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UP Assembly Election 2022: योगी आदित्यनाथ रचेंगे यूपी में इतिहास, पहली बार अपना कार्यकाल पूरा कर दूसरी बार कोई बनेगा CM

2017 में योगी आदित्यनाथ सीएम बने और अब एक बार फिर 2022 में उन्होंने जीत हासिल की है. यूपी के इतिहास में ये पहले बार है जब कोई CM अपना कार्यकाल पूरा कर लगातार दूसरी बार इस कुर्सी पर बैठने जा रहा है. 

UP Election Result 2022: बीजेपी के योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में एक साथ दो इतिहास रच दिए हैं. एक तो योगी पहले ऐसे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं जो अपना कार्यकाल पूरा कर दूसरी बार मुख्यमंत्री पद पर बैठने जा रहे हैं. साथ ही सीएम ने ये मिथ भी तोड़ दिया कि जो सीएम नोएडा आता है वो दूसरी बार कुर्सी पर नहीं बैठता. 

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी लगातार दूसरी बार सत्ता में आती दिख रही है. इन चुनावों में जीत हासिल करने के बाद योगी आदित्यनाथ यूपी में इतिहास रचने जा रहे हैं. यूपी के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ है जब एक साथ लगातार कोई सीएम दूसरी बार इस कुर्सी पर बैठा हो. हालांकि कुछ अंतराल के बाद भले ही यूपी में मुख्यमंत्री की कमान संभाली है लेकिन एक साथ किसी को भी दो बार लगातार इस कुर्सी पर आसीन होने का मौका नहीं मिला है. 

चुनाव की मतगणना के रूझानों के अनुसार एक ओर जहां आदित्यनाथ गोरखपुर शहर सीट से जीत की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं तो दूसरी ओर भाजपा भी गौतमबुद्ध नगर जिले की सभी तीन सीटें अपनी झोली में डालती दिख रही है. इस जिले में नोएडा, दादरी और जेवर विधानसभा क्षेत्र आते हैं. लगभग तीन दशकों से ऐसा कहा जाता रहा है कि गौतमबुद्ध नगर जिले में नोएडा का दौरा करने वाला उत्तर प्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री सत्ता में वापस नहीं आता.  

यूपी में कभी नहीं बना कोई लगातार दूसरी बार CM

यूपी के पहले मुख्य मंत्री साल 20 मई 1952 को गोविंद बल्लभ पंत पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे. गोविंद बल्लभ कांग्रेस से सीएम बने थे. इसके बाद 1957 में दूसरी विधनसभा चुनावों में संपूर्मानंद यूपी के दूसरे सीएम बने. तीसरे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के चंद्रभानू गुप्ता ने सीएम पद संभाला. चौथे विधानसभा चुनावों में साल 1967 में चरण सिंह मुख्यमंत्री बने. इसके बाद राज्य में राजनीतिक उठापठक के बाद चरण सिंह की सरकार गिर गई और चंद्रभानू गुप्ता फिर सीएम बने. पांचवी विधानसभा में कांग्रेस के दो मुख्यमंत्री आए. इसके बाद साल 1974 में एक बार कांग्रेस की सरकार आई और हेमवती नंदन बहुगुना सीएम बनें. राष्ट्रपति शासन के बाग नारायण दत्त तिवारी ने ये कुर्सी संभाली.

1979 में जनता पार्टी जीती और इस शासन काल में भी दो सीएम आए और फिर सरकार गिर गई. साल 1980 में फिर चुनाव हुए और कांग्रेस ने सत्ता हासिल की. इस दौरान भी यूपी में दो मुख्यमंत्रियों ने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया. 1985 में 9वीं विधानसभा के चुनाव हुए और वीर बहादुर सिंह के बाद नारायण दत्त तिवारी ने सीएम पद संभाला. 10वीं विधानसभा में जनता दल को जीत मिली और मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की. लगभग 2 साल के शासन के बाद सरकार गिर गई और 1991 में 11वीं विधानसभा के चुनाव हुए जिसमें बीजेपी के कल्याण सिंह सत्ता में आए. कल्याण सिंह भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और करीब डेढ़ साल बाद सरकार गिर गई.

1993 में 12वीं बार विधानसभा चुनाव हुए जिसमें समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव सीएम बने. इस बार भी सरकार बदली और 1995 में मायावती सीएम बनीं. मायावती भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया. इसके बाद 1997 में कल्याण सिंह फिर मुख्यमंत्री बने. साल 2000 में राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री पद संभाला.

साल 2002 में फिर मायावती मुख्यमंत्री बनीं. साल 2003 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने.  इसके बाद साल 2003 में मुलायम सिंह सीएम बने. साल 2007 में मायावती एक बार फिर सत्ता में आई और मुख्यमंत्री बनीं. साल 2012 में अखिलेश यादव सत्ता में आए और सीएम बने. साल 2017 में बीजेपी के योगी आदित्यनाथ सीएम बने और अब एक बार फिर 2022 में उन्होंने जीत हासिल की है. यूपी की राजनीति के इतिहास में ये पहले बार है जब कोई मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर लगातार दूसरी बार सीएम की कुर्सी पर बैठने जा रहा है. 

मायावती को मिली थी हार

हाल के इतिहास की बात करें तो, मार्च 2007 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाली मायावती उस साल अपने करीबी सतीश मिश्रा के रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए नोएडा गई थीं. हालांकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख के इस साहसिक कदम को उस समय धारणाओं को तोड़ने का प्रयास करार दिया गया था. लेकिन 2012 में राज्य की सत्ता से उनके बाहर होने के साथ ही यह मिथक बरकरार रहा. मायावती ग्रेटर नोएडा के बादलपुर गांव से संबंध रखती हैं.

इन नेताओं ने किया नोएडा से परहेज

इससे पहले, उनके पूर्ववर्ती तथा समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव, भाजपा के राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह अपने मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल के दौरान नोएडा आए ही नहीं. साल 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव ने व्यक्तिगत रूप से नोएडा न आने के सिलसिले को बरकरार रखा. अखिलेश यादव साल 2013 में नोएडा में हुए एशियाई विकास बैंक सम्मेलन में शरीक नहीं हुए थे. उस सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य अतिथि थे.

योगी ने किए कई दौरे

साल 2017 में उत्तर प्रदेश की कमान संभालने वाले आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद से दर्जनों बार नोएडा का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने नोएडा में मेट्रो के उद्घाटन के अलावा कई अन्य परियोजनाओं की शुरुआत की. जनवरी में उन्होंने गौतमबुद्ध नगर पहुंचकर कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि यदि योगी आदित्यनाथ नोएडा आने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दोबारा काबिज हो जाते हैं, तो इस बार नोएडा को लेकर चला आ रहा मिथक टूट जाएगा.

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