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Israel में सेल्फ ड्राइविंग कार की सवारी करते नजर आए पीयूष गोयल, ऑटोनोमस टेक्नोलॉजी को लेकर जानें क्या कहा
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने Mobileye की सेल्फ-ड्राइविंग कार की सवारी की और 11 कैमरा और 5 रडार तकनीक वाली ऑटोनॉमस ड्राइविंग को करीब से समझा. आइए जानें ऑटोनोमस टेक्नोलॉजी को लेकर उन्होंने क्या कहा.

पीयूष गोयल ने सेल्फ-ड्राइविंग कार में किया सफर
Source : social media
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अपनी इजरायल यात्रा के दौरान यरूशलेम की सड़कों पर Mobileye कंपनी की सेल्फ-ड्राइविंग कार में सफर किया. दुनिया भर में ऑटोनॉमस ड्राइविंग तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है और इजरायल उन देशों में शामिल है, जहां यह तकनीक काफी विकसित हो चुकी है. आइए जानें पीयूष गोयल ने ऑटोनोमस टेक्नोलॉजी को लेकर क्या कहा.
पीयूष गोयल सोशल मीडिया पर क्या कहा?
- केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल सेल्फ-ड्राइविंग कार में सफर करके काफी प्रभावित हुए. Mobileye की इस सेल्फ-ड्राइविंग कार में बैठकर मिले अनुभव को गोयल ने सोशल मीडिया पर शेयर किया. उन्होंने लिखा कि Mobileye का ऑटोनॉमस ड्राइव “सटीकता और इंजीनियरिंग का शानदार मेल” है और आने वाला समय मोबिलिटी टेक्नोलॉजी के लिए बहुत रोमांचक होने वाला है.
Mobileye की सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक क्या करती है?
- Mobileye दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है जो ड्राइवरलेस कारों की तकनीक तैयार करती है. इसकी टेक्नोलॉजी कार को बिना ड्राइवर के खुद रास्ता पहचानने, स्पीड कंट्रोल करने और सुरक्षित तरीके से ड्राइव करने में सक्षम बनाती है. इजरायल में यह तकनीक इतनी एडवांस है कि टेस्टिंग के दौरान कार सड़क के सिग्नल, पैदल यात्री, दूसरी गाड़ियां और अचानक आने वाली रुकावटों को तुरंत पहचानकर उसी पल कदम उठाती है.
कैमरा, रडार और LiDAR: मिलकर बनाते हैं कार को स्मार्ट
- जिस कार में पीयूष गोयल बैठे थे, वह पोर्शा मॉडल थी जिसे Mobileye अपनी टेस्टिंग में इस्तेमाल करती है. इसमें एक बेहद सटीक मल्टी-सेंसर सिस्टम लगाया गया है, जिसमें 11 हाई-रेजॉल्यूशन कैमरे, 5 रडार सेंसर और एक LiDAR सेंसर शामिल है. कार के आगे और पीछे लगे कैमरे 360-डिग्री व्यू देते हैं, जबकि सेंटर कैमरा 400 से 600 मीटर तक आगे का रास्ता साफ दिखाता है. यह डेटा रियल-टाइम में कंप्यूटर सिस्टम को भेजा जाता है, जो तुरंत निर्णय लेता है कि कार को एक्सेलरेट करना है, ब्रेक लगाना है या मोड़ लेना है.
कैसे लेती है कार खुद फैसले?
- कार के सेंसर लगातार आस-पास की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं. AI आधारित सॉफ्टवेयर उसी जानकारी के आधार पर तय करता है कि कब स्पीड कम करनी है, कब रुकना है और कब ओवरटेक करना सुरक्षित है. गोयल ने भी फील किया कि ट्रैफिक के बीच कार बेहद स्मूथ तरीके से चल रही थी और बिना किसी झटके के खुद डिसीजन ले रही थी.
भारत और इजरायल के बीच तकनीकी साझेदारी
- दरअसल, ये अनुभव भारत और इजरायल के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर चल रही बातचीत का हिस्सा था. इसी दौरान दोनों देशों ने भविष्य में ऑटोनॉमस vehicle technology को साझा रूप से विकसित करने पर भी चर्चा की. जिससे यह साफ है कि आने वाले समय में ड्राइवरलेस तकनीक भारत में भी सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक मैनेजमेंट को काफी बेहतर बना सकती है.
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Source: IOCL





















