यह समय केवल क्रिया का नहीं, बल्कि योजना का है. इस अवधि में दुनिया के कई हिस्सों में युद्धों की रणनीतियां नए रूप में आकार ले सकती हैं.
युद्ध के बादल क्या फिर मंडरा रहे हैं, वृश्चिक राशि में मंगल गोचर क्या संकेत दे रहा है? जानें
27 अक्टूबर से 7 दिसंबर 2025 तक मंगल वृश्चिक राशि में रहेगा. यह गोचर सीधे युद्ध नहीं, बल्कि तैयारी, तकनीक और रणनीतिक बदलावों का समय बना सकता है.रूस-यूक्रेन, मिडिल ईस्ट, भारत और एशिया-पैसिफिक के लिए क्या संकेत हैं, जानें.

मंगल ग्रह ऊर्जा, संघर्ष और निर्णय का प्रतिनिधित्व करता है. जब यह अपनी ही राशि, वृश्चिक में आता है, तो उसका प्रभाव केवल बाहरी नहीं होता, यह भीतर तक प्रभावित करता है. वृश्चिक स्वयं गहराई, रहस्य और रणनीति की राशि मानी जाती है.
इसलिए 27 अक्टूबर से 7 दिसंबर 2025 तक का यह समय केवल क्रिया का नहीं, बल्कि योजना का है. दुनिया के कई हिस्सों में जो युद्ध पहले से चल रहे हैं, उनके पीछे की रणनीतियां अब नए रूप में आकार ले सकती हैं. कैसे आइए ग्रहों की चाल से जानते हैं.
27 अक्टूबर से 7 दिसंबर 2025, इस अवधि में तीनों जल तत्व राशियां जैसे कर्क, वृश्चिक और मीन एक साथ सक्रिय रहेंगी. गुरु कर्क में, मंगल वृश्चिक में और शनि मीन में गोचर करेंगे. यही त्रिकोण भावनाओं से अधिक व्यवहारिकता और सुरक्षा की प्रवृत्ति जगाता है.
ऐसे समय में राष्ट्र अपने जलमार्ग, खुफ़िया नेटवर्क और तकनीकी ढांचे को लेकर अधिक सावधान हो जाते हैं. यह सीधे युद्ध का नहीं, बल्कि जल और डेटा दोनों के क्षेत्र में सक्रियता का समय होता है.
रूस और यूक्रेन के संदर्भ में यह गोचर दिलचस्प है. रूस की कुंडली में मंगल सत्ता और सैन्य नीति से जुड़े भाव को प्रभावित कर रहा है. इससे यह माना जा सकता है कि रूस अपनी सैन्य नीति में फिर से आक्रामक रुख अपनाने की कोशिश करेगा.
यूक्रेन की कुंडली में यह ग्रह रक्षा और सहयोग के भाव से जुड़ा है. यह संकेत देता है कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों पर और अधिक निर्भर रहेगा. दोनों के बीच संघर्ष की दिशा बदल सकती है तेज़ी नहीं, पर रणनीति जरूर बदलेगी.
मिडिल ईस्ट में इज़राइल के लिए यह गोचर सीधे उसके शत्रु भाव को प्रभावित करता है. वृश्चिक का मंगल हमेशा योजनाबद्ध और सटीक कार्रवाई की ओर झुकाव देता है. इसलिए यह अवधि सीमित और उद्देश्यपूर्ण कार्रवाइयों की हो सकती है. खुला युद्ध नहीं, लेकिन जवाबी हमले या हवाई अभियानों की संभावना बनी रहेगी. सूर्य और मंगल का संयोग नवंबर के तीसरे सप्ताह में इज़राइली नीति को कुछ समय के लिए और आक्रामक बना सकता है.
भारत की वृषभ लग्न कुंडली के अनुसार 27 अक्टूबर से 7 दिसंबर 2025 के बीच मंगल का वृश्चिक में गोचर सप्तम भाव से हो रहा है, जो शत्रु, विदेश नीति और रक्षा रणनीति का भाव है. यह स्थिति संकेत देती है कि भारत इस अवधि में अपनी सीमाओं और विदेश नीति को लेकर अधिक सतर्क और दृढ़ रहेगा.
