उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं में आई गिरावट, वन विभाग की तैयारियां दिखा रही असर
Uttarakhand Forest Fire: वन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के पहले हफ्ते तक जंगलों में आग लगने की घटनाएं पिछले वर्षों की तुलना में कम हुई हैं.

Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन से पहले राहतभरी खबर आई है. राज्य में इस बार जंगलों में आग लगने की घटनाओं में काफी कमी दर्ज की गई है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) द्वारा जारी किए गए तुलनात्मक आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्षों की तुलना में इस बार जंगलों में आग की घटनाओं में गिरावट आई है. यह कमी वन विभाग की बेहतर तैयारियों और नई रणनीतियों के कारण संभव हो पाई है.
वन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के पहले हफ्ते तक जंगलों में आग लगने की घटनाएं पिछले वर्षों की तुलना में कम हुई हैं. यह न केवल पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि राज्य के वन संपदा की सुरक्षा के लिए भी सकारात्मक संकेत देता है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने पिछले तीन सालों आंकड़े जारी किए हैं, जिससे पता चलता है कि इस बार जंगलों की आग की घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई है.
इन आंकड़ों के मुताबिक इस बार आग की घटनाएं 2023-24 के मुकाबले काफी कम हुई हैं. साल 2023-24 में जहां आग लगने की 2816 घटनाएं दर्ज की गई थीं, वहीं 2024-25 में यह संख्या घटकर 1098 रह गई है। यह दर्शाता है कि वन विभाग की ओर से उठाए गए कदम प्रभावी साबित हो रहे हैं. उत्तराखंड वन विभाग ने इस साल जंगलों की आग पर नियंत्रण पाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं. जिनकी वजह से इन घटनाओं में कमी आई है.
इन वजहों से आई आग की घटनाओं में कमी
- बड़े अधिकारियों की निगरानी: इस बार वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी फील्ड में जाकर हालात का जायजा ले रहे हैं. इससे न केवल आग की घटनाओं पर तेजी से प्रतिक्रिया दी जा रही है, बल्कि कर्मचारियों में भी सतर्कता बनी हुई है.
- फायर अलर्ट सिस्टम: वन विभाग ने एक नया ऐप विकसित किया है, जो आग लगने की घटनाओं की तुरंत जानकारी देता है. यह ऐप न केवल वन अधिकारियों को बल्कि आम जनता को भी अलर्ट भेजता है, जिससे समय रहते आग पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
- समय पर कर्मचारियों की तैनाती: जंगलों की आग को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग ने इस बार समय से कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित की है. सभी डिवीजनों में पर्याप्त संख्या में फॉरेस्ट गार्ड्स की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है.
- उन्नत उपकरणों की खरीद: इस बार आग बुझाने के लिए जरूरी आधुनिक उपकरण खरीदे गए हैं, जिससे आग पर नियंत्रण पाने में तेजी आई है.
- स्थानीय समुदाय की भागीदारी: वन विभाग ने स्थानीय लोगों को भी जागरूक किया है और उन्हें आग बुझाने की प्रक्रिया में शामिल किया गया है। इससे जंगलों की सुरक्षा को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है.
उत्तराखंड वन विभाग के अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा ने कहा कि यह आंकड़े दर्शाते हैं कि हमारी तैयारियां पूरी तरह से कारगर साबित हो रही हैं. हम लगातार जंगलों की सुरक्षा को लेकर सतर्क हैं और आने वाले दिनों में भी आग की घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे.
हालांकि फॉरेस्ट फायर सीजन (मार्च से जून) के दौरान जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ जाती हैं, लेकिन इस बार वन विभाग की तैयारियां काफी मजबूत दिखाई दे रही हैं. अधिकारियों का मानना है कि यदि इसी सतर्कता के साथ कार्य किया गया, तो फायर सीजन में भी आग की घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है.
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