UP Politics: स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढीं, धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में मुकदमा दर्ज, जानें- मामला?
UP Politics: हिंदू युवा वाहिनी के मारुति त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा की जनसभा में ऐसा नारा लगाया, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत होती है. उन्होंने मौर्य के खिलाफ केस दर्ज कराया है.

Swami Prasad Maurya News: अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मौर्य के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है. बीते सोमवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की जनसभा में धार्मिक भावनाओं को भड़काने व आहत करने वाला नारा दिया था, जिसके बाद हिंदू संगठनों में आक्रोश व्याप्त है. पुलिस ने तहरीर के आधार पर स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है.
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव दीन शाह गौरा स्थित महाविद्यालय में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण व जनसभा के कार्यक्रम में पहुंचे थे. जहां स्वामी प्रसाद मौर्य ने जनसभा को संबोधित करते हुए 'मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गए श्रीराम का नारा' का नारा लगवाया, मौर्य ने कहा मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए...' जिसके बाद सभा में आए लोगों ने 'जय श्रीराम' कहा. इस नारे को लेकर हिन्दू संगठनों में आक्रोश देखने को मिल रहा है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज
इस मामले में जितेंद्र सिंह व मारुति त्रिपाठी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करने की अपील की, जिसे गंभीरता से लेते हुए शहर कोतवाली पुलिस ने मौर्य के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है. हिंदू युवा वाहिनी के मारुति त्रिपाठी ने कहा कि सपा नेता ने भाषण देने के दौरान धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश की है. जिसके बाद पुलिस अब इस मामले की जांच में जुट गई है.
दलित-पिछड़ों को साधने में जुटी सपा
आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले काफी समय से रामचरितमानस से लेकर, मंदिर ना जाने जैसी बातें भी पहले कर चुके हैं. यही नहीं उन्होंने साधु संतों को लेकर भी कई अभद्र टिप्पणियों की, जिसकी वजह से प्रदेश की सियासत में काफी गरमी देखने को मिली थी. दीन शाह गौरा में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करके अखिलेश यादव ने दलितों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया तो वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार पिछड़ों, अति पिछड़े और दलित वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं.
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