Agra News: आगरा में ताजमहल के पास बुरा हाल, आग लग जाए तो बुझाने के इंतजाम हो चुके हैं कबाड़
Agra News: लखनऊ के लेवाना होटल में लगी आग ने होटलों में सुरक्षा उपायों की कलई खोल दी है. लेवाना की तरह कभी पर्यटन नगरी आगरा में ताजमहल के आसपास कहीं आग लग जाये तो क्या होगा.
Agra News: लखनऊ के लेवाना होटल (Levana Hotel) में हुए अग्निकांड में 4 लोगों की मौत ने होटलों में सुरक्षा उपायों की कलई खोलकर रख दी है. इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में फायर विभाग (Fire Departmenr) अलर्ट मोड़ पर आ गया है, लेकिन पर्यटन नगरी आगरा (Agra) में ताजमहल (Tajmahal) के आसपास कहीं आग लग जाये तो आग बुझाने के क्या साधन हैं. सपा (SP) सरकार में करीब 197 करोड़ रुपये की लागत से ताजगंज प्रोजेक्ट (Tajganj Project) में काम कराया गया था. इसमें फायर हाईड्रेंट प्वाइंट भी बनाए गए थे लेकिन अब ये बॉक्स टूट गए हैं, इनमें पाइप तक नहीं है.
ताजगंज में लगाए गए हाईड्रेंट प्वाइंट खराब
दरअसल, आगरा में करीब 197 करोड़ रुपये की लागत से ताजगंज प्रोजेक्ट में काम कराया गया था. इसमें स्मारक को जाने वाले रास्तों को सुंदर बनाने के साथ ही पर्यटकों की सुविधा के लिए पाथवे बनाए गए थे और बेंच लगाई गई थीं. पर्यटकों की सुरक्षा के लिए भी कई काम किए गए थे. सीसीटीवी कैमरे, बैरियर पर इलेक्ट्रिक बोलार्ड व बैरियर लगाए गए थे. इसके साथ ही शिल्पग्राम से लेकर ताजगंज होते हुए अमरूद का टीला पार्किंग तक फायर हाईड्रेंट सिस्टम लगाए गए थे. होटल अमर विलास के नजदीक फायर हाईड्रेंट प्वाइंट के लिए अंडरग्राउंड टैंक बनाया गया था. यहां सबमर्सिबल लगाया गया था. इसका उद्देश्य ये था कि अगर ताजमहल के नजदीक कभी आगजनी होती है तो फायर हाईड्रेंट प्वाइंट की सहायता से उस पर काबू पाया जा सकेगा.
लेवाना होटल जैसे आग लगी तो क्या होगा?
ये हाईड्रेंट सिस्टम बनाए तो गए इनका आज तक इस्तेमाल नहीं हो सका है. आगजनी की स्थिति में फायर ब्रिगेड को आग बुझाने पहुंचना पड़ा है. वर्तमान में फायर हाईड्रेंट प्वाइंट के बाक्स टूट गए हैं. उनके अंदर पाइप ही नहीं है, जिससे आगजनी की स्थिति में उनका इस्तेमाल संभव ही नहीं है.
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धूल फांक रहा है फायर हाइड्रेंट सिस्टम
ताजगंज आगरा के सबसे वीआईपी क्षेत्रों में गिना जाता है. क्षेत्र में छोटे-बड़े तमाम होटल है. ताजमहल यहां से महज 500 मीटर की दूरी पर है. बावजूद इसके आग बुझाने वाले साधनों का बुरा हाल है. होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान का कहना है कि करोड़ों रुपये लगाकर इन फायर हाइड्रेंट को तैयार किया गया था, तब से आज तक इनका इस्तेमाल ही नहीं हो पाया है. आज ये धूल फांकते नजर आ रहे हैं और कबाड़ हो चुके हैं. ऐसे में अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो कौन इसका जिम्मेदार होगा.
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