गायों पर बनाई जेबरा जैसी काली सफेद धारियां और मिल गया नोबेल प्राइज! वैज्ञानिकों ने बताई पीछे की वजह तो यूजर्स करने लगे तारीफ
गायों पर धारियां बनाने का यह प्रयोग भी शुरू में तो बच्चों का खेल लगता है, लेकिन सच में इससे गायों की जिंदगी आसान हो सकती है और किसानों को भी बड़ा फायदा हो सकता है. आइए आपको बताते हैं कैसे.

जरा सोचो, अगर कोई किसान अपनी गाय को जेबरा जैसा बना दे तो? यानी काली-सफेद धारियां पेंट करके खेत में छोड़ दे, तो देखने वाले तो पहले हंस-हंस कर लोटपोट हो जाएंगे. लेकिन यही मजेदार आइडिया जापान के वैज्ञानिकों ने सच में आजमाया और नतीजा इतना जबरदस्त आया कि उन्हें इसके लिए एक खास किस्म का नोबेल पुरस्कार भी मिल गया. इस पुरस्कार को कहते हैं “Ig Nobel Prize”, जिसमें ऐसी रिसर्च को सम्मान मिलता है, जो सुनते ही पहले मजाक लगे लेकिन बाद में दिमाग खोल दे. गायों पर धारियां बनाने का यह प्रयोग भी शुरू में तो बच्चों का खेल लगता है, लेकिन सच में इससे गायों की जिंदगी आसान हो सकती है और किसानों को भी बड़ा फायदा हो सकता है. आइए आपको बताते हैं कैसे.
गाय पर बनाई काली सफेद धारियां और नोबेल ले गए वैज्ञानिक
जापान के कुछ वैज्ञानिकों ने गायों पर काले-सफेद रंग की धारियां पेंट कर दीं, बिल्कुल जेबरा की तरह. फिर उन्होंने देखा कि इसका क्या असर होगा. नतीजा चौंकाने वाला था. जिन गायों पर धारियां बनाई गईं, उन पर मक्खियां आधी से भी कम बैठीं. लेकिन जिन गायों पर कोई धारियां नहीं बनाई गईं, या सिर्फ काली धारियां बनाई गईं, उन पर बहुत ज्यादा मक्खियां बैठीं थी. अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें इतनी बड़ी बात क्या है?
असल में, मक्खियां गायों को बहुत परेशान करती हैं. वे दूध कम दे पाती हैं, उनका वजन कम हो जाता है और किसानों को नुकसान होता है. किसान आमतौर पर मक्खियों को भगाने के लिए दवाइयां (कीटनाशक) इस्तेमाल करते हैं. लेकिन ज्यादा दवाइयां इस्तेमाल करने से मक्खियां भी चालाक हो जाती हैं और उन पर असर होना बंद हो जाता है. ऊपर से, दूध और मांस में भी दवा मिल सकती है जिससे गायों की जान तक जा सकती है.
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यूजर्स ने लिए मजे तो किसी ने जमकर की तारीफ
अब सोशल मीडिया पर जैसे ही ये मामला वायरल हुआ लोगों ने इसे लेकर मजे लेने शुरू कर दिए तो कुछ ने वैज्ञानिकों की तारीफ के पुल बांध दिए. एक यूजर ने लिखा...केवल धारियां बनाने से नोबेल मिल गया, इस हिसाब से तो मैं रोज एक नोबेल लेकर आ सकता हूं. एक और यूजर ने लिखा...भले ही मजाक लगे लेकिन ये रिसर्च बड़े काम की है. तो वहीं एक और यूजर ने लिखा...क्या बात है. गायों की तकलीफ को समझते हुए इन्हें ये मिलना भी चाहिए था.
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