गुरु की अतिचारी चाल 2025 में लाएगी सुख या संकट?
गुरु ग्रह 2025 में तीन बार अतिचारी चाल चलने वाले हैं, जिससे राशियों से लेकर वैश्विक स्तर तक बड़े बदलाव संभव हैं. ज्योतिष में यह एक गंभीर और महत्वपूर्ण संयोग माना जाता है.

गुरु का अतिचारी गोचर 2025 में ना सिर्फ आपकी कुंडली, बल्कि दुनियाभर की राजनीति, अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है. उचित उपाय और ज्योतिषीय सलाह समय रहते लेने से इन प्रभावों को संतुलित किया जा सकता है. गुरु जब अतिचारी होते हैं तो क्या प्रभाव पड़ता है, आइए पूर्व घटनाओं से समझते हैं.
गुरु की अतिचारी चाल
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अतिचारी चाल का मतलब है कि बहुत तेज चलना और त्वरित होना. यहां गुरु की अतिचारी चाल का अर्थ है कि गुरु जिस राशि में मौजूद हैं, वहां सामान्य चाल ना चलकर बहुत तेजी से गोचर कर रहे हों.
आमतौर पर गुरु एक राशि से दूसरी राशि में 12 से 13 महीने तक मौजूद रहते हैं लेकिन अतिचारी होते हैं, तब वह जल्दी राशि परिवर्तन करते हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों में जैसे करियर, पारिवारिक जीवन, लव लाइफ, तरक्की आदि समेत सभी महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं.
ज्योतिष में गुरु ग्रह ज्ञान, करियर, शिक्षा, भाग्य, धर्म, संतान, धन, वैवाहिक जीवन आदि के कारक ग्रह हैं., जब गुरु अतिचारी चाल चलते हैं तब इनके जल्दी प्रभाव देखने को मिलते हैं.
गुरु साल 2025 में 3 बार बदलेंगे चाल
गुरु ग्रह 14 मई को अचितारी चाल से मिथुन राशि में गोचर करेंगे और फिर 11 नवंबर को वक्री चाल चलते हुए फिर 5 दिसंबर को मिथुन राशि में फिर से गोचर कर जाएंगे.
गुरु अतिचारी चाल में तीन गुणा अधिक तेजी के साथ चलते हैं और बहुत कम समय में राशि परिवर्तन करके वक्री अवस्था लौट जाते हैं. ऐसे में साल 2025 में गुरु तीन बार अपनी चाल बदलने वाले हैं. गुरु की अतिचारी चाल से मेष राशि, सिंह राशि, कन्या राशि, तुला राशि, कुंभ राशि और मीन राशि वालों के सुख-सौभाग्य में अच्छी वृद्धि होगी.
गुरु के अतिचारी होने पर हुई थी इतिहास में कई बड़ी घटनाएं
महाभारत युद्ध- महाभारत काल में ठीक ऐसी ही घटना घटित हुई थी जब देवगुरु पूरे आठ वर्ष के लिए अतिचारी अवस्था में गोचर किए थे और उसका परिणाम किसी से छुपा नहीं है. उस समय कौरवों और पांडवों के बीच जबरदस्त युद्ध हुआ था. इतना अधिक रक्तचाप होने के बाद ही पांडवों ने सत्ता हासिल कर पाया था.
- द्वितीय विश्य युद्ध- साल 1938 में भी गुरु अतिचारी हुए थे. गुरु 31 मार्च 1038 को कुंभ राशि में गोचर किया था. इसके बाद 30 सितंबर को मकर राशि और 7 नवंबर को पुनरू कुंभ राशि में आ गए थे उस समय भी दुनिया पर काफी खतरा मंडराया था. उस समय हिटलर के प्रकोप के अलावा साल 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था. जिसमें करोड़ों लोगों ने अपनी जान गवाई थी.
- भारत देश आजाद- साल 1947 में भी गुरु अतिचारी हुए थे. 18 जनवरी को गुरु वृश्चिक राशि में प्रवेश किया था. इसके बाद 11 मई को तुला राशि और 17 सितंबर को पुनरूवृश्चिक राशि में आ गए थे.उस समय देशभर में आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इसके साथ ही 15 अगस्तए 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली थी.
- कोरोना- साल 2020 में भी गुरु अतिचारी हुए थे. 30 मार्च 2020 को गुरु मकर राशि में प्रवेश करके अतिचारी हुए थे और 30 जून को पुनरू राशि परिवर्तन करके धनु राशि में प्रवेश किए थे और नवंबर में दोबारा मकर राशि में आ गए थे.
गुरु की तेज गति से चलने से दुनियाभर के लोगों को कोरोना वायरस की महामारी का प्रकोप झेलना पड़ा था. जिसमें लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी काफी बुरा असर पड़ा था. हालांकि इसे राहु.केतु की स्थिति के कारण माना जाता है. लेकिन कोरोना काल गुरु के कारण भी हुआ था.
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Source: IOCL



















