Subrata Roy Death: सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को आज दी जाएगी अंतिम विदाई, गोरखपुर के इस घर से रहा है खास नाता
Subrata Roy Last Rites: सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की शव यात्रा आज सहारा शहर से निकाली जाएगी. उनके पार्थिव शरीर को आज दोपहर बैकुंठ धाम में उनके पोते मुखाग्नि देंगे.
Subrata Roy Death: सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का 75 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के चलते मुंबई के एक निजी अस्पताल में मंगलवार को निधन हो गया था. जिसके बाद बुधवार शाम करीब शाम 5 बजे उनका पार्थिव शरीर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सहारा सहर में लाया गया. जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का जमावड़ा देखा गया. आज उनका अंतिम संस्कार भैंसाकुंड में किया जाएगा. जहां उनके पोते उनको मुखाग्नि देंगे.
सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय ने गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा किया. जिस दौरान वह गोरखपुर के तुर्कमानपुर बर्फखाना रोड बने घर 'इंद्रावती निवास' में 250 रुपये किराये पर रहा करते थे. उन्होंने गोरखपुर के इसी घर से अपनी फाइनेंस कंपनी की शुरुआत की, जिसके बाद उन्होंने इसी मकान में रहते हुए नमकीन के छोटे-छोटे पैकेट बनाकर व्यापारियों को जोड़ने का काम किया.
किराए के मकान से की थी शुरुआत
गोरखपुर में किराए के मकान से शुरुआत करने के बाद फिर कभी उन्होंने पलटकर नहीं देखा. फाइनेंस के बाद वह रियल एस्टेट और मीडिया संस्थान जैसे क्षेत्रों में उन्होंने अपना हाथ आजमाया. लखनऊ में उनका बसाया सहारा शहर आज भी कई लोकप्रिय हस्तियों के बीच पसंदीदा स्थान रखता है. उन्हें पार्टियों का काफी शौक था. जिसके चलते उनके घर में होने वाले फंक्शन में अक्सर कई बड़े फिल्मी सितारों को शामिल होते देखा गया है.
बेटों की शादी में खर्च किए 550 करोड़
सुब्रत रॉय के शाही शौक के कारण ही उनके बेटे की शादी में अमिताभ बच्चन का पूरा परिवार समेत कई बड़े दिग्गज अभिनेता और राजनीति से जुड़े लोग मौजूद रहे. उन्होंने साल 2004 में अपने बेटों की शादी शाही अंदाज में की थी. जिसके लिए उन्होंने 550 करोड़ का खर्च किया था. जो उस वक्त भारत में हुई सबसे महंगी शादियों में शुमार रही और उसने पूरे भारत में तहलका मचा दिया था.
विवादों में भी रहे सहारा प्रमुख
सहारा प्रमुख का विवादों से भी गहरा नाता रहा है. जिसके चलते उन्हें लंबे समय तक अपना जीवन जेल में बिताना पड़ा. उन्हें अपने समूह की कंपनियों के संबंध में कई नियामक और कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ा, जिन पर बहु-स्तरीय विपणन योजनाएं बनाने के लिए नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया था. उन्होंने लगभग दो साल जेल में बिताए. 2017 से वह पेरोल पर बाहर थे.
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