शासन-स्तर पर सुरक्षा से जुड़े फैसले तेजी से लिए जा सकते हैं, जबकि सेना और नौसेना से संबंधित गतिविधियां व्यावहारिक रूप से बढ़ेंगी. सीमाओं पर तनाव भले न बढ़े, पर देश की तैयारी और निगरानी दोनों मजबूत होंगी. यह समय युद्ध नहीं, बल्कि रणनीति और सजगता का है, जहाँ भारत अपनी सुरक्षा नीतियों को भीतर से सुदृढ़ करता दिखाई देगा.
एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में यह गोचर एक बार फिर उस छाया युद्ध को तेज़ करेगा,जो समुद्रों और तकनीक के बीच चल रहा है. दक्षिण चीन सागर और ताइवान स्ट्रेट ऐसे क्षेत्र हैं जहां इस समय घोषित युद्ध की संभावना नहीं, पर लगातार संदेशात्मक गतिविधियां जारी रहेंगी. यह समय शक्ति के संतुलन को परखने और सीमाओं की परीक्षा लेने का है.
शास्त्रों में कहा गया है कि मंगलो युद्धकारकः स्वगृहे गुप्तकर्मसु. अर्थात जब मंगल अपनी ही राशि में होता है, तब युद्ध नहीं, बल्कि गुप्त नीतियों और तैयारी का दौर चलता है. राजा या राष्ट्र अपनी योजनाओं को भीतर से मजबूत करते हैं और बाहर से संयम बनाए रखते हैं. यह वही समय है जब रणनीति, नीति और निर्णय तीनों भीतर-ही-भीतर गहराते हैं.
यह गोचर किसी युद्ध की शुरुआत नहीं करेगा, लेकिन पहले से चल रहे संघर्षों को दिशा देगा. दुनिया के कई हिस्सों में सैन्य गतिविधियां तकनीकी और रणनीतिक रूप लेंगी. 7 दिसंबर के बाद जब मंगल धनु में जाएगा, तो यह तैयारी और योजना की जगह संवाद और नीति-घोषणाओं का काल बनेगा. अभी का समय मौन का है पर यह मौन निश्चिंत का संकेत नहीं, सचेत रहने का है.
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Frequently Asked Questions
27 अक्टूबर से 7 दिसंबर 2025 तक का समय किस चीज़ का प्रतिनिधित्व करता है?
इस अवधि में जल तत्व राशियों का क्या प्रभाव रहेगा?
कर्क, वृश्चिक और मीन राशियां सक्रिय रहेंगी, जिससे व्यवहारिकता और सुरक्षा की प्रवृत्ति बढ़ेगी. राष्ट्र जलमार्गों, खुफ़िया नेटवर्क और तकनीकी ढांचे को लेकर अधिक सावधान हो जाएंगे.
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष पर इस गोचर का क्या प्रभाव पड़ेगा?
रूस अपनी सैन्य नीति में आक्रामक रुख अपना सकता है, जबकि यूक्रेन अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों पर अधिक निर्भर रहेगा. दोनों के बीच संघर्ष की दिशा बदलेगी, पर तेज़ी नहीं.
भारत के लिए इस अवधि का क्या महत्व है?
भारत अपनी सीमाओं और विदेश नीति को लेकर अधिक सतर्क और दृढ़ रहेगा. सुरक्षा से जुड़े फैसले तेजी से लिए जा सकते हैं और सेना-नौसेना की गतिविधियां बढ़ेंगी.
यह गोचर किस प्रकार के संघर्षों को बढ़ावा देगा?
यह गोचर किसी युद्ध की शुरुआत नहीं करेगा, बल्कि पहले से चल रहे संघर्षों को तकनीकी और रणनीतिक दिशा देगा. यह शक्ति संतुलन परखने और सीमाओं की परीक्षा लेने का समय है.
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