Reel से रीयल लाइफ की तरफ बढ़ रहे डिजिटल युग के युवा, महाकुंभ में दिखा अलग क्रेज
UP News: महाकुंभ 2025 में इस बार युवाओं की ऐतिहासिक भागीदारी देखने को मिली है. गूगल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सनातन धर्म, वेद-पुराण, गीता और योग से जुड़े विषयों को लेकर खोजबीन बढ़ी है.

Maha Kumbh 2025: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 में इस बार युवाओं की ऐतिहासिक भागीदारी देखने को मिली है. श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर संपूर्णानंद महाराज ने बताया कि इस महाकुंभ में 50% से अधिक श्रद्धालु 30 वर्ष से कम उम्र के रहे, जो यह दर्शाता है कि नई पीढ़ी तेजी से सनातन संस्कृति और आध्यात्म की ओर आकर्षित हो रही है. पिछले कुछ वर्षों में भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का माहौल बना है.
डिजिटल युग में पले-बढ़े युवा, जो पहले सोशल मीडिया पर रील बनाने और वर्चुअल दुनिया में अधिक समय बिताते थे, अब रीयल लाइफ में सनातन संस्कृति को समझने और आत्मसात करने की कोशिश कर रहे हैं. गूगल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सनातन धर्म, वेद-पुराण, गीता और योग से जुड़े विषयों को लेकर खोजबीन बढ़ी है.
महाकुंभ में रामकथा, भागवत कथा और प्रवचनों में युवाओं की भारी उपस्थिति देखने को मिली. सत्संगों और कीर्तन में शामिल होकर वे धर्म, योग और ध्यान को गहराई से समझने का प्रयास कर रहे हैं. संपूर्णानंद महाराज ने कहा कि यह बदलाव दर्शाता है कि आधुनिक पीढ़ी जड़ों की ओर लौट रही है, जो एक सकारात्मक संकेत है. महामंडलेश्वर संपूर्णानंद महाराज ने इस बदलाव का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया.
उन्होंने कहा कि सरकार ने सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उज्जैन में महाकाल लोक जैसी परियोजनाएं भारत की धार्मिक विरासत को पुनर्जीवित करने में मील का पत्थर साबित हुई हैं.
आध्यात्म से बढ़ रही सामाजिक एकता
महाकुंभ केवल धार्मिक आस्था का संगम नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक भी बनता जा रहा है. संपूर्णानंद महाराज ने बताया कि इस महाकुंभ में हर वर्ग, जाति और पंथ के लोग एक साथ डुबकी लगा रहे हैं. यह दिखाता है कि सनातन धर्म में भेदभाव नहीं, बल्कि सबको जोड़ने की शक्ति है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसे “एकता का महाकुंभ” बताया है, जहां लोग तीनों नदियों—गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में बिना किसी भेदभाव के आस्था की डुबकी लगा रहे हैं.
महाकुंभ से लौटते समय श्रद्धालु संगम की मिट्टी अपने साथ ले जा रहे हैं, जो इस आयोजन से उनकी गहरी जुड़ाव को दर्शाता है. यह भारत की सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना और आध्यात्मिक ऊर्जा के पुनरुत्थान का संकेत है. संपूर्णानंद महाराज ने कहा कि यदि युवा अपनी संस्कृति से जुड़े रहेंगे, तो अपराधों में कमी आएगी और समाज में नैतिकता, सद्भाव और समृद्धि बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि “यदि हमारी नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़कर आगे बढ़ेगी, तो भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा.”
महाकुंभ अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है. 7 फरवरी से अखाड़ों की रवानगी शुरू होगी. लेकिन इस महाकुंभ ने जो धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना जागृत की है, उसकी गूंज आने वाले वर्षों तक सुनाई देती रहेगी.
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