Astrology : कुंडली में प्रसन्न मंगल करते है जीवन में मंगल ही मंगल, कैसा है आपका मंगल जानें
Astrology : स्वभाव से क्रूर ग्रह मंगल आपके लिए कैसे देने वाले हैं फल. जानिए आपके किस भाव में बैठकर कैसे दे रहे हैं अपना असर.

Astrology : ग्रहों के सेनापति मंगल नैसर्गिक रूप से पुरुष प्रवृत्ति के ग्रह है. मंगल का स्वभाव क्रूर है. मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी होने के कारण इन राशियों का आधिपत्य इनके पास होता है. सूर्य, चंद्र एवं बृहस्पति इनके मित्र और शुभ कारक ग्रह हैं एवं बुध इनके शत्रु ग्रह होते है. मंगल को पृथ्वी का पुत्र कहा जाता है. जन्म कुंडली में मंगल ग्रह की अच्छी स्थिति एवं शुभ ग्रहों के साथ युति व्यक्ति को जीवन में सफलता प्रदान करती है. आज हम बात करने जा रहे हैं कि जन्म कुंडली में मंगल किस भाव में होने से व्यक्ति को क्या फल मिलता है आइए इसको समझते हैं-
- मंगल जन्मकुंडली में यदि लग्न अर्थात पहले भाव में बैठ जाए तो ऐसा व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य वाला, हष्ट - पुष्ट देह युक्त और महत्वाकांक्षी होता है. मंगल के शुभ होने पर व्यक्ति स्पष्टवक्ता, सज्जन एवं दयालु होते हैं और कहीं मंगल अशुभ हो जाए तो ऐसा व्यक्ति लड़ाई - झगड़ा करने वाला होता है.
- मंगल जन्मकुंडली में दूसरे भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि वाला और समझदार होता है. शुभ मंगल व्यक्ति को निर्भीक, साहसी एवं स्पष्टवक्ता बनाता है. वहीं कुंडली में अशुभ मंगल हो तो ऐसे व्यक्ति को प्रारंभिक विद्या अध्ययन में मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और पारिवारिक लोगों के साथ विवाद रहता है.
- मंगल तीसरे भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति परिवार में मुखिया की जिम्मेदारियों को निभाता है. शुभ मंगल वाला व्यक्ति अपने भाइयों का संरक्षक होता है. यदि मंगल अशुभ हो जाए तो व्यक्ति भाग्यहीन होते हुए धन को लेकर अधिक संघर्ष करता है.
- जन्मकुंडली में मंगल चौथे भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति निर्भीक, साहसी एवं कर्मशील होते है. ईमानदारी के साथ जीवन को जीना पसंद करते हैं. भलाई के कार्य करते रहना इनके स्वभाव में होता है. ये अच्छे मित्र होते हैं. अशुभ मंगल होने पर व्यक्ति स्वभाव से क्रूर होते हैं. धन होते हुए भी यह उसका सदुपयोग नहीं कर पाते. जमीन को लेकर विवादित रहते हैं.
- मंगल पांचवें भाव में हों तो व्यक्तियों में खिलाड़ियों की प्रवृत्ति होती है यदि बचपन से सही दिशा मिले तो व्यक्ति खिलाड़ी भी बन सकता है. मंगल की अतिशुभता इन्हें खेल के क्षेत्र में उच्च स्थान दिला सकती है. कुण्डली में मंगल को यदि सूर्य का सहयोग प्राप्त हो जाए तो चिकित्सा क्षेत्र में भी अपने झंडे गाड़ सकता है. वहीं मंगल की खराब स्थिति इन्हें हिंसक एवं अपराधी प्रवृत्ति का बना सकती है.
- ग्रहों के सेनापति मंगल के जन्मकुंडली में छठे भाव में होने पर व्य़क्ति बहुत धन सम्पदा वाला होता है. सत्यनिष्ठा और आदर्शवादिता इनके प्रमुख गुण होते हैं. जन कल्याण इनका लक्ष्य रहता है. अशुभ मंगल होने पर व्यक्ति लापरवाह एवं आलसी होते है. इनके इसी अवगुण के कारण शत्रु पक्ष इन पर हावी रहते है.
- सातवें भाव में मंगल होने पर व्यक्ति दृढ़ निश्चयी एवं परिश्रमी होते हैं यह लोग बुद्धिमान एवं विवेकी होते हैं. यह उच्च शिक्षा में फल प्राप्त करते हैं. अशुभ मंगल होने पर यह कलह प्रिय हो जाते हैं इनके इस स्वभाव के कारण पत्नी व मित्रों के साथ संबंध खराब हो जाते हैं.
- आठवें भाव में मंगल व्यक्ति को साहसी, निडर एवं परिश्रमी बनाते हैं. ऐसे व्यक्ति जीवन में बहुत धैर्य से काम लेते हैं और सफलता पाते हैं. अशुभ मंगल वाला व्यक्ति अपने भाईयों के प्रति दुर्भाव रखता है और इनको छोटी आयु में ही विपत्तियों का सामना करना पड़ता है.
- जन्मकुंडली में नवें भाव में मंगल व्यक्ति को एक योद्धा अथवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का व्यापारी बनाता है. ऐसा व्यक्ति अपना भाग्य स्वयं बनाने वाला होता है वहीं अशुभ मंगल होने पर व्यक्ति गुस्से वाला होता है. इसका स्वभाव क्रूर और निर्दयी होता है. यह भगवान से ज्यादा स्वयं की मेहनत पर अधिक विश्वास रखते हैं.
- दसवें भाव में मंगल होने पर व्यक्ति धीर, वीर एवं गंभीर होता है. ऐसे व्यक्ति किसी पर आश्रित नहीं होते है. अपनी मेहनत से नौकरी एवं कार्यक्षेत्र में भी यह उच्च पद प्राप्त करते हैं. वहीं अशुभ मंगल होने पर व्यक्ति स्वभाव से क्रोधी होता है, संतान देर से होती है.
- जन्म कुंडली में यदि मंगल ग्रह ग्यारहवें भाव में बैठ जाए तो ऐसा व्यक्ति धनवान एवं बलवान होता है. ऐसा व्यक्ति अपनी मेहनत से अपने भाग्य का निर्माण करता है. ऐसे व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं व भौतिक सुखों को प्राप्त हैं. वहीं अशुभ मंगल व्यक्ति को भाग्यहीन बनाते हैं. परिवार में सदा क्लेश बना रहता है गृहस्थ जीवन बहुत सुखमय नहीं रहता है.
- बारहवें भाव में मंगल ग्रह व्यक्ति को उच्च शिक्षा दिलाने वाला होता है. दीन दुखियों की सेवा करने में इन्हें सुख मिलता है. अशुभ मंगल होने से व्यक्ति कोई काम आराम से नहीं कर पाते हैं. अधिकतर भाग्य इनका साथ नहीं देता है.
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