अयोध्या में 1990 के बाद पहली बार हुआ ये काम, विश्व हिंदू परिषद ने फैसले से पहले कही बड़ी बात
राम मंदिर मामले में संभावित फैसले से पहले अयोध्या में पत्थर तराशने के काम में लगे सभी कारीगर अपने घर वापस लौट गए हैं और विहिप ने पत्थरों को तराशने का काम बंद करने का फैसला लिया है।

अयोध्या, एबीपी गंगा। राम मंदिर मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। इस वक्त अयोध्या में भी कुछ ऐसा हो रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ। दरअसल, अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने राम मंदिर निर्माण के लिये पत्थरों को तराशने का काम बंद कर दिया है।
1990 के बाद से ये पहली बार है जब अयोध्या में पत्थरों को तराशने का काम बंद किया गया है। विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि पत्थर तराशने के काम में लगे सभी कारीगर अपने घर वापस लौट गए हैं और विहिप ने पत्थरों को तराशने का काम बंद करने का फैसला लिया है।

शरद शर्मा ने कहा कि, 'हमने पत्थरों को तराशने का काम रोक दिया है और राम जन्मभूमि न्यास तय करेगा कि ये काम दोबारा कब शुरू किया जाएगा।' उन्होंने कहा, 'अयोध्या पर आने वाले फैसले को ध्यान में रखते हुए संगठन की विभिन्न गतिविधियों से जुड़े हमारे सभी प्रस्तावित कार्यक्रम भी रद कर दिए गए हैं।'
गौरतलब है कि, विहिप ने राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में 1990 से पत्थरों को तराशने का काम शुरू किया था। उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। विहिप के अनुसार 1.25 लाख घन फुट पत्थर पहले ही तराशा जा चुका है। संगठन का दावा है कि इतना पत्थर प्रस्तावित मंदिर की पहली मंजिल के निर्माण के लिये पर्याप्त है और शेष ढांचे के लिए 1.75 लाख घन फुट पत्थर अभी भी तराशा जाना है।

विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने यह भी कहा कि 'चाहे फैसला हिंदुओं के पक्ष में आए या मुसलमानों के, यह समय दोनों समुदायों के बीच सद्भाव और भाईचारे का महान उदाहरण पेश करने का है। हम सभी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि कोई भी घटना जो हिंदुओं और मुसलमानों के सौहार्दपूर्ण संबंधों में जहर घोलती है, नहीं होनी चाहिए।'
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