Armyworms Attack: यहां फसलों को बर्बाद कर सकता है सैनिक कीट, कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी
उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए नया खतरा पैदा हो गया है. गोरखपुर में बड़े रकबे में फसलों पर सैनिक कीट के हमले की खबर सामने आई थी. अब अन्य जिलों में भी सैनिक कीट के लार्वा मिले हैं.

Armyworms Attack On Crop: देश में बाढ़, बारिश, सूखा जैसी आपदा किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाती है. इसके अलावा कीट, फंगस जैसे रोग भी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. किसानों को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान होता है. उत्तर प्रदेश में इस तरह के कीटों का खतरा पनप रहा है. पहले यह संकट पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में था. अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में भी इसके पफैलने की संभावना बढ़ गई है.
सैनिक कीटों से बचाव के लिए कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी
उत्तर प्रदेश में फसलों पर इस समय खतरा सैनिक कीट के रूप में उभरकर सामने आया है. यह कीट एक साथ आते हैं और सैंकड़ों हेक्टेयर में उगी पफसलों को एक बार में ही चट कर देते हैं. इसी को लेकर उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की ओर से बचाव को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र गोरखपुर एवं कृषि विभाग ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, बस्ती, अंबेडकर नगर, कुशीनगर, संत कबीर नगर में सैनिक कीट की उपस्थिति देखने के लिए संयुक्त रूप से सर्वे किया गया. सर्वे में कुछ जिलों में सैनिक कीट के लार्वा देखने को मिले. कीट की मौजूदगी को इन जिलों की फसलों के लिए अलार्मिंग स्थिति माना गया है.
कैसे रंग के होते हैं सैनिक कीट
विशेषज्ञों के अनुसार, सैनिक कीट का रंग सफेद होने के साथ हलका भूरा होता है. इनके अगले पंख कुछ पीले और भूरे रंग के होते हैं. इसपर पीले रंग के धब्बे देखने को मिलते हैं. पिछले पंख भूरे रंग से रंगे हुए होते हैं.
समूह में देते हैं अंडे
ये कीट अलग अलग होकर अंडे नहीं होते हैं. इनकी प्रजाति समूह में अंडे देती है. ये एक बार में लगभग 500 अंडे देते हैं. अंडों से केटरपिलर 4 से 5 दिन में बाहर निकल आते हैं. थोड़े से बड़े होकर ही यह नए पौधों की पत्तियो को खाना शुरू कर देते हैं. 15 से 20 दिन में पूरी तरह व्यस्क हो जाते हैं.
इस तरह का होता है कीट
इस कीट की सूंडी भूरे रंग की होती है. दिन के समय में किल्लों के मध्य या भूमि की दरारों में छिप जाते हैं. शाम के समय में जमीन या किल्ले से बाहर निकलकर पौधे पर चढ़ जाते हैं और पौधों की पत्तियों को खाना शुरू कर देते हैं.
फिर बचाव के लिए क्या करें?
कीटनाशी रसायन क्यूनॉल फॉस 25 प्रतिशत ईसी को 640 मिलीलीटर या टाईक्लोफॉन ईसी की 300 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से 200 से 400 लीटर पानी में घोल तैयार कर लेना चाहिए. इसे फसल पर छिड़काव करे. क्लोरपाइरी फॉस 20 प्रतिशत ईसी ढाई लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के साथ या स्प्रे में इसका प्रयोग किया जा सकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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Source: IOCL























