Lok Sabha Election 2024: स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य को नई जिम्मेदारी देगी BJP?
Lok Sabha Election 2024: यूपी की बदायूं सीट को लेकर जिस बात की चर्चा हो रही थी, वहीं हो गया. भाजपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काट दिया है.
UP Lok Sabha Election 2024: यूपी लोकसभा चुनाव में बदायूं लोकसभा सीट से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य का बीजेपी से टिकट कटने बाद उनके अगले कदम को लेकर कयास लग रहे हैं. बीजेपी संघमित्रा मौर्य को पार्टी में कोई नई जिम्मेदारी देगी या वो अपने पिता के साथ नई राजनीतिक पारी की शुरुआत कर कर सकती है. इसे लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का बड़ा बयान आया है.
संघमित्रा मौर्य का टिकट कटने पर यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधऱी ने इसे चयन प्रक्रिया का एक हिस्सा बताया. उन्होंने कहा 'भाजपा हर किसी को मौका देती है. उनका टिकट कटना पार्टी की चयन प्रक्रिया का एक हिस्सा है.' उनके इस बयान के बाद कयास हैं कि बीजेपी संघमित्रा मौर्य को पार्टी संगठन में कोई जिम्मेदारी दे सकती है. टिकट कटने वाले सांसदों को लेकर उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि वो भाजपा के सच्चे सिपाही रहेंगे और पार्टी को छोड़कर नहीं जाएंगे.
टिकट कटने पर क्या बोलीं संघमित्रा मौर्य
संघमित्रा मौर्य ने भी टिकट कटने के बाद प्रतिक्रिया दी और बदायूं से बीजेपी उम्मीदवार बनाए गए दुर्गविजय सिंह को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, 'बृज क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्गविजय सिंह शाक्य को लोकसभा क्षेत्र बदायूं से प्रत्याशी बनाए जाने की ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई.' उन्होंने अपने सीट दुर्गविजय सिंह की तस्वीर भी शेयर की.
बीजेपी ने क्यों काटा टिकट?
दरअसल बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट कटने के पिछले काफी समय से क्यास लगाए जा रहे थे. इसके पीछे की वजह उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिए सनातन विरोधी बयानों को माना जा रहा है. पार्टी का लगता है कि अगर वो संघमित्रा को टिकट देती है सनातन पक्षधर के वोटर उनका विरोध कर सकते हैं और विपक्ष भी इसे मुद्दा बना सकता है. जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी से अलग होने के बाद से ही वो शीर्ष नेतृत्व की रडार पर आ गईं थी, खासतौर से रामचरितमानस और हिन्दू देवी-देवताओं पर दिए गए बयान पर बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी. हालांकि संघमित्रा लगातार खुद को भाजपा का कार्यकर्ता और सिपाही बताती रहीं.
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