VHP ने सालाना बैठक में किया काशी-मथुरा की मुक्ति का ऐलान, अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दिया ये जवाब
Jamiat Ulema E Hind on VHP: विश्व हिंदू परिषद ने सालाना बैठक में फैसला किया है कि उसे फिलहाल काशी और मथुरा पर ही पूरी तरह फोकस करना है. संभल और अजमेर समेत बाकी विवादों पर वह बाद में विचार करेगा.

UP News: काशी-मथुरा की पूर्ण मुक्ति वाले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के बयान पर जमीयत उलेमा ए हिन्द ने आपत्ति जताई है. जमीयत उलेमा ए हिन्द यूपी के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा ऐसे लोग देश को धार्मिक उन्माद में धकेल कर देश के अमन शांति वाले माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं.
मौलाना काब रशीदी ने कहा कि ये न बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को मानते हैं और न देश की अदालत का सम्मान करते हैं. ऐसे लोगों पर सरकार में संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को अंकुश लगाना चाहिये. ऐसे लोगों का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए.
विहिप की बैठक में काशी मथुरा के लिए आंदोलन करने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलाना काब रशीदी ने कहा कि इस देश की सांसद ने प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 बनाया था. जिसमें यह तय किया था कि साल 1947 में जो धार्मिक जगह जिस धर्म के लोगों के पास थी उन्हीं के पास रहेगी ताकि कोई नया विवाद खड़ा न हो. सिर्फ बाबरी मस्जिद को इस कानून से अलग रखा गया था.
उन्होंने कहा कि 12 दिसंबर 2024 को भारत के सर्वोच्चतम न्यायालय ने भी यह कहा था प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट स्टे करता है. देश में कोई भी लोवर कोर्ट मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर न कोई नया केस दर्ज कर सकता है और न उस पर सर्वे आदि पारित कर सकता है.
आंदोलन करने वाले लोग संविधान से ऊपर नहीं-मौलाना काब रशीदी
सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद भी अगर कुछ लोग इस तरह की बात कर रहे हैं तो मेरा पूर्ण विश्वास है की ऐसे लोगों की आस्था न तो भारत के संविधान पर है और न देश की संसद पर है और न भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर है. काशी, मथुरा, संभल और अजमेर के ऊपर आंदोलन करने वाले लोग डॉ आंबेडकर के संविधान से ऊपर नहीं हैं.
देश के सौहार्द को बिगाड़ना चाहते हैं ये लोग- मौलाना काब रशीदी
मौलाना ने कह कि डॉ बाबा साहब अंबेडकर के संविधान के दायरे में बनने वाली संस्थाओं ने जब देश को एक मॉडल दिया है और एक वैचारिक लाइन खिंची है तो उस को क्रॉस करने के लिए ये कैसे अधिकृत हो सकते हैं. ये देश के सौहार्द को बिगाड़ना चाहते हैं देश के संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे लोगों का संज्ञान लेना चाहिए कि हम भारत को किस दिशा में ले जा रहे हैं.
मौलाना काब रशीदी ने कहा कि मंदिर कहां थे ये आप तय करेंगे? आपने कहा था कि बाबरी मस्जिद मंदिर को तोड़ कर बनाई गई थी लेकिन आप सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट देखिए उसमें ये कहीं नहीं लिखा है कि यहां मंदिर था उसे तोड़ कर मस्जिद बनाई गई थी. ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट में कहीं नहीं कहा तो अगर हम आपकी बात पर जाएंगे तो देश में न जाने कितनी मस्जिदें होंगी, जिन्हें आप कहोगे की मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई.
कोर्ट और न्यायिक प्रक्रिया का घनघोर उल्लंघन- मौलाना काब रशीदी
उन्होंने कहा कि लोगों पर सरकार को रोक लगानी चाहिए क्योंकि ये लोग कोर्ट और न्यायिक प्रक्रिया का घनघोर उल्लंघन कर रहे हैं. एक सभ्य समाज में इनका कोई स्थान नहीं होना चाहिए. इन्हें तो भारत के बेरोजगार युवाओं और महंगाई पर बात करनी चाहिए न कि देश को धार्मिक उन्माद में धकेलना चाहिए.
वीएचपी की सालाना बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले
बता दें कि प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति और प्रन्यासी मंडल की तीन दिनों की सालाना बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण फैसला अयोध्या के बाद अब काशी और मथुरा की पूर्ण मुक्ति को लेकर है. VHP ने फैसला किया है कि उसे फिलहाल काशी और मथुरा पर ही पूरी तरह फोकस करना है. संभल और अजमेर समेत बाकी विवादों पर वह बाद में विचार करेगा.
हिंदुओं के मठ मंदिरों को लेकर भी हुआ अहम फैसला
वहीं इस बैठक में यह भी तय किया गया है कि सभी मस्जिदों के नीचे मंदिर नहीं खोजे जाने हैं, लेकिन जहां पहले मंदिर रहे हैं वहां को लेकर कोशिश जरूर की जाएगी. दूसरा अहम फैसला हिंदुओं के मठ मंदिरों को पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण से मुक्त किए जाने की मांग से जुड़ा हुआ है. परिषद ने इसे लेकर अगले तीन महीने के कार्यक्रमों का भी ऐलान किया है.
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