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फायर फाइटर की जिंदगी नहीं होती है आसान, यहां जानिए आग लगने की सूचना पाकर कैसे काम करता है अग्निशमन विभाग

Fire Fighter: किसी महानगर में फायर सर्विस किस तरह से संचालित होता है. वहां पर बैठे लोगों को कैसे इसकी सूचना मिलती है. वे लोग कैसे मिनटों में आग लगने वाली जगह पर पहुंच जाते हैं, यह सब हम आपको बताएंगे.

Gorakhpur Fire Fighter Service: देश-दुनिया में धन कमाने की लालसा तो हर किसी के मन में होती है, लेकिन बिरले ही होते हैं, जो दूसरों की जान बचाने के जज्‍बे से भरे होते हैं. फायर सर्विस (अग्निशमन) विभाग के जवान भी ऐसे ही हौसले और जज्बे से भरे होते हैं, जो हर रोज अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाने के लिए धधकती आग में भी कूदने से नहीं डरते हैं. उनका प्रण होता है कि किसी भी जान-माल का नुकसान नहीं होने पाए, इसके लिए भले ही उनकी जान पर क्‍यों न बन आए. यही वजह है कि जब आग लगने की दशा में लोग भवन और इमारतों से बाहर की ओर भागते हैं, तो ये जवान उसके अंदर घुसकर आग बुझाने के साथ लोगों को रेस्‍क्‍यू करके बाहर निकालते हैं. जब आप इन जवानों के बारे में जानेंगे, तो आपका सिर भी इनके आगे नतमस्‍तक हो जाएगा.

किसी भी महानगर में फायर सर्विस किस तरह से संचालित होता है. वहां पर बैठे लोगों को कैसे इसकी सूचना मिलती है. वे लोग कैसे और किस दशा में मिनटों में आग लगने वाली जगह पर पहुंच जाते हैं, यह सब हम आपको बताएंगे. गोरखपुर के गोलघर में फायर सर्विस (अग्निशमन विभाग) का ऑफिस है. यहां पर कंट्रोल रूम बनाया गया है. किसी भी इमारत या खेतों में आग लगने की सूचना कंट्रोल रूम को दी जाती है. कंट्रोल रूम का सायरन बजते ही पहले से मुस्‍तैद जवान सीएफओ (चीफ फायर ऑफिसर) के नेतृत्‍व में घटनास्‍थल के लिए कूच करता है. अग्निशमन वाहन के स्‍टार्ट होते ही जवान उसमें बैठ जाते हैं और वो घटनास्‍थल के लिए रवाना हो जाता है. बहुमंजिली इमारत में आग लगने के दौरान रेस्‍क्‍यू कैसे होता है, ये हमने भी जायजा लिया.

टैंकरों में आता है इतना पानी

यहां एक बड़े टैंकर में साढ़े चार हजार लीटर पानी आता है. वाटर माउजर (बड़ा टैंकर) में 8 हजार से 14 हजार लीटर तक पानी आता है. मिनी फायर टैंकर में ढाई हजार लीटर तक पानी आता है. छोटे बोलेरो में 450 लीटर वाटर मिक्‍स हाई प्रेशर वाटर होता है. सामान्‍य आग के लिए पानी (वाटर टेंडर) का इस्‍तेमाल होता है. लिक्विड फायर के लिए फोम टेंडर का इस्‍तेमाल किया जाता है. पानी भरने के लिए हाईडेंट पम्‍प हाउस परिसर में ही लगा हुआ है. ग्रामीण इलाके में आपातकालीन दशा में ग्रामीण ट्यूबवेल से टैंकर में पानी भरा जाता है. एक टैंकर में पानी भरने में 30 मिनट का समय लगता है.

गोरखपुर के सीएफओ (चीफ फायर आफीसर) डीके सिंह ने बताया कि उनके जवान हमेशा तत्‍पर रहते हैं. जहां पर भी बहुमंजिली इमारत और अन्‍य जगहों पर आग लगती है, जवान जिस भी हालत में रहते हैं, वे निकल जाते हैं. कहीं भी आग लगने की सूचना पर सायरन बज उठता है. दूसरों की जान बचाने के लिए कई बार जवानों को जख्‍मी भी होना पड़ता है.

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आग बुझाने के लिए फोम कंपाउंड का होता है इस्तेमाल 

गोरखपुर के सीएफओ (चीफ फायर आफीसर) डीके सिंह ने बताया कि आग बुझाने के लिए पानी और फोम कंपाउंड का इस्‍तेमाल किया जाता है. शटर को काटने से लेकर ताला तोड़ने तक के औजार उनके पास होते हैं. उन्‍होंने बताया कि 18 से 20 छोटी बड़ी गाडि़यां उनके यहां हैं. लोगों को भी समय-समय पर विकराल आग से बचने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके साथ ही समय-समय पर मॉक-ड्रिल भी होता रहता है.

उन्‍होंने बताया कि बहुमंजिली इमारत में आग बुझाने के लिए भी अत्‍याधुनिक फायर बिग्रेड का वाहन हमारे पास उपलब्‍ध है. 10 स्‍थानों पर अस्‍थायी फायर स्‍टेशन स्‍थापित किया गया है. तहसीलों पर भी वाहन खड़े रहते हैं. रेस्‍क्‍यू के दौरान कई बार ऐसा भी होता है कि उनके जवान जख्‍मी हो जाते हैं, लेकिन वे बहादुरी के साथ जानमाल का नुकसान होने से लोगों को बचाते हैं. इन जवानों के हौसलों को देखकर हर कोई दंग रह जाएगा. क्‍योंकि जिस खतरे से हम भागते हैं, उससे ये रोज दो-चार होते हैं. ऐसे में इनके जज्‍बे के आगे किसी का भी सिर नतमस्‍तक हो जाएगा. ऐसे में इनके जज्‍बे को सलाम करने का दिल जरूरत करेगा.

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