ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना: ट्रैक बिछाने के लिए सर्वे शुरू, पर्यटन- व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
Uttarakhand: उत्तराखंड में महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के तहत ट्रैक बिछाने का काम अब अंतिम चरण में पहुंच रहा है. 750 करोड़ रुपये की लागत से इस परियोजना का निर्माण कराया जा रहा है.

Rishikesh-Karnprayag Railway Project: उत्तराखंड में महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के तहत ट्रैक बिछाने का काम अब अंतिम चरण में पहुंच रहा है. इस परियोजना में 125 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाई जानी है, जिसकी लागत लगभग 750 करोड़ रुपये आंकी गई है. भारतीय रेलवे के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल ने वर्ष 2027 तक ट्रैक बिछाने का कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. परियोजना के अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल ट्रैक बिछाने के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है.
इस परियोजना में कुल 16 मुख्य और सहायक सुरंगें हैं, जिनकी कुल लंबाई 213 किमी है. इसमें से अब तक 193 किमी सुरंगों की खोदाई का कार्य पूरा हो चुका है. मुख्य सुरंगों की लंबाई 125 किमी है, जिनमें से 93 किमी सुरंगों की खोदाई पूर्ण हो चुकी है. परियोजना में कुल 46 ब्रेकथ्रू होने हैं, जिनमें से अब तक 35 सुरंगों में ब्रेकथ्रू हो चुका है. शेष ब्रेकथ्रू को 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
83 किमी सुरंगों में लाइनिंग का काम पूरा
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश सुरंगों में कंक्रीट की फाइनल लाइनिंग का काम भी पूरा हो चुका है. अब तक 83 किमी सुरंगों में फाइनल लाइनिंग का काम पूरा कर लिया गया है, जिससे सुरंगों की छत और दीवारों को पुख्ता किया गया है. जिन सुरंगों में यह काम पूरा हो गया है, वहां ट्रैक बिछाने के लिए सर्वेक्षण प्रारंभ कर दिया गया है.
इस परियोजना की खास बात यह है कि रेलवे ट्रैक का अधिकांश हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा. कुल 125 किमी दूरी में से 105 किमी हिस्सा सुरंगों में होगा. ऐसे में सुरंगों के अंदर आधुनिक तकनीक वाला बेलासलेस (बिना गिट्टी वाला) ट्रैक बिछाया जाएगा. इससे ट्रेनों की रफ्तार और संचालन में आसानी होगी.
साल 2026 तक सभी पुलों के निर्माण का लक्ष्य- रेलवे
परियोजना में कुल 19 पुलों का निर्माण प्रस्तावित है, जिनमें से आठ पुल पहले ही बनकर तैयार हो चुके हैं. इनमें चंद्रभागा, शिवपुरी, गूलर, ब्यासी, कोड़ियाला, पौड़ी नाला, लक्ष्मोली और श्रीनगर पुल शामिल हैं. शेष 11 पुलों का निर्माण 60 फीसदी पूरा हो चुका है. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2026 के अंत तक सभी पुलों के निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
इस परियोजना में कुल 13 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं. इनमें से दो स्टेशन वीरभद्र और योगनगरी रेलवे स्टेशन पहले ही वर्ष 2020 में बनकर तैयार हो चुके हैं. वहीं, शिवपुरी और ब्यासी रेलवे स्टेशन के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इन दोनों स्टेशनों का निर्माण 61 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा.
- कुल लंबाई- 125 किमी
- लागत- 750 करोड़ रुपये
- सुरंगों की कुल संख्या- 16 (193 किमी की खोदाई पूरी)
- पुलों की संख्या- 19 (8 पूरे, 11 का कार्य जारी)
- स्टेशन- 13 (2 तैयार, 2 निर्माणाधीन, 9 के लिए टेंडर प्रक्रिया)
- ट्रैक बिछाने की समयसीमा- 2027
परियोजना का सबसे बड़ा स्टेशन कर्णप्रयाग
शेष नौ स्टेशनों के लिए तीन अलग-अलग टेंडर जारी किए जाएंगे. पहला टेंडर देवप्रयाग, जनासू, मलेथा और श्रीनगर स्टेशनों के लिए, दूसरा टेंडर धारीदेवी, घोलतीर, तिलड़ी और गौचर स्टेशनों के लिए और तीसरा टेंडर कर्णप्रयाग स्टेशन के लिए जारी होगा. परियोजना का सबसे बड़ा स्टेशन कर्णप्रयाग होगा. सभी स्टेशनों के निर्माण की अनुमानित लागत करीब 550 करोड़ रुपये है
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, ट्रैक बिछाने के लिए जरूरी स्लीपर और अन्य सामग्री परियोजना स्थलों पर पहुंच चुकी है. रेलवे विकास निगम के उपमहाप्रबंधक (सिविल) ओपी मालगुड़ी ने बताया कि ट्रैक बिछाने का कार्य तेजी से पूरा करने के लिए सर्वेक्षण कार्य भी तेज कर दिया गया है.
ये परियोजना उत्तराखंड के पर्यटन को बढ़ावा देगी
परियोजना अधिकारियों का कहना है कि ट्रैक बिछाने का काम वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके बाद इस रेल लाइन पर ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा. यह परियोजना उत्तराखंड के पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए भी वरदान साबित होगी. यह रेलवे परियोजना न केवल उत्तराखंड के चारधाम यात्रा को सुगम बनाएगी, बल्कि पर्यटन और व्यापार के नए अवसर भी खोलेगी.
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