जियोटैगिंग क्या होती है और सोशल मीडिया के अलावा कहां-कहां होता है इसका यूज? डिटेल में जानिए सब कुछ
फोटो-वीडियो समेत किसी डिजिटल फाइल को लोकेशन असाइन करने की प्रोसेस को जियोटैगिंग कहा जाता है. इसका यूज मार्केटिंग से लेकर सिक्योरिटी तक में होता है.

अगर आप सोशल मीडिया यूज करते हैं तो जियोटैगिंग के बारे में जानते ही होंगे. जियोटैगिंग से यह पता चल जाता है कि असल में किस जगह की बात हो रही है. जियोटैगिंग में कई ऐसी इंफोर्मेशन शामिल होती हैं, जिससे लोकेशन का एकदम सटीक पता लगाना आसान हो जाता है. इस बार सरकार ने जनगणना में भी जियोटैगिंग को जोड़ने की बात कही है. आज हम जानते हैं कि जियोटैगिंग क्या होती है और इसे कहां-कहां यूज किया जा सकता है.
क्या होती है जियोटैगिंग?
आसान भाषा में समझें तो किसी फोटो, वीडियो और मीडिया फाइल्स समेत किसी भी डिजिटल कंटेट पर लोकेशन इंफोर्मेशन एड करने की प्रोसेस को जियोटैगिंग कहा जाता है. जब आप स्मार्टफोन में फोटो लेने से पहले GPS इनेबल करते हैं तो यह फोटो के साथ उस फिजिकल लोकेशन को भी स्टोर करते हुए कॉर्डिनेट असाइन कर देता है. ये कॉर्डिनेट लेटिट्यूड और लॉन्गिट्यूड के अलावा डेसिमल डिग्रीज में होते हैं, जिससे मैप पर लोकेशन को पिन प्वाइंट करना आसान हो जाता है. जियोटैगिंग में एल्टीट्यूड और जगह का नाम समेत दूसरी जानकारी भी सेव हो सकती है और यह सब कुछ फाइल के मेटाडेटा में स्टोर होता है.
जियोटैगिंग का यूज क्या होता है?
जरूरत के हिसाब से जियोटैगिंग के कई यूज हो सकते हैं. सोशल मीडिया के हिसाब से देखें तो यूजर किसी कैफे या रेस्टोरेंट जैसी किसी स्पेसिफिक लोकेशन को हाईलाइट करने के लिए जियोटैगिंग यूज कर सकता है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी जियोटैगिंग के जरिए ट्रेंड्स को स्पॉट करते हैं. फोटोग्राफी की बात करें तो इसे खासकर ट्रैवल के दौरान की फोटोज को लोकेशन असाइन करने के लिए यूज किया जा सकता है. इसी तरह मार्केटिंग में लोकेशन के आधार पर एड और टारगेटेड कैंपेन के लिए जियोटैगिंग को यूज किया जाता है. इसके अलावा अर्बन प्लानिंग, इमरजेंसी रिस्पॉन्स, एन्वायरनमेंटल मॉनिटरिंग, नेविगेशन, शेयरिंग, सिक्योरिटी और इंटेलीजेंस पर्पज के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
जियोटैगिंग के नुकसान
जियोटैगिंग के कई यूज और फायदों के साथ कुछ नुकसान भी हैं. इसकी मदद से किसी व्यक्ति का मूवमेंट प्रोफाइल तैयार किया जा सकता है. यानी यह पता लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति कहां-कहां जाता है. इस इंफोर्मेशन को किसी को टारगेट करने या निगरानी करने के लिए यूज किया जा सकता है. इसके अलावा कई कंपनियां लोकेशन डेटा को पर्सनलाइज एड दिखाने के लिए भी यूज कर सकती हैं. इसलिए जियोटैगिंग वाली फोटोज या फाइल शेयर करते समय हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए.
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Source: IOCL























