किसान आंदोलन की भूमि पर वोट बैंक की खेती करने की कोशिश कर रही सपा : सिद्धार्थ नाथ सिंह
योगी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ ने सोमवार को कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में यात्रा करने की घोषणा करने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जब तक सत्ता में रहे, बॉलीवुड के हीरो-हिरोइनों के नृत्य का आनंद लेते रहे.

लखनऊ. किसानों के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रही सपा पर यूपी के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने हमला बोला है. सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि जनता की नजरों से गिर चुकी सपा इन दिनों किसान आंदोलन की भूमि पर वोट बैंक की खेती करने की कोशिश कर रही है.
योगी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ ने सोमवार को कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में यात्रा करने की घोषणा करने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जब तक सत्ता में रहे, बॉलीवुड के हीरो-हिरोइनों के नृत्य का आनंद लेते रहे. किसान कभी भी उनकी प्राथमिकता में नहीं रहा. किसान हितों पर कुठाराघात करने का एक भी अवसर उन्होंने नहीं छोड़ा और आज जबकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार किसानों की मेहनत की पाई-पाई दिलवाने के लिए लगातार काम कर रही है तो सपा को किसानों की सुध हो आई है.
"सपा सरकार में क्यों नहीं हुई मक्का की खरीद" उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव किसानों के परम हितैषी बनने का स्वांग रच रहे हैं. उनसे पूछना चाहिए कि आखिर क्या कारण रहा कि 2016-17 में प्रदेश में मक्के की खरीद नहीं हुई. योगी सरकार ने आने के साथ ही पहला फोकस बकाए के भुगतान पर किया. तीन साल के दौरान योगी सरकार गन्ना किसानों का अब तक 1 लाख 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक भुगतान कर चुकी है. यह योगी सरकार की किसान हितों के प्रति प्रतिबद्धता का ही नतीजा है कि अब तक किसानों से 277.29 लाख क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है. यह खरीद पिछले वर्ष से डेढ़ गुना से भी अधिक है.
सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि पिछली सरकार की तुलना में योगी सरकार ने 6 गुना अधिक धान की खरीद सुनिश्चित की है. यही नहीं, प्रदेश में 102 मक्का क्रय केंद्रों से अब तक किसानों से 3 लाख 52 हजार क्विंटल मक्का की खरीद की जा चुकी है.
"धान खरीद की लगातार हो रही समीक्षा" उन्होंने आगे कहा, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर निरंतर धान खरीद की समीक्षा की जा रही है. धान और मक्का की खरीद का भुगतान 72 घंटे के अंदर सुनिश्चित किया जा रहा है. धान खरीद में लापरवाही बरतने पर पीसीएफ के अधिकारियों को निलंबित भी किया गया. पिछले तीन सालों में गन्ना किसानों को 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. वहीं, विभिन्न विपक्षी दल एमएसपी को लेकर भ्रम फैला रहे हैं."
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