(Source: ECI / CVoter)
PM Modi Kedarnath Visit: केदारनाथ में आज श्री आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करेंगे पीएम मोदी, जानें क्या हैं इस मूर्ति की विशेषताएं
PM Modi Kedarnath Visit:पीएम नरेंद्र मोदी आज आदि गुरु शंकराचार्य (Adi Guru Shankaracharya) की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. ये प्रतिमा काफी विशेषताओं से भरी हैं. चलिए यहां जानते हैं इसकी खासियत.
PM Modi Kedarnath Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह केदारनाथ धाम पहुंचकर सबसे पहले बाबा केदार की पूजा करेंगे. इसके बाद पीएम मोदी केदार घाटी में पुनर्निर्माण कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास करें. इसके साथ ही आज पीएम मोदी द्वार आदि गुरु शंकराचार्य (Adi Guru Shankaracharya) की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा.
गौरतलब है कि 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ में, केदारनाथ मंदिर के बगल में बनी आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि (अंतिम विश्राम स्थल) बह गई थी. पुनर्निर्माण परियोजना के तहत केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे शंकराचार्य की नई प्रतिमा स्थापित की गई है.आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म के प्रसिद्ध चारो धाम और मठों की स्थापना की थी. उन्होंने सनातन धर्म के वैभव को बचाने के लिए और सम्पूर्ण भारत को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. उन्ही की प्रतिमा का आज पीएम मोदी द्वारा अनावरण किया जाएगा. चलिए यहां जानते हैं आदि शंकराचार्य की इस ख़ास मूर्ति ने ने कैसे आकार लिया और इसकी क्या विशेषताएं हैं.
आदि शंकराचार्य की प्रतिमा की विशेषताएं
- आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के निर्माण के लिए कई मूर्तिकारों ने काफी संख्या में मॉडल दिए थे. ऐसे करीब 18 मॉडल में से एक मॉडल का चयन किया गया.
- प्रधानमंत्री की सहमति के बाद मॉडल का चयन किया गया.
- कर्नाटक के मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इस मूर्ति को बनाया है, उनकी पांच पीढ़ियां इस कार्य में जुटी हैं, अरुण खुद एमबीए हैं लेकिन वह मूर्तियां बनाते हैं.
- 9 लोगों की टीम ने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा पर काम किया और सितंबर 2020 में मूर्ति बनाने का काम शुरू किया था.
- तकरीबन एक साल तक प्रतिमा पर काम किया गया और इस साल सितंबर महीने में मूर्ति को मैसूर से चिनूक हेलीकॉप्टर के द्वारा उत्तराखंड ले जाया गया और यहां कृष्ण शिला (ब्लैक स्टोन) से मूर्ति को बनाया गया.
- शंकराचार्य की प्रतिमा के निर्माण के लिए लगभग 130 टन की एक ही शिला का चयन किया गया था.
- शिला को तराशा और कांटा-छांटा गया तो प्रतिमा का वजन तकरीबन 35 टन ही रह गया.
- आदि शंकराचार्य की प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 12 फीट है. प्रतिमा निर्माण के दौरान शिला पर नारियल पानी का खूब इस्तेमाल किया गया जिससे प्रतिमा की सतह चमकदार हो और आदि शंकराचार्य के “तेज” का प्रतिनिधित्व भी करे.
- ब्लैक स्टोन पर आग ,पानी ,बारिश, हवा के थपेड़ों का असर नहीं होगा यानी किसी भी मौसम की मार सहने के योग्य शिला का चयन आदि शंकरचार्या की प्रतिमा के लिए किया गया था.
ये भी पढ़ें