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Markesh Dosh: कुंडली में मारकेश: कितना खतरनाक और कष्टकारी? जानें इसका रहस्य और बचाव के उपाय!

Markesh Dosh: कुंडली में मारकेश क्या होता है, इसका नाम आते ही लोग क्यों डर जाते हैं, इसे कैसे पहचाना जाता है, और इसका कुंडली में क्या प्रभाव पड़ता है.इन तमाम प्रश्नों के उत्तर आइए जानते हैं.

Markesh Dosh: ज्योतिष शास्त्र में "मारकेश" एक महत्वपूर्ण ग्रह स्थिति होती है, जो जातक की आयु, स्वास्थ्य और जीवन की अनिश्चितताओं से जुड़ी होती है. कई लोग इसे घातक मानते हैं, लेकिन क्या वास्तव में मारकेश का प्रभाव इतना गंभीर होता है? 

मारकेश का अर्थ और परिभाषा (Markesh Dosh Kya Hota Hai)

संस्कृत में "मारकेश" का अर्थ होता है "मृत्युकारक ग्रह". जन्म कुंडली में द्वितीय और सप्तम भाव के स्वामी को मुख्य रूप से मारकेश माना जाता है. इसके अलावा, यदि कोई क्रूर ग्रह (मंगल, शनि, राहु, केतु) इन भावों में स्थित हो या इनके स्वामी से दृष्टि संबंध बनाए, तो वे भी मारकेश का कार्य कर सकते हैं.

मारकेश को लेकर ज्योतिषीय प्रमाणिक ग्रंथों में क्या लिखा है-

बृहत् पाराशर होरा शास्त्र में उल्लेख

द्वितीयसप्तमस्थानस्था ग्रहाः पापसंयुताः.
मारकाः परिकीर्त्यन्ते जीवधातु विनाशकाः॥

अर्थ: द्वितीय और सप्तम भाव में स्थित ग्रह, विशेषकर यदि वे पाप ग्रह हों, तो वे मारकेश कहलाते हैं और जातक के स्वास्थ्य व जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं.

फलदीपिका में मारकेश 

द्वितीयसप्तमेशश्च यदा दुष्टग्रहैर्युतः.
प्रयाणं कुरुते शीघ्रं कालसन्धिषु निश्चितम्॥

अर्थ: यदि द्वितीय और सप्तम भाव के स्वामी अशुभ ग्रहों से युक्त हों, तो जातक की आयु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

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मारकेश ग्रह की पहचान कैसे करें?

  • द्वितीय और सप्तम भाव के स्वामी का कमजोर या पीड़ित होना
  • शनि देव, मंगल या राहु-केतु की अशुभ दृष्टि से प्रभावित होना
  • सप्तम भाव में पाप ग्रहों की स्थिति
  • मंगल या शनि का नीच राशि में होना

मारकेश का निर्धारण कैसे करें?

किसी भी जातक की कुंडली में मारकेश का निर्धारण निम्नलिखित आधार पर किया जाता है:

  • द्वितीय और सप्तम भाव के स्वामी - ये दोनों भाव मरण कारक भाव माने जाते हैं. यदि इनके स्वामी पाप ग्रहों से पीड़ित हों, तो जातक के लिए कष्टदायक होते हैं.
  • अष्टमेश और लग्नेश का संबंध - यदि अष्टम भाव का स्वामी और लग्नेश के बीच संबंध हो, तो भी यह मारकेश का कार्य कर सकता है.
  • शनि, मंगल, राहु और केतु का प्रभाव - यदि ये ग्रह द्वितीय या सप्तम भाव में स्थित हों या इन भावों के स्वामी पर दृष्टि डालें, तो वे मारकेश बन सकते हैं.

गोचर का प्रभाव - यदि मारकेश ग्रह की महादशा/अंतरदशा में अशुभ गोचर घटित हो, तो वह जातक के जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.

मारकेश का प्रभाव (Markesh Ka Prabhav)

सकारात्मक प्रभाव:

हर स्थिति में मारकेश अशुभ नहीं होता. यदि कुंडली में शुभ ग्रहों का प्रभाव अधिक हो, तो मारकेश परिवर्तनकारी भूमिका भी निभा सकता है. यह पुराने कष्टों को समाप्त कर नए अवसर प्रदान कर सकता है.

नकारात्मक प्रभाव:

  • लंबे समय तक चलने वाली बीमारियां हो सकती हैं.
  • आर्थिक समस्याएं और पारिवारिक कलह बढ़ सकती हैं.
  • मानसिक तनाव और अनिश्चितता बनी रह सकती है.

मारकेश पर सबसे अधिक पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

1. मारकेश ग्रह कौन से होते हैं?

उत्तर: ज्योतिष में द्वितीय और सप्तम भाव के स्वामी को मारकेश ग्रह कहा जाता है।

2. मारकेश दोष को कैसे ठीक किया जा सकता है?

