नायब सैनी सरकार के आरक्षण वाले फैसले पर भड़कीं मायावती, BSP सुप्रीमो ने क्या कुछ कहा?
UP News: हरियाणा सरकार के फैसले पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड़यंत्र है.
Lucknow News: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) ने पद संभालते ही अनुसूचित जाति आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे का फैसला लागू किया है. सीएम सैनी ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है जिसमें अनुसूचित जाति के अंतर्गत सब-कैटिगरी बनाने की बात शामिल है. वहीं सीएम सैनी के इस फैसले पर बसपा सुप्रीमो और पूर्व सीएम मायावती ने नाराजगी जताई है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक्स पर लिखा-"हरियाणा की नई भाजपा सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड़यंत्र. यह दलित विरोधी ही नहीं बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है.
1. हरियाणा की नई भाजपा सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड़यंत्र। यह दलित विरोधी ही नहीं बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है। 1/3
— Mayawati (@Mayawati) October 18, 2024
उन्होंने लिखा-"हरियाणा सरकार को ऐसा करने से रोकने के लिए भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के आगे नहीं आने से भी यह साबित है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी आरक्षण को पहले निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और अन्ततः इसे समाप्त करने के षडयंत्र में लगी है, जो घोर अनुचित व बीएसपी इसकी घोर विरोधी है. वास्तव में जातिवादी पार्टियों द्वारा एससी-एसटी व ओबीसी समाज में ’फूट डालो-राज करो’ व इनके आरक्षण विरोधी षड़यंत्र आदि के विरुद्ध संघर्ष का ही नाम बीएसपी है. इन वर्गों को संगठित व एकजुट करके उन्हें शासक वर्ग बनाने का हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा."
बता दें कि कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम नायब सिंह सैनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि "सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सम्मान देते हुए अनुसूचित जाति में वर्गीकरण का जो आदेश था, उसे आज से ही हमने लागू करने का फैसला किया है." इसी साल सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला 6:1 बहुमत से दिया था. कोर्ट ने इस फैसले के माध्यम से अपने 2004 के फैसले को पलट दिया था.
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