CM योगी की मुहिम से लुप्त होती नदियों का पुनरोद्धार, सुआंव और टेढ़ी नदी में लौटने लगा जीवन
UP News: सीएम योगी के प्रयासों से प्रदेश की लुप्त होती नदियों के पुनर्जीवन का काम किया जा रहा है, जिसमें स्थानीय श्रमदान के माध्यम से नदियों के पुनरोद्धार में स्थानीय लोग अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.

यूपी में लंबे समय से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहीं बलरामपुर की सुआंव नदी और बहराइच की टेढ़ी नदी अब फिर से जीवंत हो उठी हैं. यह बदलाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'एक जनपद, एक नदी' मुहिम से संभव हो पाया है. जिसे ग्रामीणों का भी पूरा समर्थन मिल रहा है.
सीएम योगी के प्रयासों से प्रदेश की लुप्त होती नदियों के पुनर्जीवन के लिए प्रशासनिक इच्छाशक्ति और जनसहयोग का संगम देखने को मिल रहा है. मुख्यमंत्री के आह्वान पर स्थानीय श्रमदान के माध्यम से नदियों के पुनरोद्धार में स्थानीय लोग अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.
सुआंव नदी के संरक्षण के लिए 49 कार्य स्थल चिन्हित
देवीपाटन मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप मंडल के चार जिलों में विलुप्त हो चुकी नदियों का पुनरोद्धार किया जा रहा है. इससे श्रावस्ती की बूढ़ी राप्ती, गोंडा की मनोरमा नदी अपने मूल स्वरूप में बहने लगी है जबकि बलरामपुर की सुआंव और बहराइच की टेढ़ी नदी में युद्धस्तर पर काम चल रहा है.
बलरामपुर जिलाधिकारी पवन अग्रवाल ने कहा कि लगभग 121 हेक्टेयर लम्बाई और 320.61 वर्ग हेक्टेयर क्षेत्रफल वाली सुआंव नदी का बहाव सालों से अवरुद्ध था. इस नदी के संरक्षण के लिए कुल 49 कार्य स्थलों की पहचान की गई, जिनमें से 25 पर कार्य प्रारंभ हो चुका है और 24 जगहों पर निर्माण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है.
नगर पालिका परिषद द्वारा नदी की सफाई और नालों की मरम्मत के कार्य युद्धस्तर पर कराए जा रहे हैं. जिन स्थानों पर नदी के प्रवाह को बाधित करने वाली गाद और कचरा एकत्र हुआ था, वहां से मशीनों और श्रमिकों के सहयोग से निकासी की जा रही है. वन विभाग द्वारा नदी के दोनों किनारों पर पौधरोपण किया जा रहा है.
बहराइच की टेढ़ी नदी के पुनरोद्धार का काम तेज
बहराइच की डीएम मोनिका रानी ने बताया कि टेढ़ी नदी लगभग 38 किलोमीटर लम्बी है. इसे जनसहयोग से पुनर्जीवित किया जा रहा है. नदी के दोनों किनारों की सफाई, झाड़ियां हटाना, गाद निकालना और जलधारा को पुनः सुगम बनाने का काम हो रहा है.
बता दें कि प्रदेश में नदियों के पुनरोद्धार के काम की प्रगति पर सीएम योगी खुद नजर रखे हुए हैं. उनका कहना है कि जल संसाधनों का संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि जनसामान्य की साझेदारी से ही कार्य संभव हो सकता है. जिसके बाद इस अभियान को एक सामाजिक आंदोलन का स्वरूप दिया गया है.
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