उत्तर: मारकेश दोष को दूर करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप, हवन और आयुर्वेदिक उपाय अपनाने चाहिए।

3. मारकेश ग्रह किस प्रकार से व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है?

उत्तर: यह ग्रह गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ, वित्तीय संकट और अचानक दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।

मारकेश से बचाव के उपाय (Markesh Dosh Ke Upay)

  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
  • हर शनिवार को शनि देव को तेल चढ़ाएं.
  • द्वितीय और सप्तम भाव के स्वामी से संबंधित ग्रहों की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान करें.
  • ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं.

ज्योतिष के विद्वानों की मानें तो मारकेश को केवल भय का कारण नहीं मानना चाहिए. यदि कुंडली में सही संतुलन हो और उचित उपाय किए जाएं, तो इसका प्रभाव कम हो सकता है. ज्योतिष शास्त्र केवल भविष्यवाणी का साधन नहीं है, बल्कि जीवन को समझने और सुधारने का मार्ग भी प्रदान करता है. अपने कर्म और अध्यात्म से व्यक्ति इस स्थिति में भी श्रेष्ठ फल प्राप्त कर सकता है.

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About the author Hirdesh Kumar Singh

हृदेश कुमार सिंह- वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य। मीडिया रणनीतिकार। डिजिटल कंटेंट विशेषज्ञ

हृदेश कुमार सिंह 25 वर्षों से वैदिक ज्योतिष, धर्म, अध्यात्म और डिजिटल पत्रकारिता पर कार्य कर रहे एक बहुआयामी विशेषज्ञ हैं. वर्तमान में वे ABPLive.com में Astro और Religion सेक्शन का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां वे ग्रहों की चाल को आधुनिक जीवन की दिशा में बदलने वाले संकेतों के रूप में प्रस्तुत करते हैं.

इन्होंने Indian Institute of Mass Communication (IIMC, New Delhi) से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है और Astrosage व Astrotalk जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स के साथ भी ज्योतिष सलाहकार के रूप में कार्य किया है. वे मीडिया रणनीति, कंटेंट लीडरशिप और धार्मिक ब्रांडिंग के विशेषज्ञ हैं.

प्रसिद्ध भविष्यवाणियां जो समय के साथ सच साबित हुईं- IPL 2025 के विजेता की पूर्व घोषणा. हनी सिंह की वापसी और संगीत सफलता. भारत में AI नीति बदलाव की अग्रिम भविष्यवाणी. डोनाल्ड ट्रंप की पुनः राष्ट्रपति पद पर वापसी और उसके बाद के निर्णय. पुष्पा 2: द रूल की बॉक्स ऑफिस सफलता और अल्लू अर्जुन के करियर ग्राफ.

शेयर बाजार क्रैश 2025 और दिल्ली की मुख्यमंत्री को लेकर भविष्यवाणी. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई का सटीक पूर्वानुमान. क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी के डेब्यू और लोकप्रियता का संकेत. ये सभी भविष्यवाणियां शुद्ध वैदिक गणना, गोचर, दशा-अंतरदशा और मेदिनी ज्योतिषीय विश्लेषण पर आधारित थीं, जिन्हें समय ने सत्य सिद्ध किया.

विशेषज्ञता के क्षेत्र: वैदिक ज्योतिष, संहिता, होरा शास्त्र, अंक ज्योतिष और वास्तु. करियर, विवाह, शिक्षा, लव लाइफ, बिज़नेस, हेल्थ के लिए ग्रहों और मनोविज्ञान का समन्वित विश्लेषण. कॉर्पोरेट नीति, ब्रांड रणनीति और मीडिया कंटेंट प्लानिंग में ज्योतिषीय हस्तक्षेप. डिजिटल धर्म पत्रकारिता और गूगल रैंकिंग के अनुकूल धार्मिक कंटेंट का निर्माण करने में ये निपुण हैं.

उद्देश्य: 'ज्योतिष को भय या भाग्य का उपकरण नहीं, बल्कि जीवन के लिए बौद्धिक और आध्यात्मिक सहारा बनाना' हृदेश कुमार सिंह का मानना है कि ज्योतिष केवल प्रश्नों का उत्तर नहीं देता, वह सही समय पर साहसिक निर्णय लेने की दिशा दिखाता है.

अन्य रुचियां: फिल्मों की संरचनात्मक समझ, संगीत की मनोवैज्ञानिक गहराई, साहित्यिक दर्शन, राजनीति की परख. बाजार की समझ और यात्राओं से अर्जित मानवीय अनुभव ये सभी उनके लेखन में एक बहुस्तरीय अंतर्दृष्टि जोड़ते हैं. उनकी रुचियां केवल विषयगत नहीं, बल्कि उनके हर लेख, भविष्यवाणी और रणनीति को संवेदनशीलता और संस्कृति से जोड़ने वाली ऊर्जा हैं.

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