत में अपने प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर पाईं.
टेस्ला को क्यों बुला रहा है भारत?
चीन की कंपनियों को रोका जा रहा है, लेकिन एलन मस्क की टेस्ला को भारत निवेश के लिए न्योता दे रही है. टेस्ला ने मुंबई और दिल्ली में शोरूम ले लिए हैं. अपनी कारों Model 3 और Model Y के लिए भारत की मंजूरी (होमोलोगेशन) की प्रक्रिया शुरू कर दी है. टेस्ला ने हाल ही में मुंबई में एक बड़ा हायरिंग इवेंट रखा, जहां कई रोल के लिए लोगों को हायर किया गया था.
भारत बन रहा है EV हब?
भारत सरकार की मंशा है कि देश को इलेक्ट्रिक वाहनों का वैश्विक उत्पादन केंद्र बनाया जाए. लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां हैं. जैसे- अमेरिका में EV इंपोर्ट ड्यूटी 2.5% है, जर्मनी में 10%, लेकिन भारत में यह 25% तक जा सकती है. भारत में श्रम और जमीन की लागत कम है, लेकिन प्रक्रिया और नीति में कई अड़चनें हैं. डोमेस्टिक मनुफक्चरर्स कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा नहीं चाहते कि विदेशी कंपनियों को कोई टैरिफ छूट मिले.
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