उत्तरकाशी के धराली में भारी तबाही, एक्सपर्ट ने बताई बादल फटने की वजह
Dharali Cloudburst News: बादल फटने की घटनाएं पहाड़ी इलाकों में इसलिए ज़्यादा ख़तरनाक होती हैं, क्योंकि वहां पानी का जमाव नहीं हो पाता है.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में सोमवार रात बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई है. तेज बारिश के साथ आई बाढ़ के पानी ने घरों, सड़कों और पुलों को नुकसान पहुंचाया है. घटनास्थल के वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पानी के तेज बहाव के साथ भारी मात्रा में मिट्टी, पत्थर और पेड़-पौधे भी बहकर आ रहे हैं.
क्या होता है बादल फटना
क्या होता है बदल फटना और क्यों फटते हैं बादल, ये जानने के लिए एबीपी लाइव की टीम मौसम विशेषज्ञ महेश पहलावत से बात की. जिन्होंने बादल फटने के कारण और परिस्थितियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, बादल फटने की परिभाषा के अनुसार यदि किसी स्थान पर एक घंटे में 100 मिलीमीटर या उससे अधिक वर्षा होती है, तो उसे बादल फटना माना जाता है. यह घटना मैदानी इलाकों में भी संभव है, लेकिन पहाड़ों में इसका असर ज़्यादा भयावह होता है.
पहाड़ी इलाकों में बादलों के फटना इसलिए बना जाता है खतरनाक
बादल फटने की घटनाएं पहाड़ी इलाकों में इसलिए ज़्यादा ख़तरनाक होती हैं, क्योंकि वहां पानी का जमाव नहीं हो पाता है. ढलानों के कारण बारिश का पानी तेज़ी से बहकर नदियों में मिल जाता है, जिससे उनका प्रवाह अत्यधिक तेज हो जाता है. यही कारण है कि नदियां अपने साथ मिट्टी, चट्टानें और अन्य मलबा भी बहा ले जाती हैं, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही होती है.
मानसून टर्फ बना भारी बारिश का कारण
एक्सपर्ट ने कहा कि इस समय उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों खासकर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की प्रमुख वजह "एक्सिस ऑफ़ मानसून टर्फ" का तराई क्षेत्रों की ओर झुकना है. जब भी यह टर्फ फ़ुटहिल्स यानी तराई के इलाकों की ओर आता है, तब वहाँ अत्यधिक बारिश होती है. इस स्थिति में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी युक्त हवाएं पर्वतीय क्षेत्रों की ओर आती हैं, जिससे बादल बनने और फटने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि, हमने पिछले दो दिनों से रेड अलर्ट जारी किया था. ऐसी ही स्थितियाँ 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान भी बनी थीं."
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रेस्क्यू ऑपरेशन में आ सकती है रुकावट
मौसम विशेषज्ञ ने चेतावनी दी है कि अगले 12 घंटों तक कई इलाकों में अच्छी बारिश जारी रहने की संभावना है, जिससे राहत और बचाव कार्यों में बाधा आ सकती है. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि कल से बारिश की तीव्रता में थोड़ी कमी आ सकती है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में कुछ राहत मिलेगी. लेकिन यह राहत अधिक दिनों तक टिकने वाली नहीं है. 12 अगस्त से एक बार फिर भारी बारिश की संभावना बन रही है, जिससे लैंडस्लाइड जैसी घटनाएं हो सकती हैं. ऐसे में अगले तीन-चार दिनों की इस विंडो में हमें रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से पूरे करने होंगे.
बता दें कि, उत्तरकाशी में बचाव कार्य तेज़ी से जारी है और प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड में है. स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि, वे सतर्क रहें और अनावश्यक रूप से नदियों के किनारे या संवेदनशील क्षेत्रों की ओर न जाएं.
Source: IOCL





















