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Organic Farming: बच्चों को केमिकल फ्री खाना खिलाने के लिए मां बन गई किसान....किचन वेस्ट से बनाए फर्टिलाइजर, बहुत इंसपाइरिंग है ये स्टोरी
Successful Urban Farmer: सुभश्री संथ्या ने अपने बच्चे की हार्ट सर्जरी के बाद घर की बालकनी में ऑर्गेनिक वेजिटेबल उगाना शुरू किया और आज 1 एकड़ जमीन पर केमिकल फ्री खेती कर रही हैं.
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Urban Farming: हर मां-बाप अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी लाइफस्टाइल देना चाहते हैं. इस बीच बच्चों को हेल्दी और न्यूट्रिशन से भरपूर खाना खिलाना भी अपने आप में बड़ी चुनौती का काम है. खासकर उस दौर में जब ज्यादातर खेती कमर्शियलाइज होती जा रही है. एक तरफ प्रदूषण बढ़ रहा है, दूसरी तरफ कैमिकल युक्त खाना खाने से सेहत बिगड़ रही है. बाजार में मौजूद हर प्रोडक्ट आपकी सेहत के लिए ठीक है भी या नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं. आज हर तरह की फसल पर कैमिकल फर्टिलाइजर और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल हो रहा है. इन सभी चिंताओं ने सुभश्री संथ्या को किसान बनने के लिए प्रेरित किया, ताकि उनके बच्चे को अच्छा, हेल्दी, ऑर्गेनिक और पोषण से भरपूर खाना मिल सके. हालांकि इस सफर की शुरुआत काफी संघर्षों से हुई.
इंजीनियरिंग छोड़कर की ऑर्गेनिक फार्मिंग
सुभश्री संथ्या ने कभी सोचा नहीं था कि जिंदगी की एक घटना उन्हें ऑर्गेनिक फार्मिंग की तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी. मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बी-टेक करने के बाद संथ्या ने टीवीएस और वीर इंजीनियरिंग जैसी बड़ी कंपनियों के साथ काम किया. Your Story की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के बाद सुभश्री संथ्या का 6 महीने का बेटा काफी बीमा रहने लगा.
कुछ समय बाद ही बच्चे को एक हार्ट सर्जरी से भी गुजरना पड़ा, जबकि घर में हार्ट डिजीज की कोई हिस्ट्री भी नहीं थी. ऑपरेशन के बाद डॉक्टर की सख्त गाइडेंस थी कि बच्चे को पूरी तरह सेहतमंद रखने के लिए ऑर्गेनिक, पोषक युक्त और कैमिकल फ्री डाइट देनी होगी. इसके बाद सुभश्री ने घर की बालकनी में ही फल और सब्जियों के कुछ पौधे लगा दिए. बस इसी तरह शुरू हुआ नवी मुंबई की रहने वाली सुभश्री संथ्या का मां से लेकर अर्बन फार्मर बनने का सफर.
सेविंग्स से खरीद लिया खेत
सुभश्री संथ्या एक इंजीनियर हैं. शहरी लाइफस्टाइल के बीच संथ्या को खेती और किसानी का ज्यादा कुछ आइडिया नहीं था. इस सेक्टर को एक्सप्लोर करने के लिए संथ्या ने अपनी नौकरी छोड़ दी और ताजा ऑर्गेनिक फल-सब्जियां उगाने के तरीके सीखने लगीं. इसके लिए किचन से जो सब्जियों या दूसरा वेस्ट निकलता था, उसी से ही कंपोस्ट बनाने लगीं.
इस कंपोस्ट से भिंडी, पालक, टमाटर और कद्दू उगाना शुरू कर दिया. अभी तक ये खेती बालकनी में ही चल रही थी, लेकिन पड़ोस की दूसरी मांओं से जुड़ने के बाद संथ्या को पता चला कि वो भी ताजा और ऑर्गेनिक सब्जियां उगाकर सब्जियों की खेती करना चाहती हैं. फिर क्या संथ्या ने अपनी अभी तक की जमापूंजी से एक एकड़ जमीन खरीद ली, जो उनके घर से 30 मिनट की दूरी पर ही थी.
आईआईटी से ली सस्टेनेबल फार्मिंग की डिग्री
आज सुभश्री संथ्या ना सिर्फ अपनी जरूरत को पूरा कर रहीं, बल्कि अपनी जैसी कई मांओं के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं. जिंदगी की एक घटना ने सुभश्री को पर्यावरण और सेहत में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है. खेती के बारे में और अधिक समझने के लिए सुभश्री संथ्या ने आईआईटी खड़गपुर से सस्टेनेबल फार्मिंग में एक डिग्री भी ली है. सुभश्री ने खुद की 'मड एंड मदर' नाम की एक कंपनी भी बनाई, जो ऑर्गेनिक फूड प्रॉडक्ट्स पर बेस्ड है.
सुभश्री संथ्या अपने लक्ष्य के बारे में बताती हैं और कहती हैं कि जहां तक पहुंच बना सकें, वहां तक बच्चों को कैमिकल फ्री, नेचुरल और हेल्दी फूड प्रोवाइड करना मेरा लक्ष्य है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए संथ्या ने कोयंबटूर और पुदुचेरी के किसानों के पास तीन महीने तक जैविक खेती के बारे में जानकारी ली है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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