यूपी पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में बड़ा बदलाव? वाराणसी और मैनपुरी समेत इन जिलों में कटे वोट
Lucknow News: आयोग के मुताबिक इस बार कुल वृद्धि 3.269 है जो कि एक नया रिकॉर्ड है. इसमें नए मतदाताओं में ज्यादातर 18 साल से ऊपर हैं. आयोग ने पारदर्शिता के लिए पहली डिजिटल BLO का प्रयोग किया.

उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 के लिए प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर हैं. मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के आंकड़े राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कर दिए गए हैं. इस बार 1.82 करोड़ नए मतदाता जुड़े हैं, जबकि 1 करोड़ से अधिक नाम हटाए भी गए हैं. जिन मतदाताओं के नाम गलती से कट गए या जिन्हें भी आपत्ति है वे मतदाता 23 दिसंबर के बाद अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं.
आयोग के मुताबिक इस बार कुल वृद्धि 3.269 है जोकि एक नया रिकॉर्ड है. इसमें भी नए मतदाताओं में ज्यादातर 18 साल से ऊपर हैं,. आयोग ने पारदर्शिता के लिए पहली डिजिटल BLO यानि ई-BLO का प्रयोग किया. प्रदेश में अब कुल मतदाता 12 करोड़ 69 लाख 69 हजार 610 हो गयी है.
इन जिलों में सबसे कम नाम कटे
आयोग ने सबसे कम वोट कटने वाले जिलों में वोटरों की संख्या भी जारी की है, इसमें वाराणसी में केवल 682, मैनपुरी में 72 हजार, महोबा में 20 हजार,कुशीनगर में मात्र 14 हजार और गाजीपुर में 72 हजार वोटरों के नाम काटे गए हैं.
इसके अलावा आयो ने बताया कि मतदाता सूची का अनितं प्रकाशन 23 दिसंबर 2025 को होगा, जिस किसी का भी नाम यदि मतदाता सूची में नहीं है तो वो आपत्ति जता सकता है. या कोई त्रुटी है वो भी. जनवरी 2026 में अप्त्त्रियाँ दर्ज की जा सकेंगी और अंतिम मतदाता सूची 6 फरवरी को जारी होगी.
युवा वोटरों की बड़ी हिस्सेदारी
राज्य निर्वाचन आयुक्त आरपी सिंह ने बताया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में हटाये गए मतदाताओं में सबसे 53 लाख 67 हजार 410 डुप्लीकेट मतदाता थे. इसके अलावा मृत, विस्थापित व अन्य अयोग्य नामों को हटाया गया है. उन्होंने बताया कि सबसे ख़ास बात इस पार पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं की संख्या में ख़ासा इजाफा हुआ है. 18 से 23 साल के बीच 1 करोड़ 5 लाख नए वोटर बने हैं. इस्नेम 18 साल पूरे करने वाले 15.71 लाख मतदाता शामिल हैं.
ई-BLO के जरिए पारदर्शी व्यवस्था बनी
आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण में इस बार ई-BLO एप से नाम हटाने, जोड़ने और अपडेट करने के काम किया. इससे पूरे समय पारदर्शिता बनी रही और फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिली. इसलिए बहुत ज्यादा शिक्यातें भी नहीं आयीं.
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