जब मुफ्ती की अंग्रेजी को नहीं समझ पाए जावेद अख्तर, बोले- आसान भाषा में समझा दीजिए
इस बहस के लिए दिल्ली में तमाम लोग इकट्ठा हुए थे और मंच पर थे थिएस्ट यानी खुदा को मानने वाले मुफ्ती शुमाइल नदवी और एथिएस्ट यानी खुदा को न मानने वाले जावेद अख्तर.

20 दिसंबर को मुफ्ति शुमाइल नदवी और जावेद अख्तर के बीच दिल्ली में खुदा के अस्तित्व को लेकर एक बहस हुई जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर खूब जोरों से हो रही है. दोनों विद्वानों ने मंच पर अपने अपने तर्क रखते हुए बातों को बेहद मजबूती से लोगों के सामने रखा. लेकिन इसी बहस में जावेद अख्तर थोड़े असहज और थोड़े कंफ्यूज तब हो गए जब मुफ्ती शुमाइल नदवी ने उनके सामने अंग्रेजी के ऐसे शब्द रख दिए जिसमें वो कुछ देर के लिए रुक से गए और मुफ्ती से इन शब्दों का मतलब पूछने लगे.
मुफ्ती शुमाइल नदवी के मुश्किल शब्दों को समझ नहीं पाए जावेद अख्तर
दरअसल, इस बहस के लिए दिल्ली में तमाम लोग इकट्ठा हुए थे और मंच पर थे थिएस्ट यानी खुदा को मानने वाले मुफ्ती शुमाइल नदवी और एथिएस्ट यानी खुदा को न मानने वाले जावेद अख्तर. बहस का मुद्दा था क्या खुदा का कोई अस्तित्व है? यानी "Does God Exist." बहस के दौरान दोनों ने अपनी अपनी बातें रखीं लेकिन क्रॉस एग्जामिनेशन में मुफ्ती शुमाइल ने जावेद अख्तर को अंग्रेजी में एक टर्म पूछ डाली जिसे लेकर जावेद अख्तर थोड़े कंफ्यूज हो गए.
किन शब्दों को लेकर असहज हो गए जावेद अख्तर
दरअसल, शुमाइल नदवी ने जावेद अख्तर को पूछा कि क्या आप Infinite regress of causes को पॉसिबल मानते हैं या फिर necessary being के existence को सही मानते हैं. अब इन दोनों टर्म में जावेद अख्तर थोड़ा असहज दिखे और मुफ्ती से कहने लगे कि माफ कीजिएगा लेकिन आपके इन शब्दों को मैं समझ नहीं पाया, क्या आप इन्हें आसान करके मुझे समझा सकते हैं, जिसके बाद मुफ्ती शमाईल इन शब्दों को आसान भाषा में समझाते दिखाई दे रहे हैं.
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क्या है इन टर्म्स का मतलब, जान लीजिए
हर चीज के पीछे एक वजह होती है और उस वजह के पीछे भी दूसरी वजह... फिर उसके पीछे तीसरी… और ये सिलसिला कभी खत्म ही नहीं होता. इसी को लेकर मुफ्ती शमाईल ने जावेद अख्तर के सामने अपने पक्ष रखा था. इसके अलावा दूसरी टर्म मुफ्ती शमाईल ने necessary being के existence के लिए कही थी जिसका मतलब होता है वह विचार जिसमें माना जाता है कि कोई एक ऐसी सत्ता या वास्तविकता होती है जिसका होना अपने आप में जरूरी है. आम बोलचाल की भाषा में कहें तो यह ऐसी चीज है जो किसी और कारण, सहारे या वजह पर निर्भर नहीं होती, बल्कि अपने दम पर मौजूद रहती है.
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