भू-धंसाव की आशंका के बीच मसूरी में वैज्ञानिकों ने शुरू किया सर्वे, लंढौर बाजार पहुंची टीम
Uttarakhand News: निरीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि मसूरी में कई ऊंची इमारतें बिना नियमानुसार बनाई गई हैं, जिससे आपदा के समय गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है.

Mussoorie Landslide: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार भू-धंसाव की घटनाएं चिंता का कारण बनी हुई हैं. इसी क्रम में ‘पहाड़ों की रानी’ कहे जाने वाले मसूरी नगर में भी भू-धंसाव और संभावित आपदाओं के खतरे को देखते हुए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) रुड़की की ओर से मसूरी नगर के भवनों का वैज्ञानिक तरीके से निरीक्षण शुरू कर दिया गया है. यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य मसूरी को सुरक्षित और आपदा-रोधी बनाना है.
CBRI की चार वैज्ञानिकों और 18 इंजीनियरों की टीम मसूरी पहुंची है, जिसने सबसे पहले ऐतिहासिक लंढौर बाजार और आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण किया. टीम द्वारा भवनों की ग्रेडिंग, संरचनात्मक मजबूती और भूस्खलन की संभावना जैसे विभिन्न पहलुओं का गहराई से अध्ययन किया जा रहा है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हो रहे इस सर्वे के बाद एक ‘रिस्क मैप’ तैयार किया जाएगा, जो आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने में मदद करेगा.
CBRI के वैज्ञानिक आशीष कपूर ने बताया कि यह सर्वेक्षण मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया, डॉ. एमएम दालबेरा और डॉ. चंचल सोनकर के निर्देशन में किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मसूरी नगर पालिका क्षेत्र में घर-घर जाकर भवनों की स्थिति का आकलन किया जा रहा है. इसके तहत भवन निर्माण में राष्ट्रीय भवन कोड (NBC) के पालन की स्थिति, निर्माण की गुणवत्ता और अवैध रूप से बनी ऊंची इमारतों की जानकारी भी जुटाई जा रही है.
मसूरी में कई ऊंची इमारतें बिना नियमानुसार बनाई गई हैं
निरीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि मसूरी में कई ऊंची इमारतें बिना नियमानुसार बनाई गई हैं, जिससे आपदा के समय गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है. ऐसे निर्माणों को भी रिपोर्ट में दर्शाया जाएगा और संबंधित विभागों को आवश्यक कार्रवाई के लिए सूचित किया जाएगा.
CBRI की रिपोर्ट को NDMA को सौंपा जाएगा, जिससे आपदा प्रबंधन की योजनाएं और भी ठोस बन सकें. इसके साथ ही एक मॉडल भी तैयार किया जाएगा, जिसमें आपदा की स्थिति में राहत शिविर कहां स्थापित हों, रेस्क्यू मार्ग क्या हों, यह सब तय किया जाएगा. इससे आपदा के समय त्वरित और प्रभावी राहत कार्य सुनिश्चित हो सकेगा.
8 अप्रैल तक जारी रहेगा सर्वेक्षण
मसूरी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी तनवीर मारवाह ने बताया कि इस सर्वे में CBRI के साथ लोक निर्माण विभाग, मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण और नगर पालिका की टीम भी सक्रिय भूमिका निभा रही है. यह सर्वेक्षण 8 अप्रैल तक जारी रहेगा और उसके बाद वैज्ञानिकों की टीम अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपेगी.
केवल मसूरी तक सीमित नहीं है NDMA की यह योजना
गौरतलब है कि उत्तराखंड के जोशीमठ, कर्णप्रयाग और नैनीताल समेत कई क्षेत्रों में पहले ही भू-धंसाव की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. मसूरी जैसे संवेदनशील पर्यटक स्थलों में इस प्रकार की पहल न केवल जनसुरक्षा के लिहाज से जरूरी है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी अहम कदम है. NDMA की यह योजना केवल मसूरी तक सीमित नहीं है, बल्कि हिमाचल प्रदेश और देश के अन्य पर्वतीय राज्यों में भी इसी प्रकार के सर्वेक्षण किए जाएंगे, ताकि देशभर में आपदा प्रबंधन की एक ठोस और वैज्ञानिक रूप से तैयार व्यवस्था विकसित की जा सके.
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Source: IOCL






















