यूपी का बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे: ग्रामीण भारत को समृद्धि से जोड़ने वाला 'विकास पथ', बदली 7 जिलों की तकदीर
Bundelkhand Expressway: बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे 296 किलोमीटर लंबा है. यह यूपी के सात जिलों को जोड़ता है, जिससे दिल्ली तक की दूरी कम हो गई है. यह कृषि, उद्योग और पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है.

उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र, जो दशकों से पानी की किल्लत और पिछड़ेपन की पहचान बना हुआ था, वह आज विकास की नई रफ्तार पकड़ रहा है. 296 किलोमीटर लंबा 'बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे' न केवल सड़कों का जाल है, बल्कि यह इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का एक मजबूत आधार बनकर उभरा है. यह एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड के बीहड़ों को सीधे देश की राजधानी दिल्ली और प्रदेश की राजधानी लखनऊ से जोड़कर समृद्धि के द्वार खोल रहा है.
कनेक्टिविटी का नया अध्याय
चित्रकूट जिले के भरतकूप के पास से शुरू होकर यह एक्सप्रेसवे इटावा के कुदरैल गांव तक जाता है, जहां यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे में मिल जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि चित्रकूट से दिल्ली तक का सफर, जिसमें पहले 12 से 14 घंटे लगते थे, अब घटकर मात्र 6 से 7 घंटे का रह गया है. यह 4-लेन का एक्सप्रेसवे (जिसे भविष्य में 6-लेन तक बढ़ाया जा सकता है) सात जिलों चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा से होकर गुजरता है.
लागत और निर्माण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2022 में इसका उद्घाटन किया था. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) द्वारा निर्मित इस परियोजना की कुल लागत लगभग 14 हजार 850 करोड़ रुपये है. खास बात यह है कि इसे रिकॉर्ड 28 महीनों के भीतर पूरा किया गया, जो भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की बदलती तस्वीर को दर्शाता है.

बुंदेलखंड की अर्थव्यवस्था के लिए 'बूस्टर'
यह एक्सप्रेसवे सिर्फ यातायात को सुगम नहीं बना रहा, बल्कि यह बुंदेलखंड की कृषि और उद्योग के लिए संजीवनी साबित हो रहा है.
किसानों को लाभ: बुंदेलखंड एक कृषि प्रधान क्षेत्र है. अब किसान अपनी उपज (सब्जियां, अनाज) को बिना खराब हुए कम समय में बड़े शहरों की मंडियों तक पहुंचा पा रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है.
औद्योगिक गलियारा: एक्सप्रेसवे के किनारे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं. इससे स्थानीय स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स और वेयरहाउस स्थापित होने लगे हैं, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं.
पर्यटन को बढ़ावा: चित्रकूट, महोबा और झांसी जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों तक पहुंच आसान होने से पर्यटन उद्योग को भी भारी बढ़ावा मिला है.
डिफेंस कॉरिडोर की रीढ़
उत्तर प्रदेश में बन रहे 'डिफेंस कॉरिडोर' के लिए भी बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे रीढ़ की हड्डी समान है. बुंदेलखंड के झांसी और चित्रकूट जैसे नोड्स में रक्षा उपकरणों के निर्माण की इकाइयां लग रही हैं. एक्सप्रेसवे की वजह से कच्चे माल की आपूर्ति और तैयार माल की ढुलाई आसान हो गई है, जो इस क्षेत्र को भारत के रक्षा उत्पादन मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर रहा है.
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे ने यह साबित कर दिया है कि अगर कनेक्टिविटी बेहतर हो, तो विकास की किरणें दूर-दराज के गांवों तक भी पहुंच सकती हैं. यह परियोजना 'सबका साथ, सबका विकास' के मंत्र को साकार करते हुए बुंदेलखंड को मुख्यधारा में लाने का एक ऐतिहासिक कदम है.
Source: IOCL























