न्यू लेबर लॉ से कितनी कम होगी टेक होम सैलरी? एक क्लिक में जान लें पूरा हिसाब-किताब
जैसे ही ये कोड लागू होंगे, सैलरी का स्ट्रक्चर बदल जाएगा, कंपनियों को कर्मचारी से जुड़े नियम मानने होंगे और कर्मचारियों को भी कुछ नए फायदे मिलेंगे. हालांकि, इससे टेक-होम सैलरी कम हो सकती है.

भारत में कई सालों से लेबर कानूनों को बदलने की मांग की जा रही थी. अलग-अलग काम करने वाले लोगों जैसे स्थायी कर्मचारी, कॉन्ट्रैक्ट वर्कर, फ्रीलांसर, पार्ट-टाइम काम करने वाले या ऐप आधारित प्लेटफॉर्म वर्कर सभी के लिए कानून अलग-अलग थे. इससे कर्मचारियों को कई बार अपने हक पूरे तरीके से नहीं मिलते थे. सरकार ने इस समस्या को खत्म करने के लिए पुराने लेबर कानूनों को मिलाकर चार नए लेबर कोड बनाए. जैसे ही ये कोड लागू होंगे, सैलरी का स्ट्रक्चर बदल जाएगा, कंपनियों को कर्मचारी से जुड़े नियम मानने होंगे और कर्मचारियों को भी कुछ नए फायदे मिलेंगे.
हालांकि, इन सब बातों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा में एक सवाल है कि क्या इन नए लेबर लॉ से कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी कम हो जाएगी. कई लोग डर रहे हैं कि बेसिक सैलरी बढ़ने से PF और ग्रेच्युटी कटने लगेंगे और महीने की कमाई कम हो जाएगी. तो कुछ लोग यह खुशखबरी समझ रहे हैं कि रिटायरमेंट पर उन्हें पहले से कहीं ज्यादा पैसा मिलेगा. तो आइए जानते हैं कि न्यू लेबर लॉ से टेक होम सैलरी कितनी कम होगी.
नए लेबर कोड कौन से हैं?
सरकार ने 4 बड़े कोड बनाए हैं. जिसमें पहला वेजेस कोड (2019) है. इसमें सैलरी, ओवरटाइम, न्यूनतम वेतन आदि से जुड़े नियम शामिल हैं. इसके बाद दूसरा इंडस्ट्रियल रिलेशन्स कोड (2020) है. इसमें नौकरी, टर्मिनेशन और कंपनी–कर्मचारी संबंधों से जुड़े नियम शामिल हैं. वहीं तीसरा सोशल सिक्योरिटी कोड (2020) है. इसमें PF, ग्रेच्युटी, ESI जैसे बेनिफिट्स से जुड़े नियम शामिल हैं. चौथा ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड (2020) है. इसमें काम की सुरक्षा, हेल्थ और काम के माहौल से जुड़े नियम शामिल हैं.
नए कोड ने सबसे बड़ा बदलाव कहां किया है?
पहले कंपनियां सैलरी को अलग-अलग हिस्सों में बांट देती थीं. जैसे थोड़ा बेसिक, ज्यादा अलाउंस और कई छोटे-छोटे कंपोनेंट. इससे PF कम कटता था, ग्रेच्युटी कम बनती थी और कंपनी की लायबिलिटी कम रहती थी. लेकिन अब यह तरीका नहीं चलेगा. नया नियम कहता है कि बेसिक सैलरी के साथ DA मिलाकर कुल CTC का कम से कम 50 प्रतिशत होना चाहिए यानी कंपनियां चाहें या न चाहें, बेसिक पे बढ़ाना ही पड़ेगा.
इसके कारण बड़ा असर कहां दिखेगा?
1. PF योगदान बढ़ेगा - PF बेसिक पर कटता है. जब बेसिक 30 प्रतिशत से 35 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत होगा, तो PF भी अपने आप बढ़ जाएगा.
2. ग्रेच्युटी अपने आप बढ़ेगी - ग्रेच्युटी भी बेसिक पे पर निर्भर करती है. बड़ा बेसिक यानी बड़ी ग्रेच्युटी, पहले कंपनियां बेसिक कम रखकर यह राशि काफी कम कर देती थीं. अब ऐसा नहीं कर पाएंगी. ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल लगातार नौकरी जरूरी थी. इससे कॉन्ट्रैक्ट वर्कर, फिक्स्ड टर्म कर्मचारी, गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर सब बाहर रह जाते थे. अब सिर्फ 1 साल की नौकरी के बाद भी ग्रेच्युटी मिलेगी.
3. टेक-होम सैलरी कम होगी - PF, ESI, ग्रेच्युटी जैसी चीजों में कटौती बढ़ जाएगी. CTC वही रहेगा, लेकिन हाथ में आने वाले पैसे में कमी दिख सकती है. यह बदलाव लाखों ऐसे कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है जो लंबे समय से काम तो करते हैं, पर स्थायी कर्मचारी की तरह बेनिफिट्स नहीं मिलते हैं.
न्यू लेबर लॉ से टेक-होम सैलरी कितनी कम होगी?
न्यू लेबर लॉ से टेक-होम सैलरी का कम होना आपकी जॉब, आपके CTC स्ट्रक्चर और आपकी कंपनी के वेतन डिजाइन पर निर्भर करेगा. जिनकी सैलरी में अलाउंस बहुत ज्यादा है, जिनका बेसिक बहुत कम है, उच्च वेतन पाने वाले कर्मचारी, युवा कर्मचारी जो कैश-इन-हैंड को प्राथमिकता देते हैं और प्राइवेट सेक्टर के वे लोग जिनकी CTC डिजाइन काफी फ्लेक्सिबल होती है, उन कर्मचारियों न्यू लेबर लॉ से टेक-होम सैलरी कम हो सकती है क्योंकि PF बढ़ेगा, ग्रेच्युटी बढ़ेगी और अन्य वैधानिक कटौतियां भी बढ़ेगी. इससे हाथ में आने वाले पैसे यानी टेक-होम सैलरी में कमी दिखेगी.
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Source: IOCL





















