शारदा विश्वविद्यालय में ज्योति शर्मा की आत्महत्या मामले की जांच करेगी सीबीआई? लिखा सीएम को पत्र
18 जुलाई की रात को बीडीएस छात्रा ज्योति शर्मा ने छात्रावास के अपने कमरे में आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में मृतका के पिता की तहरीर पर छह नामजद और अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया था.

ग्रेटर नोएडा शारदा विश्वविद्यालय के कैंपस परिसर स्थित छात्रावास में बीडीएस की छात्रा ज्योति शर्मा की मौत के मामले में परिजनों का भरोसा पुलिस से उठ गया है. परिजनों का कहना है कि पुलिस आरोपियों को बचा रही है. जिसकी वजह से जेल में बंद आरोपियों को आसानी से जमानत मिल गई. साथ ही बाहर खुलेआम घूम रहे अन्य आरोपियों को पुलिस ने अभी तक जेल नहीं भेजा है. परिजनों ने ज्योति आत्महत्या मामले की जांच वीरवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सीबीआई से कराने की मांग की है.
बता दें कि, 18 जुलाई की रात को बीडीएस छात्रा ज्योति शर्मा ने छात्रावास के अपने कमरे में आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में मृतका के पिता की तहरीर पर पुलिस ने प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, डीन समेत छह नामजद और अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया था. मृतका के पिता राजेश जांगड़ा ने आरोप लगाए थे कि क्लास में आए दिन ज्योति का मानसिक उत्पीड़न किया जाता था. 16 जुलाई को भी छात्रा को क्लास में जलील किया गया. आरोप है कि 17 और 18 जुलाई को भी महेंद्र, स्टॉफ सैरी मैडम और एचओडी आशीष चौधरी ने प्रताड़ित किया थां. जिनकी वजह से ज्योति ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया था.
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ज्योति केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता कपिल शर्मा ने बताया कि शुरूआत से ही पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रबंधन का सहयोग किया. आत्महत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने आरोपियों को बचाया है. साथ ही दो माह का समय बीत जाने के बाद भी पुलिस की तरफ से कोई संतोष जनक कार्रवाई नहीं की गई है. पुलिस ने अभी तक गवाह और मृतका के परिजनों के बयान तक दर्ज नहीं किए है. पुलिस की सह के चलते कई आरोपी खुलेआम घूम रहे है. उन्होंने बताया कि पुलिस ने सैरी मैडम एवं महेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, उन्हें पुलिस की कमजोर पैरवी की वजह से जमानत मिल चुकी है. पुलिस ठीक से पूरी घटना के साक्ष्य को भी एकत्रित नहीं कर रही है. उन्होंने बताया कि प्रबंधन के पास धन की कोई कमी नहीं है, जिसकी वजह से साक्ष्य को मिटाने का काम पुलिस की तरफ से किया जा रहा है.
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