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वाहन मालिक जान लें ये बड़ी खबर, जल्द ही बदलने वाला है आपकी गाड़ी के टायर का डिजाइन
नई व्यवस्था लागू होने से अब टायर पहले की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होंगे. सरकार ने टायर के नियमों में जो बदलाव किए हैं उसके बाद अब टायर के लिए तीन स्टैंडर्स तय किए गए हैं.
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Vehicle's tyre design update: यदि आप भी हैं किसी वाहन के मालिक हैं तो यह जानकारी आपके काम की होने वाली है. भारत सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट (MVA) में कई नए नियम लागू किए हैं. जिनके अनुसार आगामी 1 अक्टूबर 2022 से आपकी गाड़ी के टायर का डिजाइन बदलने वाला है. इसी नियम के अनुसार 1 अक्टूबर से भारत में गाड़ियों के टायर नए डिजाइन के अनुरूप होंगे. हालांकि लोगों को अपने वाहनों में नए टायर लगवाने के लिए सरकार 31 मार्च तक का समय भी देगी. 1 अप्रैल 2023 से इन नए डिजाइन के टायरों को हर गाड़ी में लगा होना अनिवार्य होगा. ऐसा न करने की स्थिती में आप पर कार्रवाई की जा सकती है. विस्तार से जानिए क्या है नया नियम.
क्या है मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव
आप भी बाजार से कोई सामान खरीदते या कोई कोई सर्विस लेते समय प्रोवाइडर कंपनी या एजेंट की रेटिंग जरूर देखते होंगे. लेकिन टायरों के मामले में अभी तक ऐसा नहीं होता था. अब सरकार ने टायर्स के स्टार रेटिंग को अनिवार्य करने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट में कुछ बदलाव किया है. इस नई सुविधा के लागू होने के बाद अब टायर खरीदने से पहले ग्राहक उससे जुड़ी हर जानकारी प्राप्त कर सकेगा.
कितने प्रकार के होते हैं टायर
टायर पर बात करने से पहले ये जान लेना जरूरी हो जाता है कि कितने प्रकार के टायर बाजार में उपलब्ध हैं. विशेषज्ञों की मानें तो टायर 3 प्रकार के होते हैं. पहला होता है C1 जो कि पैसेंजर कार में प्रयोग होता है. दूसरा C2 प्रकार है जिनका इस्तेमाल छोटी कमर्शियल गाड़ियों में किया जाता है. C3 कैटेगरी का टायर का उपयोग कमर्शियल गाड़ियों में होता है.
डिजाइन बदलने का कारण
नई व्यवस्था लागू होने से अब टायर पहले की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होंगे. सरकार ने टायर के नियमों में जो बदलाव किए हैं उसके बाद अब टायर के लिए तीन स्टैंडर्स तय किए गए हैं. जो रोलिंग रेजिस्टेंस, वेट ग्रिप और रोलिंग साउंड एमिशंस के रूप में जानें जाएंगे. अब टायर कंपनियां इन नियमों के आधार पर BIS के मानकों के अनुरूप टायर बनाएंगी.
इन्हें भी जानें
जैसा कि हमने समझा कि अब कंपनियां टायर को निर्माण करने में 3 नए मानकों का पालन करेंगी. तो आइए इन नए मानकों को भी समझते हैं.
- रोलिंग रेजिस्टेंस- वह ऊर्जा जो कार को या वाहन को खींचने या पुल करने के लिए लगती है वो रोलिंग रेजिस्टेंस कहलाती है. अगर यह कम है तो टायर को ज्यादा ताकत लगाना पड़ता है.
- वेट ग्रिप- गीली सड़कों पर टायर टायर फिलने लगते हैं जिससे कई बार हादसा होने का खतरा बन जाता है, ऐसे में अब वेट ग्रिप, टायर और सड़क के बीच फ्रिक्शन का कम नहीं होने देता. नए डिजाइन में इसको और बेहतर बनाया जाएगा.
- रोलिंग साउंड एमिशंस- टायर जब पुराना होता है तो गाड़ी चलने के दौरान टायर से बहुत आवाज आती है. सरकार ने नए नियम में टायर कंपनियों को इसमें सुधार करने को कहा है.
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