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महोबा में डिलीवरी के नाम पर अवैध वसूली, जिला महिला अस्पताल का मामला, जांच के निर्देश
Mahoba News: यूपी के महोबा में जिला महिला अस्पताल के अंदर मरीजों के प्रसव के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है. इस मामले का खुलासा सीएमएस निरीक्षण के दौरान हुआ है.

उत्तर प्रदेश के महोबा के जिला महिला चिकित्सालय से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां निःशुल्क प्रसव और उपचार के सरकारी दावे सिर्फ कागजों में नजर आते हैं, जबकि हकीकत सभ्य समाज को भी शर्मसार करने वाली है. इस अस्पताल में खुलेआम मरीजों और तीमारदारों को डराकर वसूली की जा रही है. सीएमएस के निरीक्षण में भी इस मामले की पुष्टि हुई है. इस खुलासे पर कार्रवाई और जांच के निर्देश दिए गए हैं.
मरीजों का डराकर की जा रही थी अवैध वसूली
जिला महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी से पहले मरीजों और उनके तीमारदारों को सीजर का डर दिखाकर रेफर करने की धमकी दी जाती है. फिर उनसे रुपए की मांग स्टाफ करता है और रूपये लेने के बाद बाद उसी मरीज की नॉर्मल डिलीवरी हो जाती है.
ये शिकायतें मिलने पर सीएमएस डॉ आर.के. चौरिहा ने जब इसकी हकीकत जानी तो उनके पैरों तले भी जमीन खिसक गई. सीएमएस डॉ. आर.के. चौरिहा ने स्वयं लेबर रूम और वार्डों का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान जब उन्होंने भर्ती मरीजों और उनके परिजनों से बातचीत की, तो कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए.
अस्पताल में भर्ती मरीज ने क्या बताया?
वार्ड में भर्ती मरीज संगीता पत्नी धीरेन्द्र निवासी ग्राम बौरा सतारी ने बताया कि स्टाफ ने उससे 2000 रुपए लिए हैं. खुशबू पत्नी मल्लन निवासी कुरोरा डांग ने 1500 रुपए, सावित्री पत्नी राम भरोसे निवासी सूपा ने 3000 रुपए और अर्चना पत्नी चुन्नू निवासी कबरई ने 3000 रुपए दिए जाने की बात कही.
कुल मिलाकर आधा दर्जन प्रसूताओं ने लेबर रूम स्टाफ पर खुलकर अवैध वसूली के आरोप लगाए. परिजनों ने बताया कि लेबर रूम में तैनात स्टाफ पहले मरीजों को डराता है कभी कहता है बच्चा उल्टा है, कभी कहता है जच्चा का ब्लड कम है या डिलीवरी नॉर्मल नहीं हो पाएगी. लेकिन जैसे ही रुपए दिए जाते हैं, वही मुश्किल डिलीवरी अचानक नॉर्मल हो जाती है.
पूछताछ में पैसे बांटने की बात स्वीकार
सीएमएस ने जब मौके पर स्टाफ से पूछताछ की, तो कर्मचारियों ने आपस में पैसे बांटने की बात स्वीकार कर ली. डॉ. आर.के. चौरिहा ने मामले की सूचना जिलाधिकारी, सीएमओ और एडी को देकर उचित कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने माना कि स्टाफ गरीब मरीजों का शोषण कर रहे थे, हालांकि यह कैसे संभव है कि अस्पताल परिसर में उनके केबिन के पास ही यह भ्रष्टाचार चलता रहा और उन्हें खबर न लगी.
फिलहाल मामले के खुलासे के बाद जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन सवाल अब भी यह है कि स्वास्थ्य व्यवस्था के भगवान ही जब भय और लालच के प्रतीक बन जाएं तो गरीबों का उपचार आखिर कौन करेगा.
Source: IOCL
























