क्रिएटर्स की होगी मौज! सरकारी पैनल ने एआई कंपनियों से कहा- ट्रेनिंग के लिए कंटेट यूज करने पर देना होगा पैसा
जल्द ही भारत में एआई कंपनियों को अपने मॉडल को ट्रेनिंग करने के लिए यूज किए जाने वाले कंटेट के बदले क्रिएटर को पैसा देना पड़ सकता है. ऐसे एक प्रस्ताव पर अभी चर्चा चल रही है.

अगर आप कंटेट क्रिएटर हैं और आपके कंटेट को एआई कंपनियां अपने मॉडल को ट्रेनिंग करने के लिए यूज करती है तो इसके बदले आपको पैसा मिल सकता है. दरअसल, एक सरकारी पैनल ने प्रस्ताव रखा है कि एआई कंपनियों को कंटेट यूज करने के बदले क्रिएटर्स को पैसा देना होगा. अभी तक एआई कंपनियां अपने मॉडल को ट्रेनिंग देने के लिए जो कंटेट यूज करती हैं, उसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं देना होता. उनका कहना है कि फेयर यूज के चलते वो पैसा देने के लिए बाध्य नहीं है. हालांकि, अब यह बदल सकता है.
एआई कंपनियों के जवाब का इंतजार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कॉपीराइट होल्डर्स की एक सेंट्रल बॉडी ने कहा कि एआई कंपनियां अपने मॉडल की ट्रेनिंग के लिए इंडियन कंटेट का यूज कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए बदले उन्हें रॉयल्टी देनी होगी. अमेरिका जैसे देशों में पब्लिकली अवेलेबल डेटा को मॉडल की ट्रेनिंग के लिए यूज करना फेयर यूज के तहत आता है और कंपनियों को कोई पैसा नहीं चुकाना पड़ता, लेकिन भारत में कंपनियों को पैसा चुकाना पड़ सकता है. अभी तक इस प्रस्ताव पर गूगल और ओपनएआई जैसी कंपनियों की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.
अभी क्या नियम है?
रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी इंडस्ट्री और लोगों के पास कंपनियों को इंडियन प्लान को चैलेंज करने के लिए 30 दिन का समय होता है. जो क्रिएटर ट्रेनिंग के लिए अपना कंटेट और डेटा शेयर नहीं करना चाहते, वो इससे ऑप्ट-आउट कर सकते हैं. हालांकि, पैनल का कहना है कि यह तरीका उचित नहीं है क्रिएटर के लिए बड़े एआई डेटासेट में अपने कंटेट को ट्रैक कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसके बदले पैनल ने कंपनियों से रॉयल्टी की मांग की है. अगर यह प्रस्ताव सिरे चढ़ता है तो गूगल, ओपनएआई और मेटा जैसी कंपनियों पर आर्थिक लागत बढ़ जाएगी. उनके लिए अपने एआई मॉडल को ट्रेनिंग देना काफी महंगा हो जाएगा.
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Source: IOCL





















