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नाम बदलना नहीं है इतना आसान, जान लें ये नियम और कानून

भारत में कानूनी रूप से नाम बदलवाना. इतना आसान काम नहीं है. इसके लिए एक प्रक्रिया के तहत आपको गुजरना पड़ता है. भारत में नाम बदलवाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए क्या करना पड़ता है. आइए जानते हैं.

Name Change Process: अंग्रेजी के एक महान लेखक एक्टर विलियम शेक्सपियर ने एक बात कही थी. 'व्हाट इज इन द नेम' यानी कि नाम में क्या रखा है. आपने अपने आसपास के लोगों से यह डायलॉग खूब सुना होगा. दरअसल नाम हमारी पहचान होती है. दुनिया में हमें इसी नाम से बुलाया जाता है. कई लोग ऐसे होते हैं जिनमें एक से अधिक नाम होते हैं. क्रिएटिव क्षेत्र में देखें तो कई एक्टर्स और कई राइटर सिंगर ने अपने-अपने असली नाम के बजाय नए नाम से नाम कमाया है.

फिर चाहे राजीव भाटिया से अक्षय कुमार. युसूफ खान से दिलीप कुमार या फिर आदित्य प्रतीक सिंह से बादशाह. सब ने अपने नाम बदले. भारत में कानूनी रूप से नाम बदलवाना. इतना आसान काम नहीं है. इसके लिए एक तय प्रक्रिया है जिसके तहत आपको गुजरना पड़ता है. आईए जानते हैं.

सबसे पहले बताना होता है कारण

कोई भी इंसान दुनिया में कोई भी चीज करता है तो उसके पीछे कोई ना कोई कारण छुपा होता है. जब आप अपना नाम बदलवाना चाहते हैं. तो उसके लिए आवेदन देने के बाद सबसे पहले आपको इसका कारण बताना होता है. कि आप किस वजह से अपने नाम में बदलाव करवाना चाह रहे हैं.  अक्सर लोग शादी के बाद या तलाक के बाद या फिर धर्म परिवर्तन करने के बाद अपने नाम में बदलाव करवाते हैं. इसलिए कारण जान लेने से आगे प्रक्रिया में ज्यादा मुश्किल नहीं होती.

एफिडेविट करना होता है फाइल

जब आप नाम बदलवाने की प्रक्रिया शुरू करते हैं तो उसके लिए फिर आपको एक एफिडेविट फाइल करना होता है. एफिडेविट एक कानूनी दस्तावेज होता है. जिसे शपथ पत्र या हलफनामा भी कहा जाता है. इसमें नाम बदलने वाले इंसान का नाम होता है. और जो नाम वह  अब बदलवाना चाह रहा है वह होता है. इसके साथ ही नाम बदलवाने के पीछे की वजह भी लिखनी होती है. 

गजेट में निकलवाना होता है

राजपत्र को इंग्लिश में गजेट कहा जाता है. भारतीय सरकार द्वारा सारी आधिकारिक सूचनाओं इसी में छपती हैं. इस गजेट ऑफ़ इंडिया अभी कहा जाता है. अपने नाम बदलवाने की सूचना को इसमें  प्रकाशित करवाना होता है. इसके साथ ही आपको एक अभिलेख यानी डीड भी तैयार करवानी होती है. जिस नेम चेंज डीड भी कहा जाता है. इसके बाद इस दस्तावेज को सभी संबंधित दफ्तरों को दे दिया जाता है. जिसमें पासपोर्ट ऑफिस से लेकर बैंक और अन्य सरकारी दफ्तर शामिल होते हैं.

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