बस्ती के सर्किट हाउस की सुरक्षा में लापरवाही! लगे एक्सपायरी फायर एक्सटिंग्विशर
UP News: बस्ती के सर्किट हाउस भवन की सुरक्षा भगवान भरोसे पर है, यहां एक्सपायरी फायर एक्सटिंग्विशर के दम पर प्रशासन आग बुझाने का दावा कर रहा है. हालांकि डीएम ने इन्हें बदलवाने के निर्देश दिए हैं.

Basti News: बस्ती जिले का सर्किट हाउस सबसे वीवीआईपी प्रशासनिक हाउस माना जाता है, जहां प्रशासन की देखरेख में महत्वपूर्ण लोगो के रुकने की व्यवस्था होती है. प्रधानमंत्री से लेकर तमाम वीआईपी यहां ठहरते हैं, लेकिन सर्किट हाउस में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं हैं. दो साल पूर्व एस्पायर हो चुके अग्नि शमन यंत्रों को शो पीस बनकर दिवाल पर टांग दिया गया है. जो बेकाम है यानी किसी काम की नहीं है. अगर आग लग जाती है तो बिना गैस के दीवाल की शोभा बढ़ा रहे ये अभी यंत्र दगा दे जायेगे. बहरहाल जानकारी होने के बाद जिलाधकारी ने संबंधित को तत्काल एस्पायर अग्नि शमन यंत्रों को बदलवाने का निर्देश दे दिया है.
दरअसल इस सर्किट हाउस का इस्तेमाल अमूमन मंत्रियों और बडे अधिकारियों के रुकने से लेकर प्रोग्राम करने के लिए होता है. मगर जिस सर्किट हाउस में मंत्री, बड़े बड़े अधिकारी रुकते हैं. उसी सर्किट हाउस में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. सर्किट हाउस में सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. इसका अंदाजा इसी बात ये लगा सकते हैं कि जो अग्निश्मन तंत्र दो साल पहले एक्सपायर हो चुके हैं वो आज भी सर्किट हाउस की दीवारों पर लटके हुए हैं. इन्हीं फायर सिलेंडरों के बूते प्रशासन सर्किट हाउस में लगने वाली आग को बुझाने का दंभ भर रहा है.
जेई ने कहा - सर्किट हाउस में नहीं लगेगी आग
इस मामले पर सर्किट हाउस के प्रभारी जेई महेंद्र यादव से बात की गई तो उनका कहना था बिल्डिंग अभी जिला प्रशासन को हैंड ओवर नहीं हुई है, निर्माण एजेंसी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने सर्किट हाउस का निर्माण करवाया था और कुछ कमियों की वजह से बिल्डिंग उनके पास ही है. वहीं जेई साहब ने गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा कि 'वैसे सर्किट हाउस में आग लगेगी नहीं.' उन्होंने दावा किया कि, इन यंत्रों में कोई गैस नहीं होती है.
मुख्य अग्निशामक अधिकारी कन्हैया लाल यादव ने पूरे प्रकरण को लेकर बताया कि अगर अग्नि शमन यंत्र की सुई रेड पर है तो उसमें गैस नहीं है, एक्स्पायर होने के बाद यंत्र में गैस रह नहीं जाती है, दो साल पहले एस्पायर हो चुके यंत्र तो वैसे किसी काम के नहीं है, ऐसे में कोई हादसा होता है तो वह उस संस्थान के जिम्मेदारों के रिस्क पर होगा.
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Source: IOCL






















