बागपत के हिलवाड़ी गांव में 2 महीने में 30 से ज्यादा मौत, ग्रामीणों मे डर का माहौल
UP News: यूपी बागपत के हिलवाड़ी गांव में 2 महीने के अंदर 30 से ज्यादा मौत ने सभी को हैरान कर दिया है. ग्रामीण लोगों पर कोई संकट न आए इसलिए गांव में परिक्रम के साथ भंडारे का आयोजन किया जा रहा है.

Bagpat News: उत्तर प्रदेश बागपत के हिलवाड़ी गांव के श्मशान घाट में पड़ी 13 चिताए तो ठंडी हो चुकी है, लेकिन इनकी राख इस बात की गवाही दे रही हैं कि दो महीने पहले मौत का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह रूक-रूककर अभी भी जारी है. कोई हार्टअटैक से अपनी जान गंवा रहा है तो कोई तपेदिक से मरा है. मौत न हो, इसके लिए लोग गांव की परिक्रमा और भंडारे का आयोजन कर भूमिया देवता की पूजा भी कर चुके हैं, लेकिन मौत की सूची में 15 दिसंबर को बुजुर्ग महावीर सिंह का नाम और दर्ज हो गया है.
उधर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गांव में जितनी भी मौत हुई है, वह अलग-अलग बीमारी और बुजुर्गों की स्वाभाविक हुई है. जबकि लोगों का कहना है कि बीमारी और स्वाभाविक मौत तो हो रही है, लेकिन गांव पर कोई न कोई संकट अवश्य आया हुआ है, जिसके कारण 35 से ज्यादा लाेगों की मौत हुई है. ऐसा तो कोरोना काल में भी नहीं हुआ है. यह दौर तो कोरोना काल से भी बुरा है. गांव के लोगों ने मृतकों की जो सूची बनाई है उसे देखकर हर कोई हैरान है.
ग्राम प्रधान ने गांव में किसी भी तरह की बिमारी न होने की बात कही
ग्रामीण अंकुश हिलवाड़ी का कहना है कि दो महीने में गांव में 30 से 40 के बीच लोगों की मौत हो चुकी है ज्यादातर मौत हार्ट अटैक से हुई है. मौत न हो, इसके लिए गांव में भूमिया देवता की पूजा करते हुए हवन और भंडारा कराया था, लेकिन उसके बाद भी मौत हुई है. ग्राम प्रधान रूबी का कहना है कि गांव में किसी तरह की कोई बीमारी नहीं है. हां इतना अवश्य है कि गांव में 28-30 मौत हुई है. गांव में स्वास्थ्य शिविर लगवाया था, जिसमें डाक्टरों ने पाया कि जितनी भी मौत हुई है वह बुजुर्ग लोगों की स्वाभाविक मौत है या हार्टअटैक आदि से हुई है.
प्रशासन ने किसी भी तरह के अंधविश्वास में न पड़ने की बात कही
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ौत के अधीक्षक डा. विजय कुमार का कहना है कि हिलवाड़ी गांव में किसी बीमारी से इन लोगों की मौत नहीं हुई है. ज्यादातर बुजुर्ग लोगों की स्वाभाविक मौत हुई है. यह बात अवश्य है कि मरने वालों की संख्या कुछ ज्यादा ही है. हालांकि प्रशासन की ओर से उन्हें किसी भी अंधविश्वास में न पड़ने की सलाह दी जा रही है.
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