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(Source: Matrize IANS)
अब 15 साल के बाद भी चल सकेंगे इलेक्ट्रिक वाहन, EoL छूट पर सरकार का ये है प्लान
Electric Vehicles EoL: भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर 15 साल की सीमा हटाने पर विचार कर रही है. अब EVs के लिए EoL नियमों में छूट मिल सकती है. आइए विस्तार से जानते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर
Source : FREEPIK
भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा फैसला लेने जा रही है. अब 15 साल पुराने EVs को सड़क से हटाने की जरूरत नहीं होगी. यानी इलेक्ट्रिक कार, बस और ट्रक 15 साल के बाद भी आराम से चल सकेंगे. इससे न सिर्फ EV की उम्र बढ़ेगी, बल्कि खरीदारों की दिलचस्पी भी बढ़ेगी. यह नियम पुराने पेट्रोल-डीजल वाहनों के लिए पहले से लागू है, जिन्हें 15 साल बाद बंद कर दिया जाता है, लेकिन EVs को इससे छूट मिल सकती है.
EV को मिलेगी राहत?
- दरअसल, CAFE नियम, जो गाड़ियों की ईंधन खपत और प्रदूषण को कम करने के लिए बनाए गए हैं, अब बसों, ट्रकों और माल ढोने वाले वाहनों पर भी लागू होंगे. हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को कुछ छूट दी जाएगी ताकि इनका इस्तेमाल और बिक्री बढ़ाई जा सके. ये फैसला नीति आयोग के सदस्य राजीव गौबा की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया. बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि EVs की रफ्तार अभी काफी धीमी है. फिलहाल EVs की बाजार हिस्सेदारी सिर्फ 7.6% है, जबकि सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक यह 30% तक पहुंच जाए.
EV के लिए बने नए रास्ते
- सड़क परिवहन सचिव वी उमाशंकर ने बैठक में बताया कि ज्यादातर पुरानी (15 साल से अधिक) बसें निजी मालिकों के पास हैं. इस अनुभव से सीखते हुए नीति आयोग ने सुझाव दिया कि EVs के लिए EoL नियम को हटाया जाए. इस कदम से EVs की बिक्री में तेजी आ सकती है. साथ ही, यह भी बताया गया कि EV को अनिवार्य करना तभी असरदार होता है जब इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से तैयार हो.
अब बनेगा EV अपनाने का नियम
- सरकार अब सिर्फ प्रोत्साहन (इंसेंटिव) देने तक सीमित नहीं रहना चाहती. अब उन जगहों पर EV को जरूरी किया जाएगा, जहां ढांचा तैयार है. जो कंपनियां या लोग EV नहीं अपनाएंगे, उनके लिए नुकसानदायक नीति (डिसइंसेंटिव) लाई जा सकती है. इसके साथ-साथ पांच शहरों को चुना गया है, जहां पूरी तरह EV आधारित बसें, ऑटो और मालवाहक वाहन चलाए जाएंगे.
- EV की सफलता के लिए चार चीजें – चार्जिंग स्टेशनों की आसानी से उपलब्धता, तेज चार्जिंग की सुविधा, बेहतर बैटरी टेक्नोलॉजी और गाड़ी खरीदने के लिए आसान फाइनेंस विकल्प बेहद जरूरी मानी जा रही हैं. हालांकि, बैंकों से बातचीत में यह सामने आया है कि वे अभी भी EV पर लोन देने से हिचक रहे हैं, जिसका मुख्य कारण है बैटरियों की ज्यादा कीमत और उनकी सीमित उम्र, जो लगभग 6 से 7 साल होती है. चूंकि बैटरी ही EV की कुल कीमत का 40 से 50 प्रतिशत तक हिस्सा होती है, इसलिए ये काफी महंगी पड़ती है. इसी वजह से सरकार से आग्रह किया गया है कि वह बैटरियों के लिए साफ-साफ मानक तय करे और कुछ सब्सिडी या वित्तीय सहायता भी दे, जिससे EV को अपनाने की रफ्तार बढ़ सके
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