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बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र पर लगीं मायावती की प्रतिमाएं, मामला सुर्खियों में आया
लखनऊ में बसपा अध्यक्ष मायावती की प्रतिमाएं लगाई जा रही हैं. आप यह सुनकर आश्चर्य में पड़ गये होंगे लेकिन एक बार फिर बसपा सुप्रीमो अपनी प्रतिमा लगवाने के मामले में चर्चा में हैं. खास बात यह है कि इस दफा उनकी सरकार नहीं है.
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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के दौरान स्वयं की प्रतिमाएं लगवाने को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती थीं. विपक्ष इस पर सवाल भी उठाता था. एक बार फिर बसपा सुप्रीमो का प्रतिमा प्रेम उमड़ा है. बृहस्पतिवार को लखनऊ स्थित बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र में मायावती की प्रतिमा लगाई गई. इससे पहले भी प्रदेश में कई शहरों में उनकी प्रतिमाएं लगी हैं. हालांकि राज्य में इस दफा उनकी सरकार नहीं है, लेकिन प्रतिमा लगाई जा रही है.
आपको बता दें कि प्रेरणा केंद्र पर उनकी तीन प्रतिमाएं लगाई जानी है. प्रतिमाओं के बारे में चर्चा की जाये तो इनमें मायावती हाथ में बैग लिए हुए हैं. संगमरमर की ये प्रतिमाएं बुधवार को सामने आने के बाद चर्चा में आ गईं. लगभग एक माह से यहां आधार का ढांचा तैयार हो रहा था. लेकिन तब इस बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं थी.
बसपा सुप्रीमो की ये प्रतिमाएं बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र में स्थापित की जा रही हैं. आपको बता दें कि बीएसपी की केंद्रीय युनिट की तरफ से इसकी स्थापना वर्ष 2005 में की गई थी.
मायावती की प्रतिमाएं अक्सर चर्चा में रही हैं. प्रदेश के नोएडा शहर में मायावती ने मुख्यमंत्री करोड़ों रुपये की लागत से दलित प्रेरणा स्थल बनवाया था. इस पार्क में बसपा मुखिया ने पार्टी के संस्थापक कांशीराम के साथ अपनी भी प्रतिमा लगवाई थी. इसे लेकर विपक्ष ने काफी हंगामा किया था. इसके अलावा सरकारी खजाने के दुरुपयोग को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था.
सुप्रीम कोर्ट ने की थी तल्ख टिप्पणी इस मामले में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुये कहा था कि, 'हमारा मानना है कि मायावती ने यूपी का मुख्यमंत्री रहते हुए लखनऊ और नोएडा के पार्कों में अपनी और पार्टी के सिंबल हाथी की जो विशालकाय मूर्तियां बनवाई थीं, उन पर खर्च हुए सरकारी पैसे को सरकारी खजाने में लौटाना चाहिए.' याचिकाकर्ता वकील रविकांत और सुकुमार के मुताबिक, मायावती ने इस प्रॉजेक्ट के लिए 2008-09 और 2009-10 के यूपी बजट से प्रोजेक्ट के लिए करीब 2000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इसमें जमीन की लागत भी शामिल थी.
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