Grah Gochar 2025: ग्रहों का राशि परिवर्तन, जानें राशियों पर प्रभाव और समय अवधि!
Grah gochar: ग्रह गोचर ज्योतिष में ग्रहों का राशि परिवर्तन है, जो सभी राशियों और व्यक्तियों पर अलग-अलग प्रभाव डालती है. तो आइए गोचर का सूर्य से लेकर राहु तक प्रभाव जानें...

Grah gochar 2025: ग्रह गोचर ज्योतिषीय शब्दावली है, जिसका अर्थ है ग्रहों का अपनी निर्धारित गति से राशिचक्र में एक राशि से दूसरी राशि में गमन करना या चलना. यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है और सूर्य से लेकर राहु-केतु तक सभी ग्रहों की अपनी गति होती है, जिससे समय-समय पर उनकी स्थिति बदलती रहती है.
ग्रहों के इस गोचर (गति) का सभी राशियों और व्यक्तियों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
क्या होता है ग्रहों का गोचर
ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों का गोचर ग्रहों के राशिचक्र में निरंतर चलने को कहते हैं, जहां हर ग्रह एक निश्चित समय में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है. यह प्रक्रिया हर व्यक्ति के जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव डालती है, जिससे भाग्य और घटनाओं में परिवर्तन आते हैं.
सूर्य एक महीने में राशि बदलता है, जबकि शनि ढाई साल में राशि परिवर्तन करता है.
गोचर का सूर्य से लेकर राहु तक प्रभाव जानें...
गोचर ज्योतिष में ग्रहों के राशिचक्र में एक राशि से दूसरी राशि में जाने की प्रक्रिया है और इसका प्रभाव सूर्य, चंद्र, बुध, मंगल, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी ग्रहों के लिए अलग-अलग समय अवधि और विशेषताओं के आधार पर होता है.
यह गोचर व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य, नौकरी, धन और रिश्तों को प्रभावित करता है. गोचर का शुभ फल तीसरे, छठे, और ग्यारहवें भाव में मिलता है, जबकि अशुभ फल चौथे, आठवें, और बारहवें भाव में मिलता है.
ग्रहों के गोचर की अवधि और प्रभाव
सूर्य: सूर्य हर महीने राशि बदलता है. पिता, आत्मा और पद-प्रतिष्ठा का कारक है. सूर्य का गोचर व्यक्ति की आत्म-छवि, पारिवारिक और राजनीतिक समस्याओं पर असर डालता है.
चंद्रमा: चंद्रमा सबसे तेज चलने वाला ग्रह है और इसका गोचर लगभग सवा दो दिन का होता है.
बुध: बुध का गोचर लगभग 14 से 21 दिनों तक रहता है.
शुक्र: शुक्र लगभग 23 से 26 दिनों में राशि बदलता है.
मंगल: मंगल का गोचर करीब डेढ़ महीने या 45 दिनों का होता है.
बृहस्पति (गुरु): बृहस्पति एक राशि में एक साल या 12 महीने तक रहता है और इसका गोचर शुभ और अशुभ दोनों तरह का फल देता है.
शनि: शनि की गति धीमी होने के कारण इसका गोचर सबसे लंबा होता है और यह ढ़ाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में जाता है.
राहु और केतु: राहु और केतु 18 महीने तक एक राशि में रहते हैं और ये व्यक्ति को भ्रमित करते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले जानकारियों संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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