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दिल्ली के बाद पहाड़ों की भी आबोहवा खराब! देहरादून की हवा भी हुई जहरीली, 294 दर्ज हुआ AQI

Dehradun AQI: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, देहरादून में प्रदूषण का मुख्य कारण पीएम 2.5 और पीएम 10 का बढ़ा हुआ स्तर है. सोमवार को पीएम 2.5 का स्तर 119.83 और पीएम 10 का स्तर 134.11 दर्ज किया गया.

प्राकृतिक सौंदर्य और स्वच्छ आबोहवा के लिए पहचाने जाने वाले देहरादून की हवा इस समय गंभीर संकट में है. राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सालभर में अब तक के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार मंगलवार को देहरादून का एक्यूआई 294 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी के बेहद करीब है. इससे पहले सोमवार को उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) ने एक्यूआई 299 रिकॉर्ड किया था. हालात ऐसे बन गए हैं कि दून की हवा की तुलना अब दिल्ली-एनसीआर से की जाने लगी है.

देशभर में बढ़ते वायु प्रदूषण का असर पहाड़ी शहरों तक साफ दिखाई देने लगा है. दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण से जहां लोगों में हाहाकार मचा हुआ है, वहीं उसका असर देहरादून जैसे अपेक्षाकृत स्वच्छ माने जाने वाले शहर पर भी पड़ रहा है. दिसंबर के महीने में कुछ दिनों को छोड़ दिया जाए तो लगातार राजधानी की हवा खराब श्रेणी में बनी हुई है. शाम ढलते ही शहर में स्मॉग की परत नजर आने लगती है, जिससे दृश्यता भी प्रभावित हो रही है.

दीपावली के बाद भी दून की हवा में सुधार नहीं आ पाया. 20 अक्तूबर को दीपावली के आसपास अधिकतम एक्यूआई 254 दर्ज किया गया था. इसके बाद नवंबर और दिसंबर में मौसम शुष्क रहने और हवा की गति कम होने से प्रदूषक कण वातावरण में जमा होते चले गए. दिसंबर के आंकड़ों पर नजर डालें तो 6 दिसंबर को एक्यूआई 201, 11 दिसंबर को 199, 15 दिसंबर को 189 और 16 दिसंबर को 299 तक पहुंच गया. 17 दिसंबर को भी एक्यूआई 294 दर्ज किया गया, जो लगातार बिगड़ती स्थिति की ओर इशारा करता है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, देहरादून में प्रदूषण का मुख्य कारण पीएम 2.5 और पीएम 10 का बढ़ा हुआ स्तर है. सोमवार को पीएम 2.5 का स्तर 119.83 और पीएम 10 का स्तर 134.11 दर्ज किया गया. विशेषज्ञों का कहना है कि इन महीन कणों का लंबे समय तक हवा में बने रहना स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. पीएम 2.5 अपने सूक्ष्म आकार के कारण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर रक्त में मिल सकता है, जिससे सांस, हृदय और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

आने वाले कुछ दिनों में भी वायु गुणवत्ता में तत्काल सुधार की उम्मीद कम है. मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश या तेज हवाएं चलने पर ही एक्यूआई में गिरावट आ सकती है. बारिश हवा में मौजूद धूल और प्रदूषक कणों को जमीन पर गिरा देती है, जबकि तेज हवाएं इन्हें फैला देती हैं. इस प्राकृतिक प्रक्रिया को ‘रेन वॉशआउट’ या ‘वेट डिपोजीशन’ कहा जाता है, लेकिन फिलहाल अगले एक-दो दिनों तक ऐसे हालात बनने की संभावना कम है.

सांस के मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए प्रदूषण ने बढ़ाई चिंता

बढ़ते प्रदूषण ने खासतौर पर सांस के मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों की चिंता बढ़ा दी है. चिकित्सकों के अनुसार, जब एक्यूआई 200 के पार पहुंचता है तो अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन रोगों से पीड़ित लोगों के लिए जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. ऐसे में लोगों को अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचने, मास्क का उपयोग करने और घर के अंदर ही रहने की सलाह दी जा रही है.

ऋषिकेश का एक्यूआई 105 हुआ दर्ज 

देहरादून के साथ-साथ ऋषिकेश की हवा पर भी प्रदूषण का असर दिखने लगा है. मंगलवार को ऋषिकेश का एक्यूआई 105 दर्ज किया गया. यह भले ही ‘खराब’ श्रेणी में न आता हो, लेकिन सालभर अपेक्षाकृत स्वच्छ हवा वाले शहर के लिए यह चिंता का संकेत माना जा रहा है.

हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में घने कोहरे को लेकर येलो अलर्ट जारी

इस बीच मौसम विभाग ने उत्तराखंड के मैदानी जिलों, विशेषकर हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में घने कोहरे का येलो अलर्ट जारी किया है. अन्य जिलों में मौसम शुष्क रहने की संभावना जताई गई है. देहरादून में आंशिक रूप से बादल छाए रहने के आसार हैं, लेकिन इससे प्रदूषण से तत्काल राहत मिलने की उम्मीद कम ही है. लगातार बिगड़ती हवा ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में दून की पहचान भी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है.

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