Loud Speaker पर लड़ाई धार्मिक या राजनीतिक ?
राज ठाकरे कह रहे हैं कि अगर 3 मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो उनकी पार्टी के कार्यकर्ता मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा गाएंगे...आख़िर मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर समय-समय पर विवाद क्यों होता रहता है...इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को क्यों नहीं माना जाता...राज ठाकरे का लाउडस्पीकर वाला दांव राजनीतिक है या धार्मिक...राजनीति का ज़िक्र इसलिए क्योंकि जल्द ही BMC का चुनाव होने वाला है...सवाल ये भी कि लाउडस्पीकर से जिन इलाक़ों में लोगों को परेशानी होती है, वहां इसका समाधान करने की कोशिश क्यों नहीं की जाती...सवाल ये भी है कि क्या लाउडस्पीकर को लेकर सिर्फ़ एक धर्म के लोगों को टारगेट किया जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल तो दूसरे धर्मों के लोग भी करते हैं.

























