UP: फिरोजाबाद में है एक ऐसा मंदिर जहां बच्चों की लंबी उम्र के लिए मुर्गी के अंडे से होती है पूजा, जानें- क्या है मान्यता?
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले का एक अनोखा गांव बिल्हेने है. जहां हजारों की तादाद में भक्तगण फिरोजाबाद के साथ-साथ कई जिलों और दिल्ली तक से लोग उस मंदिर पर पूजा करने आते हैं.

UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फिरोजाबाद (Firozabad) जिले का एक अनोखा गांव बिल्हेने है. जहां हजारों की तादाद में भक्तगण फिरोजाबाद के साथ-साथ कई जिलों और दिल्ली तक से लोग उस मंदिर पर पूजा करने आते हैं, जहां मुर्गी के कच्चे अंडे से पूजा की जाती है. यह मंदिर बाबा नगर सेन (Baba Nagar Sen Temple) के नाम से जाना जाता है, जोकि कई वर्षों से यहां स्थापित है. यहां पूजा अर्चना के लिए महिलाएं, पुरुष और बड़े बूढ़े अपने परिवार के छोटे-छोटे मासूम बच्चों के लिए पूजा करने आते हैं.
भक्तगण बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहे, उन्हें कोई बीमारी है तो वह बाबा नगर सेन के मंदिर आकर हलवा, पूड़ी, लड्डू और अंडे को वहां चढ़ाकर उसका भोग लगा देते हैं. वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य की मनोकामना के लिये पूजा करते हैं.
कैसे करते हैं पूजा?
गांव बिल्हेने में काफी बरसों से बना हुआ मंदिर बाबा नगर सेन के नाम से प्रसिद्ध है. लेकिन यहां बाबा नगर सेन के साथ-साथ उनके सहपाठी भूरा मसान सैयद बाबा का भी स्थान है. इसलिए इस मंदिर पर हजारों की तादात में भक्तगण हलवा, पूड़ी, लड्डू, बतासे के साथ-साथ अंडा को चढ़ाकर और उनको फेंक कर यहां पूजा अर्चना करते हैं. जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण होती है.
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए करते हैं पूजा?
इस मंदिर पर फिरोजाबाद जिले के साथ-साथ अन्य जिलों और अन्य प्रदेशों से भक्तगण बाबा नगर सेन के मंदिर पर पूजा करने आते हैं. इस मंदिर पर पूजा करने की खास बात करें तो यह पूजा बच्चों को लेकर की जाती है. जितने भी भक्तगण आते हैं, वह अपने बच्चों की अच्छे स्वास्थ्य के लिए यहां पूजा अर्चना करते हैं. जिससे उन्हें किसी भी तरह की बीमारी ना हो और अगर वह बीमार है तो वह ठीक हो जाए.
क्या है परंपरा?
यह मेला वैशाख के महीने में तीन दिन के लिए यहां लगाया जाता है. जहां मेले में बहुत सारी दुकानें भी लगती हैं और झूले भी लगते हैं. इस मंदिर में सुबह से ही भक्तगण अपने बच्चों के साथ प्रसाद की दुकान से कच्चे अंडे के साथ-साथ अन्य प्रसाद खरीदते हैं. बाबा नगर सेन मंदिर पर पूजा करते हैं. रही बात अंडों की तो यहां अंडों को फेंक कर चढ़ाना यह परंपरा काफी वर्षों से चली आ रही है. इसलिए भक्तगण उसी परंपरा के चलते पूजा अर्चना करते चले आ रहे हैं.
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Source: IOCL























