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बाराबंकी में 40 साल लंबित चकबंदी वाद का निस्तारण, डीएम की पहल से मिला न्याय
Barabanki News: भगवती प्रसाद यादव ने डीएम शशांक त्रिपाठी के समक्ष अपनी व्यथा रखी थी उन्होंने बताया कि 'मसीउद्दीन बनाम माविया खातून' शीर्षक चकबंदी वाद पिछले 40 वर्षों से चकबंदी न्यायालय में लंबित था.

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में चार दशकों से लंबित चकबंदी वाद का निस्तारण जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी की संवेदनशील पहल से संभव हुआ है. ग्राम पंचायत सेवकपुर के निवासी भगवती प्रसाद यादव को 40 साल बाद न्याय मिला, जिसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर आभार व्यक्त किया.
डीएम शशांक त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि समयबद्ध और पारदर्शी समाधान उनकी प्राथमिकता है, ताकि कोई भी पीड़ित न्याय से वंचित न रहे.
40 साल पुराना चकबंदी वाद
जानकारी के मुताबिक भगवती प्रसाद यादव ने जून 2025 में जनता दर्शन में डीएम शशांक त्रिपाठी के समक्ष अपनी व्यथा रखी थी उन्होंने बताया कि 'मसीउद्दीन बनाम माविया खातून' शीर्षक चकबंदी वाद पिछले 40 वर्षों से चकबंदी न्यायालय में लंबित था. मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए. उन्होंने एस.ओ.सी. चकबंदी को दोनों पक्षों की सुनवाई कर शीघ्र निस्तारण का आदेश दिया.
डीएम के निर्देशों का पालन करते हुए चकबंदी न्यायालय ने 11 सितंबर 2025 को गुण-दोष के आधार पर वाद का निस्तारण कर दिया. इससे भगवती प्रसाद यादव को बड़ी राहत मिली. प्रसन्न होकर उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर डीएम शशांक त्रिपाठी से मुलाकात की और त्वरित न्याय के लिए आभार जताया. भगवती प्रसाद ने कहा कि 40 साल तक न्याय की उम्मीद टूट चुकी थी. डीएम साहब की तत्परता से आज मुझे न्याय मिला. मैं जिला प्रशासन और विशेष रूप से जिलाधिकारी महोदय का हृदय से आभारी हूं.
सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य सभी की जिम्मेदारी
जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा कि प्रशासन की प्राथमिकता है कि कोई भी वाद वर्षों तक लंबित न रहे. शासन की मंशा के अनुरूप प्रत्येक प्रकरण का निस्तारण समयबद्ध, पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से होगा. जनसमस्याओं का त्वरित समाधान ही सुशासन की पहचान है. उन्होंने आगे कहा कि देरी से मिला न्याय, न्याय से वंचित करने के समान है. इसलिए सभी अधिकारियों को लंबित मामलों की नियमित समीक्षा और त्वरित निस्तारण के लिए निर्देशित किया गया है.
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